फरेब : Moral Stories in Hindi

रश्मि आज बहुत खुश है, शादी के सारे रस्मों रिवाज़ पूरे हो गए…. सारी गहमा गहमी भी खत्म हो गई आज रात उसे सिंगापुर  के लिए निकलना है अपने हमसफर आकाश के साथ!!

खुशी से वो फूली नहीं समा रही, छोटे से शहर की मध्यम वर्गीय परिवार की बेटी विदेश यात्रा के सपने कहां देख पाती है उसके तो छोटे छोटे ख्वाब थे….. अच्छा कमाता हो, दिखने में ऐसा तो हो जिसे अपनी सहेलियों से मिलवाने में उसे लज्जा न लगे , खूब प्यार करने वाला हो, उसकी जरूरत पूरी करे और उसका सम्मान करे !!

जब आकाश का रिश्ता खुद चलकर उसके पिता के पास आया तो माता पिता के साथ साथ उसकी खुशी का तो ठिकाना ही न रहा, पूरा मोहल्ला और शादी योग्य कन्याएं तो जलभुनकर राख ही हो गईं…. तीनों विवाहित बहनों के चेहरे भी उतर से गए!!

पर वो……. तो उड़ रही है नीले अम्बर में पंछियों के साथ, अठखेलियां करती… उसे फुरसत कहां जो सबके हाव भाव या जलन कुढ़न देखे!!

आकाश का परिवार उसके शहर का जाना माना रईस परिवार था, आकाश  सिंगापुर में शानदार कंपनी में इंजीनियर था !!

  रश्मि कोई अद्वितीय सुंदरी हो… ऐसा भी नहीं था.. ऐसे में शानदार शख्सियत के मालिक आकाश का रिश्ता आना एक चमत्कार से कम भी नहीं था!!

आकाश के परिवार का कहना था ” रिश्ते तो बड़े बड़े घरों के आ रहे हैं पर आकाश साधारण लड़की को जीवनसाथी बनाना चाहता है, उसे फैशनेबल लिपी पुती कोई टीवी सीरियल की हीरोइन नहीं चाहिए ” !!

पूरी रिश्तेदारी में आकाश की तारीफों के पुल बंध गए, क्या उच्च विचार हैं लड़के के इस जमाने में 

कोई लेन देन नहीं…. बस एक साड़ी में विदा कराके ले जायेगा, ईश्वर की दया से कोई कमी नहीं!!




उचित मुहूर्त देखकर साधारण तरीके से शादी हो गई , ग्यारह रुपए का शगुन ही स्वीकार किया आकाश ने, एक बार फिर से आकाश की तारीफ और रश्मि के भाग्य की चारों ओर बातें होने लगी!!

अचानक रश्मि अपने ख्यालों से जागी जब आकाश ने आकर उसे झकझोर दिया!!

” कहां खोई हो  चलो एयरपोर्ट के लिए निकलना है , अपने भाई बहनों से मिल लो, मां पिताजी भी आ गए हैं” !!

एक बार फिर रश्मि इतरा गई…अपने भाग्य पर और सबसे मिलने नीचे आ गई, बड़ों के चरण छूकर आशीर्वाद लिया, बहनों के गले मिली और भरी आंखों से सबको देखती हुईं गाड़ी में बैठ गई!!

सिंगापुर पहुंचकर रश्मि सजे संवरे अपार्टमेंट को देखकर हैरान हो गई, बहुत खूबसूरत फ्लैट जिसे अब उसे ” घर ” बनाना था !!

शाम को आकाश उसे डिनर करवाने बाहर ले गया और खरीददारी भी करवाई, रश्मि अपनी क़िस्मत को सराहती रही, सपना सा पूरा हो रहा था आज, ईश्वर की मेहरबानी से!!

रश्मि तो जैसे जन्नत में पहुंच गई हो जैसे…… इतनी खुशगवार जिन्दगी की तो उसने कभी स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी!!

इसी तरह कुछ समय निकला…. रश्मि ने एक बात नोटिस की….. आकाश हमेशा उससे पूछता..

” पापा कब बना रही हो मुझे”

रश्मि धीरे से बोलती…. इतनी जल्दी क्या है? मैं तो सोच रही थी दो.. तीन साल के बाद सोचेंगे…. क्या? आकाश ज़ोर से चिल्ला पड़ा… तुमको सोचने के लिए किसने कहा.. मुझे जल्दी से जल्दी बच्चा चाहिए.”..

