मम्मी.. दिला दो ना प्लीज… हां मम्मी… प्लीज दिला दो ना.. मम्मी.. पक्का प्रॉमिस.. आज के बाद हम आपसे कुछ भी नहीं मांगेंगे,.. प्लीज.. हमें दिला दो ना..! कह दिया ना एक बार… नहीं.. तो मतलब नहीं… बस फालतू चीज नहीं! मम्मी.. बेटी सोनू और बेटे मोनू जो अभी 8-10 वर्ष के थे, की जिद पर मना कर रही थी! बच्चे भी जिद किस बात के लिए कर रहे थे.., एक छोटे से कुत्ते के बच्चे के लिए, रितु को घर के अंदर जानवरों से बेहद चिढ़ थी, किंतु बच्चे हैं कि समझते ही नहीं है! थोड़ी देर बाद फिर सोनू मोनू की ज़िद शुरू हो गई… मम्मी.. मान जाओ ना.. आप जैसा कहोगे हम वैसा ही करेंगे…
तभी ऋतु के पति राजीव भी वहां आ गए और बोले अरे… क्यों मना करती हो, ले लो ना, एक पप्पी… देखो तो सही, कितना क्यूट है, कितने प्यारे ब्राउन कलर के उसके बाल हैं, भूरी भूरी आंखें हैं, कैसा मासूम सा हमारी तरफ देख रहा है! पापा की बात सुनकर दोनों बच्चों को थोड़ी आशा बंधी, तभी रितु फिर बोली…. मैं इसे ले लूंगी किंतु फिर उसकी सुसु पॉटी कौन साफ करेगा, और इसने अगर मेरे बिस्तर पर चढ़ने की कोशिश की तो फिर देख लेना और राजीव इसका खाने पीने का ध्यान तुम रखोगे और हां मुझे किसी भी तरह की गंदगी घर में नहीं चाहिए.
जानवरों को पालना इतना आसान नहीं होता तुम इनको घर पर ले भी आओगे तो इनकी भी देखभाल एक घर के सदस्य जैसी करनी पड़ती है, हां मम्मी… हम कर लेंगे.. बस बच्चे तो खुशी के मारे पागल हो रहे थे, उनको तो अब किसी भी हालत में उसे पपी को घर लाना था, और आखिरकार वह बेजुबान घर में आ ही गया! बच्चे बड़े खुश होते थे उसे देखकर, बच्चों ने उसे बॉल खेलना, पकड़ना, खुशबू से चीजों को पहचानना सब सिखा दिया! बच्चों की खुशी देखकर रितु भी खुश होती रहती पप्पू भी बच्चों के साथ दिन भर मस्ती करता !
धीरे-धीरे ऋतु का भी लगाब उस बेजुबान से हो गया! तो अब क्यूट पप्पी की नामकरण की बारी आई, सभी ने अपनी तरफ से उसका एक नाम सुझाया, जिमी टॉमी ट्फी, किंतु रितु को कोई भी नाम नहीं भाया, फिर रितु ने उसका नाम टोनी रख दिया! अब घर में तीन बच्चे हो गए सोनू मोनू और टोनी! अब बच्चे जब स्कूल चले जाते तब टोनी ऋतु के आगे पीछे घूमता रहता, उसकी इतनी हिम्मत होने लगी की वह रितु के साथ-साथ उसके सोफे पर भी बैठ जाता! अब रितु को उसको अपने पास बैठना अच्छा लगने लगा!
रितु उसको घूमाने पार्क भी ले जाने लगी, धीरे-धीरे बच्चों से भी ज्यादा लगाव रितु को उस से हो गया और रितु भी उसकी देखभाल एक बच्चे की तरह करने लगी! रोजाना की तरह रितु अपने टोनी को पार्क ले जा रही थी तभी न जाने कैसे एक ट्रक ने टोनी को कुचल दिया, रितु तुरंत उसे अस्पताल लेकर भागी लेकिन टोनी दम तोड़ चुका था! टोनी को आए घर में सिर्फ 6 महीने हुए थे लेकिन वह घर के ही एक सदस्य की तरह प्यारा बन गया था! रितु रितु जब रोते हुए घर आई और साथ में टोनी को ना देखा तो सब ने पूछा… रितु … टोनी कहां गया.. रितु ने रोते हुए बताया… टोनी अब नहीं रहा, यह सुनकर दोनों बच्चे तो बिल्कुल मायूस हो गए और जोर-जोर से रोने लगे!
राजीव को भी टोनी के जाने से गहरा दुख पहुंचा था! उस दिन शाम को किसी ने खाना नहीं खाया! अगले दिन ना बच्चों के, ना ही राजीव के पीछे-पीछे टोनी दौड़ रहा था, बच्चे और रितु तो बार-बार में टोनी को आवाज लगाते , टोनी इधर आओ ,इधर आओ… किंतु टोनी तो होता, तब आता ना..? सबको टोनी की इतनी आदत पड़ गई थी कि अब उसके बिना जीना मुश्किल हो रहा था! आज उन्हें समझ में आया कि घर में हर सदस्य की कितनी अहमियत होती है, चाहे वह इंसान हो चाहे कोई बेजुबान!
धीरे-धीरे जिंदगी अपनी रफ्तार से बढ़ती रही और सब कुछ नॉर्मल सा होने लगा! किंतु टोनी की याद दिलों से नहीं जा रही थी! कुछ दिनों बाद सोनू का जन्मदिन आ रहा था किंतु सोनू ने इस बार जन्मदिन मनाने से मना कर दिया, उसका टोनी के बिना जन्मदिन मनाने का बिल्कुल भी मन नहीं था! जन्मदिन के दिन सुबह-सुबह ही उसके पापा बिल्कुल टोनी के जैसा छोटा सा पिल्ला लेकर घर आए और सोनू को उसका “बर्थडे गिफ्ट” कहकर दे दिया, यह देखकर सोनू खुशी से उछल पड़ी और जोर-जोर से चिल्ला कर कहने लगी…. मम्मी देखो… हमारा टोनी आ गया,
हमारा टोनी कहीं नहीं गया था, हमारा टोनी हमारे पास फिर वापस आ गया! राजीव और रितु सोनू को इतना खुश होते देखकर बेहद प्रसन्न हो रहे थे !आज उन्हें असली मायनो में टोनी की अहमियत समझ आ रही थी! और बच्चों ने उसका नामकरण फिर से टोनी कर दिया और आज पूरा परिवार अपने नए सदस्य का वेलकम कर रहा था! आज एक साथ दो बच्चों का जन्मदिन मनाया जा रहा था …सोनू और टोनी का! सोनू और टोनी दोनों ही अपने अपना गिफ्ट पाकर बेहद खुश थे! सच में टोनी की वजह से उनके घर में खुशियां वापस आ गई थी!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता अहमियत