एक अनजान ने मुझे सही राह दिखा दी – ममता गुप्ता

अपने भतीजी अंशु के जन्मदिन पर आई। शालिनी अपने ससुराल वापस जा रही थी..भैया भाभी शालिनी को रेलवे स्टेशन तक छोड़ने आये थे। ये क्या दीदी कुछ दिन औऱ रुक जाती..आपके भैया आपको अपनी गाड़ी से छोड़ आते..लेकिन आपको तो रुकने की फुर्सत ही नहीं है। अब कभी आओ तो फुर्सत से आना ताकि हम सब मिलकर दिल खोलकर मस्ती कर सकें..भाभी(हेमा ने कहा)।

शालिनी अपने भैया भाभी से बात कर रही थीं। कुछ समय पश्चात ही ट्रेन भी आ गई थी। भैया भाभी शालिनी के सामान को लेकर उसके डिब्बे तक गए। ट्रेन में भीड़ देखकर भाई(विमल) ने कहा-दीदी ट्रेन में बहुत भीड़ है, ट्रेन में भीड़ होंने की वजह से जगह मिल पाना मुश्किल है, आप ऐसा करो वापस घर चलिये ।जिसदिन मेरे ऑफिस की छुट्टी रहेगी मैं आपको छोड़ आऊंगा।

नहीं नहीं विमल भैया …थोड़ी देर में कोई न कोई सीट खाली होने पर मैं बैठ जाऊंगी, आप मेरी चिंता न करे। आप दोनों घर जाईये। शालिनी ने कहा।

ठीक है दीदी बाय… घर पहुचते ही कॉल कर देना भैया भाभी ने शालिनी से कहा।

शालिनी ट्रेन में इधर उधर अपने लिए बैठने की जगह देखने लगी। तभी भीड़ में से आगे निकली तो उसे खिड़की के पास एक चेहरे पर नकाब लगाए बैठी एक लड़की दिखी। उसने सीट पर एक बड़ा सा बेग रख रखा था। शालिनी ने उससे कहा-प्लीज़ क्या आप मुझे बैठने के लिए थोड़ी सी जगह दे सकती है..? आप यह अपना बैग नीचे रख ले ताकि मैं बैठ सकूँ। शालिनी ने बड़ी विनम्रता से कहा।

उस लड़की ने शालिनी को बैठने की जगह दे दी..! शालिनी ने उस लडकी को धन्यवाद करते हुए कहा-“तुमने इतनी भीड़ में और इतनी गर्मी में चेहरे पर नकाब क्यो लगा रखा है। इस नकाब को हटा लो ताकि गर्मी से थोड़ी राहत मिले।

उस लडक़ी ने शालिनी की बात को नजरअंदाज़ कर दिया..औऱ वह अपने फोन में लग गई।

बार बार उस लड़की का फ़ोन बज रहा था… कभी मैसेज कभी कॉल आ रहे थे..वह लड़की कॉल पर बार बार कह रही थी कि..जैसा तुमने कहा मैने वैसा ही किया.. हमारा प्लान सफल रहा…।

यह सब सुनकर शालिनी सोचने लगी ..लगता हैं कुछ गड़बड़ हैं..। “कही यह लडकी घर से भागकर तो नही आई..? क्योंकि उस लड़की की उम्र 18-19के करीब लग रही थी..। शालिनी ने उससे बात करके बात उगलवाने की कोशिश करने लगी।




“क्या नाम है तुम्हारा..? शालिनी ने कहा।

“मेरा नाम शीला हैं..?उस लड़की ने नाम बताया।

ओह्ह शीला… बड़ा अच्छा नाम है,

कहाँ जा रही हो तुम…क्या करती हो..? शालिनी ने पूछा।

उस लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया”

तभी उस लड़की का वापस कॉल बजा.. उसने कॉल काट दिया।

शालिनी को आभास हो गया था कि-यह लड़की जरूर घर से भागकर आई हैं… शालिनी ने बातो ही बातो में कहा”लगता हैं तुम घर से भागकर आई हो.. यह सुनकर उस लड़की के होश उड़ गए..!

“आपको कैसे पता” …उस लडक़ी ने कहा।

जिस तरह से तुम अपने पापा का कॉल काट रही हो…औऱ किसी दूसरे व्यक्ति से फ़ोन को उठाकर उसे प्लान सफल होने के लिए खुशी जाहिर कर रही हो…तो उस बात  से साफ प्रतीत हो रहा है कि”तुम घर वालो से नाराज हो। शालिनी ने कहा।

हा !मैं घरवालों से नाराज हूँ।। उनको क्या हक हैं… मेरी शादी के लिए लड़का देखने की…!क्या मेरी मर्जी…मेरी पसन्द कोई मायने नही रखती है…।शादी मुझे करनी है तो लड़का भी मेरी पसन्द का होना चाहिए ना… फिर क्यो माँ बाप हर वक्त बच्चो पर अपनी पसन्द लागू करते हैं…! उस लड़की ने कहा।

