“शायद मेरे ही संस्कारों में कोई कमी रह गई होगी जो तूने ये हरकत की है अगर मुझे पता होता कि,तू पढ़ाई-लिखाई के नाम पर प्रेम की पींगे बढ़ा रही है तो मैं तुम्हें आगे पढ़ने की इजाजत देती ही नहीं तू तो कुल का कलंक बन गई अगर ये बात तेरे पिताजी को पता चली की तू किसी दूसरी जाति के लड़के से प्यार करती है
और उसके बच्चे की मां बनने वाली है तो वो तुम्हें जिंदा जमीन में गाड़ देंगे वो अपने खानदान को कलंकित नहीं होने देंगे क्या ये बात तुम्हें पता नहीं थी रमा ? तुमने मेरी सीधाई का नाजायज फायदा उठाया है मैंने तेरे पिताजी से लड़-झगड़कर तुम्हें लड़कों के कालेज में पढ़ने की इजाजत दिलवाई थी और तुमने मेरा सिर शर्म से झुका दिया अब क्या होगा हम समाज को क्या मुंह दिखाएंगें ” इतना कहकर रमा की मां मालती फूट-फूटकर रोने लगी।
अपनी मां को रोता देखकर रमा ने उनके पास जाकर धीरे से डरते हुए कहा ” मां किशन दूसरी जाति का जरूर है पर वो बहुत अच्छा लड़का है उसके घर वाले भी बहुत अच्छे हैं वो मुझसे शादी करना चाहता है हम से गलती हो गई है हमने कोई गुनाह नहीं किया है किशन शादी से इंकार नहीं कर रहा है
उसके घर वाले हमारी शादी के लिए तैयार हैं आप लोग भी हमें शादी करने की इजाजत दे दीजिए शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा हमारी गलती को गुनाह का नाम देकर मेरे गर्भ में पल रहे बच्चे को कलंक का नाम न दीजिए”
” तेरे कहने से क्या सब ठीक हो जाएगा क्या तेरे पेट में पल रहा कलंक पुण्य बन जाएगा तूने मेरे विश्वास और संस्कार को कलंकित किया है?” मालती ने चिल्लाकर पूछा
” मां मेरे पेट में कलंक नहीं मेरा प्यार पल रहा है आप इसे कलंक कहकर मेरे प्यार का अपमान कर रही हैं आप कैसी मां हैं जिसे अपनी बेटी की खुशी से ज्यादा जाति बिरादरी और समाज की परवाह है” रमा ने झल्लाकर गुस्से में कहा
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” हां हमें समाज की परवाह है क्योंकि हमें इसी समाज में रहना होगा मैं लोगों के ताने नहीं सुन सकती तुम्हें अपने पेट में पल रहे पाप को गिराना होगा और उस लड़के किशन को भूलकर अपनी जाति के किसी लड़के से शादी करनी होगी। जब-तक तुम हमारी बात मान नहीं लेती तब तक मैं तुम्हें इस घर से बाहर कदम नहीं रखने दूंगी मेरी बात गांठ बांध लो तुम ” मालती ने कठोर आवाज़ में अपना फैसला सुनाया फिर कमरे से बाहर निकल गई।
रमा अपनी मां की बात सुनकर वहीं जमीन पर बैठकर रोने लगी वो अपनी मां को जानती थी अगर उन्होंने कोई फैसला कर लिया तो वो पत्थर की लकीर बन जाता है
मालती जी जैसे ही रमा के कमरे से बाहर आईं उनके घर में काम करने वाली नौकरानी ने उनसे कहा “मालकिन आपको मालिक अपने कमरे में बुला रहें हैं घर में काम करने वाली कमला की आवाज सुन मालती जी चौंक गई
“तुम्हारे मालिक घर कब आए कमला?” मालती जी ने घबराकर पूछा
” मालकिन जब आप रमा बिटिया को डांट रहीं थीं तब मालिक कमरे के बाहर खड़े हुए थे वह कब आए मुझे नहीं पता” कमला ने सिर झुकाकर जबाव दिया।
कमला की बात सुनकर मालती का चेहरा डर से पीला पड़ गया उनके चेहरे पर पसीने की बूंदें दिखाई देने लगी वो डरते हुए अपने कमरे की ओर चल पड़ी। मालती जी डरते हुए कमरे में दाखिल हुई उन्हें देखते ही उनके पति सुरेन्द्र ने गम्भीर लहज़े में कहा ” रमा को यहां बुलाओ उससे मुझे कुछ बात करनी है”
” देखिए वो बच्ची है उससे गलती हो गई उसे क्षमा कर दीजिए शायद मेरे ही संस्कारों में कोई कमी रह गई थी वो उस लड़के को भूल जाएंगी आप जहां कहेंगे वो वहीं शादी करेंगी हम कहीं दूर दूसरे शहर में जाकर उसका गर्भपात करवा देंगे यहां किसी को कुछ नहीं पता चलेगा मैं आप से हाथ जोड़कर विनती करतीं हूं रमा को माफ़ कर दीजिए ” मालती जी ने गिड़गिड़ाते हुए अपने पति से कहा।
