अहसास – कमलेश राणा : Moral Stories in Hindi

आज तो दर्द के मारे कमर फटी जा रही है जोश – जोश में लगे रहे सारे दिन अब तो उठने की भी हिम्मत नहीं बची। यह भी ठीक है कि कल इतवार है तो जल्दी नहीं रहेगी उठने की क्योंकि सबकी छुट्टी रहेगी। 

चाहे जितना कराहते रहो कोई यह पूछने वाला नहीं है कि क्या बात हो गई। 

अरे इशिता.. जरा आयोडेक्स लगा देना कमर में बहुत दर्द हो रहा है। 

आई मम्मी.. बस अब ठीक है। 

ठीक ही है…अब क्या कह सकते हैं उसे भागने की ऐसी जल्दी थी कि कब मैं मना करूँ और उसका पीछा छूटे और उनके पिताजी ने तो करवट बदल कर यह भी नहीं पूछा कि क्या परेशानी है। 

मम्मी मेरे कॉलेज में कैंपस है आज आपने उठाया नहीं। 

कुसुम मेरी भी मीटिंग है जल्दी से नाश्ता बना दो तो मैं निकलूँ। 

रवि तुम कहाँ के लिए तैयार हो गये आज तो सन्डे है। 

वो पापा आज मेरा फाइनल मैच है तो उसके लिए जल्दी जाना है। 

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अब ये राम जी से न जाने कौन सी दुश्मनी है हमारी कि छुट्टी में भी चैन नई लेने देते। उठ रहे हैं भाई खड़ा नहीं हुआ जा रहा तो भी कोई यह नहीं कहने वाला कि तुम आराम कर लो। आजकल बिटिया भी तो जाने कैसी हो गई हैं जिन्हें जरा भी तरस नहीं आता माँ पर। 

अरे कितनी देर में मिलेगा नाश्ता या भूखे ही चले जाएं तुम्हें तो रोज ही कुछ न कुछ होता ही रहता है। 

ला तो रहे हैं अब बीमार हैं तो धीरे ही तो कर पाएंगे काम। कभी- कभी तो ऐसा मन होता है कि जल्दी पैदा हो के गलती कर दी आज के जमाने में पैदा होते तो पहले ही फोन पर रोज बातें करके अच्छे से परखने के बाद ही ब्याह करते और इन जैसे रूखे आदमी से तो कतई नहीं । 

अब क्या बड़बड़ा रही हो अकेली जल्दी ले आओ भी अब। 

जैसे ही नाश्ता ले के पहुंचे टी वी में बड़ा ही अच्छा गाना बजने लगा.. 

कोई कैसे इन्हें समझाए सजनियाँ के दिल को अभी इंकार है

जाने बलमा घोड़े पे क्यों सवार है। 

हाय दैया ये तो हमारे दिल की बात कह दी इसने तो। हमने तिरछी नज़र से इनकी तरफ देखा पर इन्हें तो कोई फरक ही नहीं पड़ा। 

ग़ुस्सा तो आ ही रही थी भयंकर.. हमने टी वी का रिमोट उठाया और फुल आवाज करके चले गये किचिन में और वहीं से देखने लगे कि किसी की समझ में कुछ आया कि नहीं। तभी सब एक- दूसरे का मुँह देखकर बोले.. 

ये क्या हुआ… 

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आज तो मम्मी गुस्सा हो गई तुम्हारी हमें उनकी परेशानी समझनी चाहिए आखिर वह भी तो सारे दिन लगी रहती हैं हम सबके काम करने में।उनको ऐसा नहीं लगना चाहिए कि #मेरे बीमार होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है। 

कसम से बस इतनी बात सुनके ही छाती सिरा गई हमारी और जिसने यह गाना लिखा हमने उसे बहुत सारे आशीष दिये।हे रामजी सदा खुश रहे वो .. चलो कोई तो है इस संसार में जिसने औरतों के मन की पीड़ा समझी

स्वरचित एवं मौलिक

कमलेश राणा

ग्वालियर

#मेरे बीमार होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।

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