तुम मेरी बिटिया के जैसी हो…आखिर बात क्या है। ग़र तुम चाहो तो तुम अपनी बात कहकर अपना मन हल्का कर सकती हो…क्या पता तुम्हें भी सही दिशा मिल जाये। शालिनी से प्यार से कहा।




आंटी..!परसो मेरी शादी है। मैं यह शादी नही करना चाहती थी क्योंकि मै किसी औऱ से प्यार करती हूँ । मैंने अपने मम्मी पापा को भी उस लड़के के बारे में बताया जिससे मैं प्यार करती हूँ लेकीन उन्होंने कहा कि वह लड़का तेरे लिए ठीक नही है..? हम जीते जी अपनी बिटिया को नरक में नही ढकेल सकते..। लेकिन मै उस लड़के से प्यार करती हूँ औऱ वो लड़का भी मुझसे से सच्चा प्यार करता है,वो मेरे बिन मर जायेगा। मुझे अपनी जिंदगी का हक है, औऱ प्यार करने कबि

इसलिए मुझे यह कदम उठाना पड़ा। उस लड़की ने रोते हुए शालिनी से कहा।

बिटिया शालिनी बिल्कुल तुम्हे अपनी ज़िंदगी जीने का हक हैं लेकीन तुमने कभी यह सोचा है कि”माँ बाप अपने बच्चों का बुरा कभी नही सोचते है …अपने बच्चो को अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं..।उनकी खुशियों का ख्याल रखते हैं, बच्चो के लिए क्या सही हैं क्या गलत उन्हें सब चीजों का ध्यान रखना पड़ता हैं..। जो लड़का तुम्हारे माता पिता ने तुम्हारे लिए देखा है, तो उस लड़के में कुछ तो ऐसा नजर आया होगा उन्हें जो तुम्हे सुखी जीवन दे सकेगा।

माँ बाप जो हमारे लिए करते हैं अच्छा ही करते हैं..मान लो कभी उस लड़के ने तुमसे कुछ कह दिया तो तुम उस लड़के की शिकायत अपने माँ पापा से कर सकती हो..लेकिन जिस लड़के से तुम प्यार करती हो ग़र उस लड़के ने कभी तुमसे कुछ ऐसा वैसा कह दिया जिसे तुम बर्दाश्त नही कर पाओगी तो फिर तुम किससे कहोगी..क्योंकि अपने माता पिता को तुमने खुद ही दूर कर दिया…!

अच्छा बताओ जिस लड़के से तुम प्यार करती हो, वो करता क्या है…? शालिनी ने कहा।

कुछ नहीं करता …? लेकिन उसे कुछ करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।

क्योंकि मैं शादी के सारे गहने औऱ पापा ने जो मेरे नाम एफडी करवाई थी वह साथ लेकर आई हूँ…जब तक ये सब हैं जिंदगी मौज में कट जाएगी औऱ इतने मम्मी पापा भी हमारी शादी को स्वीकार कर लेंगे। उस लड़की ने ऐसे दम भरते हुए कहा जैसे बड़ा बहादुरी का काम किया है।

 

 

वाह बिटिया तूने तो भविष्य की पहले से ही प्लानिंग कर रखी हैं। ..शालिनी ने आश्चर्य से कहा।

तभी उस लड़की का फोन बजा-“अरे।जान सब सामान लेकर आई हो ना(उस लड़की के लवर का फोन आया)

हां !!मैं सब सामान लेकर आई हूं “जैसा तुमने कहा वैसा”




लेकिन तुम बार बार यही क्यो पूछ रहे हो…?उस लड़की ने कहा।

कुछ नही मुझे तुम्हारी फिक्र हैं, कही मेरी जान कोई मुसीबत में न फ़स जाएं… कही कोई चोर तुम्हारे पीछे न पड़ जाए।(उस लड़की का लवर बनावटी बातें बनाने लगा)

उस लडक़ी के लवर की बात सुनकर शालिनी को समझ आ गया था कि वह लड़का इस लड़की से नही इसके पैसों से प्यार करता है… शालिनी उस नादान लड़की को बचाना चाहती थी क्योंकि शालिनी जानती थी कि यह उम्र ऐसी ही होती है, लड़के लड़किया चंद मिंटो कीबातो को सच्चा प्यार समझने की भूल कर बैठते हैं…! उनकी इस भूल का खामियाजा बेचारे माँ बाप को भुगतान पड़ता हैं …शालिनी को कुछ समझ नही आ रहा था…लेकिन वो उस लड़की की आंखे खोलना चाहती थी कि”वो अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती करने जा रही है ..!