” नहीं मालती मैं अपनी बच्ची को सजा देने के लिए नहीं बुला रहा हूं मैंने उसे क्षमा कर दिया मैं जानता हूं उससे गलती हुई है वो अंजाने में गलती कर बैठी है मैं रमा की शादी किशन से करके उस गलती को सुधारना चाहता हूं” सुरेंद्र जी ने गम्भीर लहज़े में जवाब दिया।
मालती जी आश्चर्य से अपने पति का चेहरा देखने लगी उन्हें अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था।
” क्या आप सच कह रहें हैं?” मालती जी ने आश्चर्य से खुशी जाहिर करते हुए पूछा
” हां मालती मैं सच कह रहा हूं” सुरेंद्र जी ने धीरे से कहा
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” पर आप तो जाति-पाति को बहुत मानते हैं फिर आप किशन को अपना दामाद बनाने के लिए कैसे तैयार हो गए?” मालती जी ने अपने मन की शंका जाहिर की &q
“मालती आज मैं अपने दोस्त प्रकाश के घर गया था वहां जाकर मुझे पता चला की प्रकाश की बेटी की मौत हो गई है जानती हो उसकी मौत कैसे हुई ?” सुरेन्द्र जी ने दुखी आवाज में कहा
” कैसे?” मालती जी ने आश्चर्यचकित होकर पूछा
” उसके गर्भ में लड़की थी इसलिए उसकी ससुराल वालों ने जबरदस्ती उसका गर्भपात करवा दिया 6 महीने का गर्भ था इसलिए उसकी मौत हो गई उसका विवाह प्रकाश ने अपनी जाति के लड़के से किया था और दहेज़ भी ख़ूब दिया था प्रकाश की बेटी भी किसी और लड़के से प्रेम करती थी पर प्रकाश ने अपनी झूठी शान की खातिर अपनी बेटी का विवाह जबरदस्ती अपनी जाति के लड़के से बिना सोचे समझे कर दिया जिसका परिणाम ये हुआ कि, उसने अपनी बेटी को हमेशा के लिए खो दिया आज प्रकाश की बात सुनकर मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ ,
लड़की कोई सामान नहीं है जिसे अपनी मर्ज़ी से जिसे चाहे दे दिया जाए वो तो घर की लक्ष्मी है उसका मान-सम्मान और उसकी इच्छा का मान रखना हर माता-पिता का कर्तव्य है अब जमाना बदल गया है लड़कियों को भी अपनी मर्ज़ी से अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है इसलिए मैंने फ़ैसला किया है कि, मैं अपनी बेटी की शादी उसकी पसंद के लड़के से ही करूंगा।किशन बहुत अच्छा और संस्कारी लड़का है तभी तो वह अपनी गलती सुधारने के लिए हमारी बेटी से विवाह करने को तैयार है अगर वो अच्छे चरित्र का न होता
तो हमारी बेटी को बदनाम कर उसे समाज में रूसवा होने के लिए छोड़ देता लेकिन उसने ऐसा नहीं किया वो आज भी रमा के साथ है उससे गलती हुई है वो अपनी ग़लती शादी करके सुधारना चाहता है। इससे अच्छा दामाद हमें खोजने से भी नहीं मिलेगा मैं कल ही किशन के माता-पिता से बात करके शादी की तारीख पक्की कर दूंगा। मालती हमारी नन्ही परी से अनजाने में गलती हुई है बच्चे तो गलतियां करते ही हैं बड़ों का फ़र्ज़ है कि, वो उन्हें नसीहत देकर क्षमा कर दें वरना वो हमें छोड़ देंगे तब हाथ मलने के अतिरिक्त हमारे पास कुछ नहीं रह जाएगा” सुरेंद्र जी ने गम्भीर लहज़े में मुस्कुराते हुए कहा
अपने पति की बात सुनकर मालती जी के चेहरे पर मुस्कान फ़ैल गई। दरवाजे पर खड़ी रमा ने सब सुन लिया था वो अपनी मां को मनाने के लिए उनके कमरे में आ रही थी तभी उसे अपने पापा की आवाज सुनाई दी वो वहीं दरवाजे पर खड़ी रह गई अपने पापा का फैसला सुन रमा का चेहरा खुशी से खिल उठा उसे अभी भी अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
डॉ कंचन शुक्ला
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश
#हमारे संस्कारों में ही कोई कमी रह गई होगी
10/1/2025
VM