फिरोजी रंग की बॉर्डर वाली साड़ी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

    अलमारी खोलकर जैसे ही अतुल्या ने फिरोजी रंग की बॉर्डर वाली साड़ी निकाली….  देखते ही तुरंत अंश ने कहा…

   अरे …आज ये वाली साड़ी पहनोगी अतुल्या…..? मां की साड़ी …?

   आज उनकी पहली बरसी है ….सारे रिश्तेदार , मेहमान आएंगे ….

   हां अंश, आज मां जी की बरसी पर उनकी ही ये साड़ी पहनूंगी ….. वो बहुत खुश होंगी अंश …..उन्होंने कहा था , तू इसे पहनेगी अतुल्या तो मुझे बहुत खुशी होगी…!

    देखिए तो अंश… प्रेस करना पड़ेगा क्या…? जैसे ही साड़ी की परतें खोली , उसमें से पैसे गिरने लगे ….अरे ये पैसे..? आश्चर्य से अतुल्या ने अंश की तरफ देखा ….

   ये तो वही पैसे है जो मैं मां को उनके व्यक्तिगत खर्च के लिए दिया करता था…. क्या…?   मां जी ने वो भी बचा कर रखे थे… हमारे खातिर …ताकि हमें कभी पैसे की कमी ना हो..?

  कभी पैसे की ओर… कभी साड़ी की ओर ताकते हुए अंश के सामने बीते हुए पल किसी चलचित्र की भांति उभरते चले गए…..

   देख मां ….बदलाव प्रकृति का नियम है….. ये तो तू भी मानती है ना…. फिर तू क्यों नहीं बदलती मां ….

       अभी भी ….तेरे दिमाग से वही पहले वाली ….गरीबी , कंजूसी टाइप का कीड़ा बाहर क्यों नहीं निकल पा रहा है मां …..एक समय था जब पापा अकेले कमाने वाले और घर खर्च के अलावे हम दोनों भाई बहनों की पढ़ाई लिखाई…. उस समय तूने सोच समझकर …. फूंक फूंक कर कदम रखे…. ये सब तो समझ में आता है मां….. पर अब …अब क्यों मां …?

इस कहानी को भी पढ़ें: 

आदर्श सास – बहू की मिसाल – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

      ये ले ….. अपने पर्स में रख ले…..₹5000 पकड़ाते हुए अंश ने कहा ….और अब से हर महीने मुझसे अपने लिए ….फिजूल खर्च के लिए …. हां मां ठीक सुनी…फिजूल खर्च के लिए….  अब तो तेरा दिन आया है ना … मुझसे भी पैसे ले लिया कर …..पहले जितनी तूने अपने शौक.. अपने ख्वाहिशों से समझौता किया है ना अब पूरी कर मां…..अब तेरा समय आया है ….तेरा बेटा जो कमाने लगा है मां…!

   चल ठीक है अंश ….तू मुझे हर महीने पैसे दिया कर….सच में मैं भी अपनी सहेलियों के साथ खूब मौज मस्ती करूंगी ….अनुराधा ने भी अंश की हां में हां मिलाई ….!

      सुमंत जो मां बेटे की बातें सुन रहे थे ….मन ही मन बेटे के व्यवहार और मां के प्रति प्रेम देखकर खुश हो रहे थे….. मजाक में उन्होंने पत्नी अनुराधा को छेड़ते हुए कहा …..हां -हां अनुराधा अब सही समय आया है तुम्हारा बिगड़ने का ……और सभी लोग हंस पड़े…।

   दिन बीतते गए….अंश की शादी धूमधाम से हो गई ….प्यारी सी अतुल्या को बहू के रूप में पाकर अनुराधा बहुत खुश थी …..घर के बारे में .. अतुल्या की जब भी अंश से बात होती …. अंश, मां पापा के संघर्ष , त्याग की बातें बताता…. मां के लिए अंश का विशेष लगाव देख अतुल्या के मन में अंश के लिए सम्मान और भी बढ़ जाता था…!

चूंकि अतुल्या बड़े घर की बेटी थी… अतः उसे इतनी छोटी-छोटी चीजों के लिए जिंदगी में आम लोगों को इतना समझौता करना पड़ता है…… ये उसे मालूम तक नहीं था ….उसने अपना बड़ा घर …बड़ा कारोबार …तो देखा था… पर इस घर की छोटी-छोटी बातें उसे बहुत आकर्षित करती थी ….सबका साथ मिलकर खाना , खाना ….एक साथ बैठ कर गप्पे मारना… उसके पापा के पास तो उतना समय भी नहीं होता था कि रोज बच्चों के पास बैठकर कुछ बातचीत करें…. हेलो हाय हो जाती थी बस …..मम्मी भी कभी क्लब …कभी किटी पार्टी… कभी सहेलियां …और न जाने कितनी सामाजिक संस्थाओं के कार्य में व्यस्त रहती थी..।

    कितना अंतर था मायके और ससुराल में ….शायद इसीलिए शादी से पहले अंश हमेशा बोलते…. अच्छी तरह सोच लो अतुल्या…. तुम मुझसे शादी करके खुश रह पाओगी…?