तभी शालिनी के दिमाग मे एक विचार आया-“उसने उस लड़की(शीला) से कहा-अरे वाह!! तुम्हारा लवर तो तुम्हे बहुत प्यार करता है… कभी तुमने तुम्हारे लवर की परीक्षा ली है या नही की,जैसे फिल्मों में लेते हैं… शालिनी ने हंसते हुए कहा।

नही आंटी!!उस लड़की ने शर्माते हुए कहा।

चलो तो आज उसकी परीक्षा लेते हैं… क्या विचार हैं इस बारे में तुम्हारा…शालिनी ने कहा।

वो लड़की भी शालिनी के इस विचार से सहमत हो गई…औऱ बड़े गर्व से बोली कि देख लेना मेरा लवर जरूर परीक्षा पास कर लेगा। लेकिन करना क्या है। उस लड़की ने पूछा।

कुछ नहीं करना… बस तुम्हे नाटक करना है..!बस रोते हुए उस लड़के को कॉल करो कि “तुम वॉशरूम गई थी औऱ जब तक आई तब तक वो गहनों से भरा बैग अपनी जगह से गायब हो गया। जो भी तुमने लाने को कहा सबकुछ उसी बेग में था…अब मै क्या करूँ..? शालिनी ने उस लड़की को समझाते हुए कहा..!

अरे वाह!!यह तो बड़े मजेदार हैं। औऱ जैसे शालिनी से उसे बोलने के लिए कहा उसने कॉल करके वैसे की वैसे अपने लवर(मोहित) से कहा।

हैलो मोहित…(वो लड़की रोते हुए)

क्या हुआ तुम रो क्यो रही हो..? (लवर मोहित)

मोहित जिस बैग में सारे गहने औऱ पैसे थे वो सब चोरी हो गया…(उस लड़की ने रोते हुए कहा)

क्या….पर कैसे…? आश्चर्यजनक होते हुए लवर मोहित।

मै वॉशरूम गई औऱ फिर आकर देखा तो बैग ग़ायब था.

अब क्या करेंगे हम…? उस लड़की ने कहा।

क्या करेंगे मतलब…तुम अपने घर वापस लौट जाओ।। औऱ अबकॉल मत करना। लवर मोहित ने फोन काटते हुए कहा।




यह सुनकर उस लडक़ी के होश उड़ गए… औऱ शालिनी को खुशी थी कि उसका प्लान सफल हुआ।

ऐसा कैसे हो सकता है… मैं मोहित को कॉल करके बता देती हूँ कि मेँ तो मजाक कर रही थी(उस लड़की ने कहा)

पागल हैं क्या…?तुझे अब भी समझ नही आया कि वह लड़का तुझ से नही तेरे धन दौलत से प्यार करता है…वो बस तुझसे तेरा पैसा हड़प कर तुझे छोड़ देता…क्योंकि उसे पता है कि माँबाप को तो तुम छोड़ ही आई हो… वापस जाने का कोई तुम्हारे पास रास्ता नही है…! अबभी वक्त है अपने घर वापस लौट जाओ तुम्हारे माता पिता तुम्हारी राह देख रहेंगे होंगे…।

देख बिटिया मैं तो तेरे लिए अनजान हूं औऱ तू मेरे लिए लेकिन  किसी भटके हुए को सही राह दिखाना हमारा फ़र्ज हैं औऱ मैने अपना फर्ज निभाया अब तुझे किस राह पर जाना है यह तुझे तय करना है… एक औऱ जन्म देने वाले माँ बाप हैं औऱ दूसरी औऱ चंद पल की खुशियों ।

शालिनी ने उसे समझाते औऱ डाँटते हुए कहा

उस लड़की को शालिनी की बाते अच्छे से समझ आ गई..औऱ उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था कि वह बिन सोचे समझे कितनी बड़ी गलती करने चली थी..!उसकी इस गलती से उसके माँ बाप का सिर जीते जी झुक जाता। समाज औऱ दुनिया उन्हें जीने नही देते। लेकिन आज सही समय पर अपनी गलती का अहसास होने से सब कुछ ठीक हो गया।

उस लड़की ने शालिनी को धन्यवाद दिया…और कहा आंटी आपका बहुत बहुत धन्यवाद मुझे सही औऱ ग़लत में अंतर बताने के लिए…औऱ मुझे सही राह दिखाने के लिए।

मैं वापस घर लौट जाऊँगी। अपने मम्मी पापा के पास।

शालिनी ने उस लड़की का माथा चूमते हुए कहा-मैं खुश हूँ कि तुम्हे इस बात का अहसास हो गया। औऱ आशा करती हूँ कि भविष्य में तुम कभी भी बिन सोचे समझे गलत राह पर नही जाओगी।

हां आंटी मै कभी कभी कोई गलत कदम नही उठाएंगी। यह वादा रहा…एक वादा आप भी कीजिए कि आप परसो मेरी शादी में जरूर आओगी। उस लड़की ने शालिनी के गले लगकर कहा।

शालिनी औऱ उस लड़की को एक ही स्टेशन पर उतरना था वह लड़की औऱ शालिनी दोनो ने एक दूसरे से वादा किया औऱ चल दी अपनी अपनी मंजिल(घर) की औऱ।

शालिनी खुश थी कि उसने एक भटके हुए को सही राह दिखाई। औऱ किसी के जीवन को बिखरने से बचा लिया।

दोस्तों आपको मेरी कहानी कैसी लगी बताना जरूर। लाइक कमेंट्स जरूर करना औऱ फॉलो भी।

यह कहानी पूर्णयता मौलिक व स्वरचित है।

ममता गुप्ता

 

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