उसका ये रूप देख रश्मि स्तब्ध रह गई, कुछ बोलती उसके पहले…. आकाश ने बात संभालते हुए कहा…. ” मेरा मतलब है जल्दी ही एक नन्हा मुन्ना हमारे बीच आ जाए तो हमारा प्यार और भी गहरा हो जाएगा और तुम्हारा मन भी लगा रहेगा”, कहकर आकाश जल्दी से बाहर चला गया!!




रश्मि आकाश की बातों को बहुत देर तक याद कर सोचती रही, उसका ये रुप उसके लिए बहुत अजीब और अनोखा था…. शादी को अभी समय ही कितना हुआ जो इतनी जल्दी है पिता बनने की!!

बात आई गई हो गई फिर भी आकाश उससे बहाने से पूछता जरूर रहता था…….. रश्मि को अब कुछ कुछ शक भी होने लगा था….. और एक दिन उसका शक यकीन में बदल ही गया!!

ऑफिस जाते समय ब्रेकफास्ट करके आकाश ऑफिस के लिए निकला…. ब्रीफकेस, उठाया और हड़बड़ाहट में बाहर निकल गया, रश्मि टेबल साफ कर ही रही थी कि एकाएक फ़ोन की घंटी बजने लगी.. पहले तो वो असमंजस में रही… फोन उठाए या न उठाए…. कहीं आकाश गुस्सा न हो जाए फिर हिम्मत करके जैसे ही फोन उठाया …… दूसरी तरफ़ से इंग्लिश में एक लड़की की चिल्लाने की आवाज़ आई….. इतनी देर से फ़ोन क्यों उठाया, और क्या हुआ , तुम्हारी बीबी का…. प्रेगनेंट हुई कि नहीं…. बहुत हुआ, अब मैं अकेली नहीं रहूंगी, कबसे बोल रहे हो एक बच्चा हो जाए फिर दादाजी की वसीयत के हिसाब से प्रॉपर्टी तुम्हें मिल जाएगी.. फिर इस जाहिल गंवार को तुम रफ़ा दफा कर दोगे…. और कितना वेट करवाओगे?? आगे क्या बोली उसे कुछ सुनाई नहीं दिया……. दिमाग ने काम करना बंद कर दिया!!

इतना बड़ा धोखा इतना फरेब…. इसीलिए अमीरों के घर रिश्ता न कर मुझ गरीब को चुना.. जिससे अपना काम निकालकर मुझे रास्ते से हटा सके!!

रश्मि ने अपने को संभाला और ध्यान से सोचा, अब मुझे सोच समझकर चलना है वरना ये मुझे मार भी सकता है!!

दिन भर उसने सोचा और मन ही मन अपनी योजना बना ली!!

शाम को आकाश घर लौटा… रश्मि ने देखा वो कुछ परेशान और घबराया सा था…. आते साथ पूछा !!

” मेरा कोई फ़ोन आया था? तुमने उठाया तो नहीं न” ?




” आया तो था…. पर वो फर्राटेदार अंग्रेजी में बोले जा रही थी… मुझे कुछ समझ में आया ही नहीं ” कनखियों से रश्मि ने आकाश की ओर देखा….. वो काफ़ी राहत सा महसूस करता दिखा!!

अब रश्मि को जल्द से जल्द वहां से अपने देश पहुंचना था….. उसे हर कदम फूंक फूंक कर रखना था क्योंकि अगर आकाश को उसके मन की जरा भी थाह लग जाती तो उसकी जान को भी खतरा हो सकता था, वो रोज़ की तरह घर के काम करती रही, अपने चेहरे के भावों पर लेशमात्र भी अंतर आने न दिया!!

दूसरे दिन….. वो सोचती रही, किसे अपना हमराज बनाऊं, माता पिता को बताती तो वो कोहराम मचा देते, तुरंत ससुराल पहुंच जाते…. उसे हर कदम फूंक फूंक के रखना था.. किसी भी तरीके से हिंदुस्तान पहुंचना था!!

आज़ से ही उसने अपनी योजना का पहला कदम उठाने का सोचा, आकाश के आने के पहले ही खाना खा लिया… आकाश आया

उसने टेबल पर खाना लगाया, खाने भी बैठी

पर पहला निवाला मुंह में लेते ही जी मिचलाने की एक्टिंग शुरु कर दी… मुझे मितली आ रही है

अजीब सा लग रहा है, दिन में चक्कर से भी आ रहे थे…… क्या…. क्या कहा, जी मिचला रहा है

अरे वाह मतलब…… मतलब मैं पापा बनने वाला हूं…. खुशी से आकाश नाचने लगा, रश्मि !तुम आराम करो, मैं जूस लाता हूं तुम्हारे लिए




बरतन भी मैं साफ कर लूंगा, रश्मि को बैडरूम में

छोड़कर आया और तुरंत शर्ली को फोन लगाया

रश्मि दरवाज़े की ओट से देखती रही, वो खुश होकर प्रेगनेंसी की रिपोर्ट दे रहा था, आख़िरी शब्द रश्मि के कान में पड़ गए ” हमारी शादी को इतना समय हो गया, तुम मां बन नहीं सकती, तुम्हें मेरा परिवार अपनाता नहीं, देखो कितने पापड़ बेलने पड़े मुझे”!!

