एक पत्नी का दर्द(काश मेरी आंखे फूट जाती) – सपना शर्मा काव्या

माया और महेंद्र दोनो पति पत्नी थे।माया उस दिन भी रोज की तरह सुबह से  उठकर जल्दी- जल्दी अपने घर का काम निपटा रही थी।   

माया सीधे-सरल स्वभाव की बिल्कुल अनपढ़ महिला थी।और उसका पति महेंद्र भी अनपढ़ था ।

महेंद्र अपने बीवी और बच्चों से प्यार करने वाला और मेहनती आदमी था, वह सब्जी की दुकान लगाता था ।वह सुबह 4.00 बजे घर से खाली पेट निकल जाता था , सब्जी वाले सुबह जल्दी ही जागते है क्योंकि उनको पहले बड़ी मंडी से सब्जी लानी होती है। मंडी से आने के बाद महेंद्र सीधा दुकान पर आता और वही दोनो पति पत्नी एक साथ बैठ के चाय नाश्ता करते थे।

सुबह-सुबह माया बच्चों के लंच बनती थी। और साथ साथ अपने और अपने पति के लिए भी 2-2 नमक की रोटी और चाय बना लाती तब साफ-सफाई और दुकान लगाने के बाद दोनों एक-साथ नाश्ता करते थे। 

माया का पति  रोज सुबह 4:00 बजे ही मंडी के लिए निकल जाता था। और माया सुबह 7:00 बजे तक बच्चों को स्कूल छोड़ देती ।फिर माया भी सब्जी की दुकान पर पहुंच जाती वहां जाकर घर दुकान खोलती और झाड़ू साफ सफाई करती और बड़े प्यार से दुकान सजती।यह उसका रोज का काम था।

उस दिन भी रोज की तरह ही सुबह उठकर उसका पति मंडी चला गया ,और बच्चो को स्कूल छोड़कर माया दुकान पर आ गई ,उस रात पूरे इलाके में बिजली नहीं आ रही थी । सभी पूरी रात से परेशान थे। एक तो गर्मी ऊपर से लाइट ने खून पी रखा था।

रात से ही बिजली वाले ठीक करने की कोशिश कर रहे थे। पूरी रात बिजली की वजह से परेशान होने के कारण माया और महेंद्र आज जल्दी ही जाग गए और महेंद्र भी जल्दी मंडी चला गया  था जल्दी गया था। और माया का पति मंडी से जल्दी आ भी गया 6:45 बजे के आसपास उसने सोचा इतने माया आती है ।क्यों ना झाड़ू लगा ली जाए और वह झाड़ू लगाने लगा।



 थोड़ी ही देर  में माया भी आ गई,  महेंद्र को देख के माया हस के बोली आज तो मुझसे भी जल्दी आ गए। महेंद ने माया की तरफ झाड़ू लगाते हुए देखा और बस hmm कहा । तब माया ने दुकान खोली और सब्जी धोके लगाने लगी और उसका पति सड़क पर पानी से छिड़काव करने लगा  । माया ने बोला, सुनो नाश्ता ठंडा हो जाएगा नाश्ता कर लो।

महेंद्र ने हाथ उठा के बोला अभी झाड़ू लगाकर नाश्ता कर लेता हूं। जैसे ही महेंद्र थोड़ा आगे चला महेंद्र को ठोकर लग गई ।माया ने  देखा और बोली संभाल के चलना आगे बिजली का  तार टूटा पड़ा है देख  के ही चलना, महेंद्र ने हाथ उठा के वो बोले ,ठीक है। यह उसके पति के अंतिम शब्द थे। 

महेंद्र जैसे ही  मुडा उसका पैर बिजली के 440 वाल्ट के तार पर पड़ा तो महेंद्र की बहुत तेज चीख निकली पति की चीख सुनकर। माया ने अपने पति की तरफ देखा ,देखा तो वह झटके खा रहा था। इतने माया को कुछ समझ आता महेंद्र के शरीर में तीन धमाके हुए और वो खड़ा खड़ा जल गया। माया रोते-रोते पागल हो गई, वो अपने पति को बचाने के लिए दौड़ी लेकिन भीड़ ने उसे पकड़ लिया।

देखो, उस औरत की बेबसी कि वह अपने पति को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पा रही थी ।बस दोनों आँखो से अपनी ख़ुशियाँ लुटते हुए देख रही थी।देखते ही देखते एक ही पल में उसकी दुनिया उजाड़ है सारी खुशी तबाह हो गई,

और वो कुछ कर भी नहीं पाई सब कुछ अपनी आंखों से देखते हुए भी ,माया  रोते-रोते सिर्फ यही बोल रही थी, काश मेरी आंखें फूट जाती, यह सब देखने से पहले ,और वह होश संभाल के अपने देवर के घर की तरफ भागी जो कि  दुकान से कुछ दूरी पर था। वहां जाके बोली अपने भाई को बचा लो। और जमीन पर गिर गई। भाई ने जैसे ही सुना वह दुकान की तरफ भागा लेकिन जब तक सब खत्म हो चुका था बस महेंद्र का जला हुआ शरीर सड़क पे पड़ा था भीड़ ने उसको चारो तरफ से घेर रखा था और महेंद्र इस दुनिया को छोड़ के जा चुका था। जिसने भी उस घटना को अपनी आंखों से देखा वह सालों साल सदमे में रहा।और  माया लाश जिन्दा लाश……… 

                                                                       

                                                      ( सपना शर्मा काव्या )

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