    बहुत अंतर है हमारे और तुम्हारे घर के माहौल में….. तब अतुल्या कहती…अंश मेरे और तुम्हारे प्यार के बीच में ये …स्टैंडर्ड …माहौल …अंतर… जैसी चीजों के लिए जगह है क्या…?

 मैंने अपने घर में खुद ही खुशी-खुशी तुमसे शादी के लिए बात की है अंश…!

इस कहानी को भी पढ़ें: 

सबक – स्नेह ज्योति  : Moral Stories in Hindi

     जानते हो अंश…..तुम समझ नहीं सकते , मैं शादी के बाद तुमसे और तुम्हारे परिवार को पाकर कितनी खुश हूं ….छोटी-छोटी बातें एक दूसरे का ध्यान रखना ये सब बहुत सुख देता है अंश… बहुत सुख….

कितनी आपसी  मानवीय संबंध, संवेदनाएं , मधुरता तो मैंने यहां आकर ही महसूस की है अंश….!

      शादी के बाद अतुल्या की अनुराधा से बहुत अच्छी जमती थी…. बिल्कुल एक सहेली की तरह…. अनुराधा की कोई चीज खत्म होने से पहले ही अतुल्या ऑनलाइन ऑर्डर कर चुकी होती थी…..अब तो अंश ही पीछे रह जाता था अतुल्या के सामने…..।

    हां बीच-बीच में अंश मां को उनके व्यक्तिगत खर्च के लिए पैसे जरूर देता था….!

…..एक दिन….. मंदिर जाने के लिए अनुराधा तैयार होकर जैसे ही कमरे से बाहर आई उन्हें देखते ही अतुल्या ने आश्चर्य से कहा…..

 वाव मां जी …..कितनी प्यारी साड़ी है फिरोजी रंग की बॉर्डर वाली साड़ी…..मेरा फेवरेट रंग ….सच में मां जी आपकी ये साड़ी मुझे बहुत अच्छी लग रही है….।

मां जी…. एक बार मैं आपकी ये साड़ी जरूर  पहनूंगी ….. वो भी किसी खास उत्सव में….

    अरे बेटा ….तुझे इतनी पसंद आई तो मैं दूसरा पहन लेती हूं …..तू इसे रख ले ……वरना सब देख लेंगे ….पुरानी हो जाएगी ……फिर लोग बोलेंगे , देखो अपनी सासू मां की साड़ी पहनी है…….वैसे भी हम महिलाओं के साथ एक बड़ी समस्या ये भी होती है ….. हर उत्सव में एक नई साड़ी चाहिए होती है ….वरना एक ही साड़ी में बार-बार फोटो  ,वीडियो…… कहकर अनुराधा और अतुल्या दोनों हंस पड़े….।

   अरे नहीं मां जी…. सच में ये साड़ी बहुत सुंदर है और आपके ऊपर तो और भी जच रही है…. मंदिर से लौटने के बाद अनुराधा ने वो साड़ी कायदे से मोड़कर अतुल्या को देना चाहती थी… पर अतुल्या ने कहा….मम्मी इसे अभी आप अपने पास ही रखिए…. मैं आपसे लेकर पहन लूंगी …..तब अनुराधा ने कहा …चल ठीक है बेटा  ,यदि तू इसे पहनेगी ना तो मुझे भी बहुत अच्छा लगेगा….।

ओह….. स्नेह और प्यार से साड़ी और पैसे हाथ में रखकर अंश ….अनुराधा के फोटो के आगे खड़ा होकर बोला….

 क्या मां ….. मेरे लाख बोलने के बाद भी तू नहीं बदली ना….. वही बचत वाली आदत अपने अंदर से नहीं निकाल  पाई ना….खुलकर पैसे खर्च करने की आदत नहीं बना पाई ना…..

आखिर …..क्यों मां ….क्यों….?

इस कहानी को भी पढ़ें: 

‘सिग्नल मदद का’ – प्रियंका सक्सेना   : Moral Stories in Hindi

ताकि तुम लोग खर्च कर सको बेटा….

हम लोग बचत करके रखेंगे तभी तो तुम बच्चे खर्च कर पाओगे ना…. क्यों अनुराधा , यही सोचती थी ना तुम… पीछे से सुमंत ने कहा…..बेटा, हर मां-बाप की यही सोच होती है कि वो कुछ बचत कर ले ताकि विपत्ति में उनके बच्चों के काम आ सके…. क्यों सही कहा ना अनुराधा ….तस्वीर की और देखकर सुमंत ने कहा ….!

मुस्कुराती हुई अनुराधा की तस्वीर ऐसी लग रही थी जैसे कह रही हो आप ही तो मुझे समझते हैं सुमंत….!

मन ही मन अंश सोच रहा था….मां बाप का दिल इतना बड़ा होता है कि उनके सामने बच्चे अपना कितना भी बड़ा दिल कर ले ….पर वो कम ही होता है …..मां बाप का त्याग उनका बलिदान कभी किसी भी रूप में बच्चे चुकता कर ही नहीं सकते….।

(स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अप्रकाशित रचना )

साप्ताहिक प्रतियोगिता : # बड़ा दिल

   संध्या त्रिपाठी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!