दांत पीसते हुए रश्मि बुदबुदाई ” बच्चू पापड़ तो मैं तुझे बिलवाऊंगी, हिंदुस्तानी लड़की को कमतर आंका तुमने, गरीब हूं साधारण शक्ल सूरत देखकर तूने मुझे और मेरे माता पिता को

धोखा दिया, तुझे तेरे किए की सज़ा मैं जरूर

दिलवाऊंगी”!!

उसके बाद रश्मि आकाश के सामने उल्टियां चक्कर के इतने ड्रामे करने लगी कि आकाश

परेशान हो गया!!

मौका देखकर रश्मि ने कहा ” सुनो! मुझे

घर भेज दो, खाने की खुशबू से मुझे मितली आती है, दिन भर चक्कर आते हैं, भूखी रहती हूं

ऐसे में हमारा बच्चा तो कमजोर पैदा होगा न”

” नहीं नहीं मैं बच्चे के लिए कोई रिस्क नहीं लूंगा

मैं फौरन तुम्हें लेकर इंडिया जाऊंगा, वहां तुम्हारी देखभाल अच्छे से हो जाएगी”!!




दो दिन बाद ही दोनो इंडिया अपने घर पहुंचे

रश्मि की आंखों में खुशी के आंसू थे, अपनी सूझ बूझ से आखिर वो अपने देश और अपनो के बीच आ गई!!

सबसे पहले उसने चुपचाप अपने घरवालों को फ़ोन करके बुलाया, फिर पुलिस स्टेशन फ़ोन करके सिलसिलेवार सारी बातें बताई , चूंकि ये काफ़ी संवेदनशील मामला था, एसपी साहब खुद आने वाले थे!!

रश्मि दम साधे सभी के आने का इंतजार कर रही थी…….. कुछ ही देर में एसपी साहब , अपने अधीनस्थ अधिकारियों के साथ घर को घेरने के बाद अंदर पहुंचे, रश्मि के घरवाले भी हैरान परेशान से हुए आ चुके थे…. आकाश और उसके घर वाले चौंक गए….. क्या बात है सर?

आप हमारे घर? आख़िर बात क्या है?

एसपी साहब ने रश्मि को सारी बातें बताने को कहा…… रश्मि की बातें सुनते सुनते उसके घर वालों की आंखें ताज़्जुब से फैल गई, इतना बड़ा धोखा! एक मासूम बच्ची की जिन्दगी बरबाद की…. तुझे शर्म नहीं आई नामुराद, पूरा परिवार आकाश को नफ़रत और हिकारत से देख रहे थे

आकाश सिर झुकाए खड़ा था, अपनी सफ़ाई में कहने के लिए उसके पास था ही क्या?

आकाश के परिवार वाले शर्मिंदा थे, रश्मि से हाथ जोड़कर माफ़ी मांग रहे थे,रश्मि  अपने माता पिता से बोली….”. मुझे अपने घर ले चलो मां” !!

“मैं बुरी तरह थक गई हूं” आकाश को पुलिस ने हिरासत में ले लिया, उसे जाते हुए देखकर रश्मि ने नफरत से कहा ” मैं मां नहीं बनने वाली हूं”

ये सच्चाई भी सुनते जाओ “!! आकाश बोलता भी क्या?  उसे पुलिस अपने साथ ले गई!!

एसपी साहब ने रश्मि की पीठ थपथपाई…. शाबाश बेटी… तुम्हारी समझदारी ने तुम्हें बचाया वरना ये इंसान न जानें तुम्हारे साथ क्या करता!!

” सर! हिंदुस्तान की बेटी हूं, आख़िरी दम तक कोशिश जरूर करती पर हार नहीं मानती!!




 रिश्ता! सोच समझकर करें, कुछ भी अलग सा लगे तो तहकीकात जरूर कराएं, रश्मि की क़िस्मत और प्रयास उसे सकुशल अपने घर ले आए पर, हमेशा ऐसा तो नहीं होता न? इसलिए

सोच समझकर अपने कलेजे के टुकड़े को किसी को सौंपे!!

फरेब 

#पांचवा जन्मोत्सव

कहानी no 3

प्रीति सक्सेना

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