दूरदर्शन – गुरविंदर टूटेजा 

महिमा व अजय की आज शादी को पच्चीसवीं साल हो गये थे….महिमा ने कहा आज वो समय याद आ गया जब हमारा आँखों ही आँखों में हुआ प्यार परवान चढ़ा था..वो भी भीड़ के बीच में पता ही नहीं  चला कि कब जादुई डिब्बें का जादू हम पर चल गया…और वो बच्चों को बताने लग गयी…..

  सुधा ने अपनी सहेली को आवाज लगाई…अरे कविता जल्दी  मेरे साथ चल वो महिमा(सरपंच जी की बेटी) के घर पता नहीं कौनसा डिब्बा लाएँ हैं उसमें चलते-फिरते चित्र दिख रहें हैं व बोल भी रहें हैं…!!!!

सुधा क्या हो गया तुझे…ऐसा कभी होता है क्या…भूत-बूत देख लिया लगता हैं तूने..!!

तू चलकर खुद ही देख ले इतनी भीड़ लग रही है पूरा गाँव इकठ्ठा हैं वहाँ….दोनो सरपंच जी के घर आ गई..कविता सही बोल रही है तू ये तो जादुई डिब्बा लग रहा हैं…पर देखते में मजा आ रहा हैं…!!!! 

   अब तो सबका रोज का काम हो गया था बस टी वी चालू होते ही सब वहाँ इकठ्ठे हो जाते थे कई तो पहले ही इंतजार में कि कब चालू होगा वही खड़े रहते…सुनीता ने जब पहली बार देखा तो दूरदर्शन का चक्र घूम रहा था उसकों वो देखते-देखते चक्कर ही आ गए…!!!!

  सुधा ने कहा..बहुत मजे आ रहें हैं ना कभी चित्रहार व खबरें देखतें…फिर रामायण व महाभारत चालू हो गया तो ऐसा होता कि पूरे गाँव में सन्नाटा होता था एक तरफ औरतें तो दूसरी तरफ आदमी बैठतें थे…एक बार रामायण चालू हो गया और रघु को आने में देर हो गई तो उसका ध्यान टी वी में था और टकराकर औरतों के बीच गिर गया…!!!!




 पहले तो सब घबरा गए वो भी बेचारा शर्म को मारे कुछ बोल ही नहीं पाया….सबका हँस-हँस कर बुरा हाल था…!!!!

    सबके साथ दूरदर्शन देखने अजय भी महिमा के घर आता था…पता ही नहीं चला जिसके घर आता हैं उसी से प्यार हो गया सबके बीच आँखों में बातें हुई, फूल का लेन-देन हुआ और प्यार हो गया दोनों के घर पर पता चला परिवार वालों को भी पंसद आ गयें बस शादी हो गई…पूरे गाँव में फेमस हो गया हमारा दूरदर्शन वाला प्यार…!!!!

 फिर सीरीयल भी बहुत सारें बुनियाद, हम लोग,मालगुडी डेज, ये जो है ज़िन्दगी, नुक्कड़,भारत एक खोज और भी बहुत सारें बहुत मजा आता था धीरे-धीरे सबके अपने घर में टी वी आ गए…सबसे ज्यादा मजा एन्टिना हिलाने में आता था..आया कि नहीं…!!!!सच बहुत प्यारा दौर था वो…!!!!

   अजय ने कहा…अरे बच्चों मुझे भी कुछ बताना है कि ये तुम्हारी मम्मी अपने घर में टी वी होने की बहुत धौंस दिखाती थी…शादी के बाद भी सुनाती थी मेरे घर आतें थे…तुम ही मेरे पीछे पड़े थे…!!!!

   बच्चों ने कहा कितना प्यारा था आपका दूरदर्शन वाला प्यार…आज वैसा वक्त क्यूँ नहीं है…काश हमें भी मिलना वैसा वाला प्यार…सो रोमांटिक….!!!!

#5वां_जन्मोत्सव 

#कहानी नं.-3

अप्रकाशित

मौलिक व स्वरचित©®

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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