Moral stories in hindi : पिछले तीन साल से मैं और संदीप ममता दी से राखी के एक सप्ताह पहले से पूछते आप आ रही हो या हम बच्चों के साथ चार दिन के लिए आ जाएं.. और ममता दी (मेरी बड़ी ननद) कभी बोलती सुमित (छोटा भाई)के पास जा रही हूं, उसने फ्लाइट का टिकट भेजा है.. कभी बोलती मेरी ननद ननदोई दुबई से आ रहे हैं.. और हम मन मसोस कर रह जाते…
दो भाईयों की इकलौती बहन ममता दी.. संदीप इस बार बोले दीदी नही आयेगी तो तुम्हारे पीहर चलेंगे राखी में.. बच्चे भी खुश हो जायेंगे और तुम भी अपने भाई को राखी बांध कर खुश हो जाओगी..
और इस बार भी ममता दी ऑनलाइन राखी और हल्दीराम का सोनपापड़ी भेज कर नही आने की अपनी असमर्थता जाहिर कर दी…
संदीप उदास हो गए.. मै अतीत में खो गई.. दोनो भाइयों से बड़ी थी ममता दी.. उनकी शादी पहले हो गई थी.. जीजाजी बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजीनियर थे.. सुमित सिंचाई विभाग में इंजीनियर हो गया.. और संदीप बैंक में क्लर्क..
तीनो भाई बहन में खूब प्यार था.. मुझे अच्छा लगता आपस का ये प्यार..
अचानक जीजाजी की छंटनी हो गई उस कंपनी से..
सुमित की उसी साल नई नई शादी हुई थी..
दीदी बहुत दुखी थी और जीजाजी बेहद परेशान ..
संदीप मां बाबूजी सब दुखी थे.. बहुत सोच विचार कर जीजा जी से बात कर सभी इस निष्कर्ष पर पहुंचे, जीजाजी को व्यापार में रुचि है.. पर उसके लिए पूंजी चाहिए.. दीदी को उदास नहीं देख सकते थे संदीप..
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मेरे और मां के गहने बच्चों के बचत के कागज और कुछ पैसे ब्याज पर लेकर जीजाजी का काम शुरू हुआ.. सुमित की शादी तुरंत हुई थी इसलिए उससे कोई कुछ नही बोला.. नई बहू क्या सोचेगी..
दीदी हमेशा बोलती सबसे पहले तेरे गहने वापस करूंगी.. इनका व्यापार चलने लगेगा तब.. क्योंकि हर स्त्री को अपने गहने बहुत प्रिय होते हैं.. तू बहुत अच्छी है..
संदीप ने दोनो बच्चों का एडमिशन भी यहीं करवा दिए दोनो के पढ़ाई के खर्च वही उठाते.. खर्च बढ़ने के कारण मैने भी डीएवी स्कूल ज्वाइन कर लिया..
शुरू शुरू में बहुत परेशानी हुई.. सुमित अपने परिवार के साथ जहां पोस्टिंग थी चला गया.. दीदी और बच्चे यहीं थे.. जीजाजी अहमदाबाद चले गए अपने व्यापार को शुरू करने के लिए.. संदीप के कुछ दोस्त वहां थे उन्होंने जीजाजी की बहुत मदद की.. पांच साल दीदी और बच्चे हमारे साथ रहें.. हमलोग उनका पूरा ख्याल रखते.. दीदी कहती पिछले जनम का कोई पुण्य हीं है जो मुझे ऐसा मायका और ऐसे भाई भौजाई मिले हैं.. मेरी बहन भी होती तो इतना नही करती जितना तू करती है मेरे लिए बच्चों के लिए..
जीजाजी का व्यापार अच्छे से चलने लगा.. दीदी और बच्चे चले गए.. संदीप का पोस्टिंग भी दूसरे शहर में हो गया..दो तीन साल तक राखी में दीदी आई.. दो बार हमलोग गए.. बच्चे खूब खुश होते बुआ के यहां जाकर..
संदीप से मैने एक दो बार कहा अब तो जीजाजी अच्छा कमाने लगे हैं मेरे गहने…. संदीप बोले जाने दो मांगना अच्छा नहीं लगेगा.. मैं धीरे धीरे बनवा दूंगा.. मैं चुप रह गई..
जीजाजी का व्यापार खूब अच्छा चलने लगा था.. इनके दोस्त बताते.. नई गाड़ी नया घर सबकुछ उनके पास था पर मेरे गहनों और बच्चों के नाम पर खोले बचत खाते के पैसे पर कभी बात नहीं करते..
अब सुमित और ममता दी में खूब पट रहा था..
मैं खुश थी कि राखी में इस बार पीहर जाऊंगी पर संदीप की उदासी देख दुःखी भी थी..
इनके दोस्त रजनीश अपनी पत्नी और बहन को लेकर शाम को मिलने आए.. रजनीश की बहन रानी अहमदाबाद से आई थी राखी बांधने..
शो केस में सुमित संदीप और बीच में ममता दी की तस्वीर देख चौंक गई रानी.. पास जाकर देखा.. पूछा इनका नाम ममता है… ये हमारे किट्टी ग्रुप में हैं.. इनका तो एक हीं भाई है.. आपके विषय में तो कभी चर्चा हीं नहीं की.. मैं रानी को लेकर किचेन में चली गई.. संदीप का चेहरा उतर गया था..
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रानी ने बताया परसों इनके यहां किट्टी में हमलोग गए थे.. ममता बता रही थी उसका छोटा भाई अपने परिवार के साथ राखी में आ रहा है.. उसने वीडियो कॉल कर डायमंड का हर जिसमें रूबी पुखराज लगे हुए हैं लिया है मेरे लिए और कांजीवरम की महंगी साड़ी.. बच्चों और इनके लिए भी ढेर सारा उपहार.. अगली किट्टी में मैं वही हार पहन के आऊंगी.. सुमित उसकी पत्नी और बच्चों के लिए मैने भी कल बहुत शॉपिंग की.. जो जैसा देगा वापस भी उसी स्टैंडर्ड का करना होगा..
फिर हमलोग दो दिन के लिए सिंगापुर जायेंगे घूमने.. बहुत मजा आयेगा.. दूर के रिश्ते का एक भाई भाभी हर राखी में बुलाते हैं.. मैं मना कर देती हूं.. सस्ती सी साड़ी और ग्यारह सौ रुपए.. इससे ज्यादा तो हम अपने स्टाफ को त्योहार पर दे देते हैं.. जाने आने में समय और पैसे की बरबादी.. एक दो बार बुलाया सोचा दूर का सही पर बहन मानता है बुला लेते हैं..
उसके बीबी बच्चे यहां आते हीं पूरा गंध मचा देते हैं.. यहां घूमना है ये खाना है ये चाहिए वो चाहिए.. और जाते समय महंगे उपहार भी..बच्चे कहते हैं क्यों बुलाती हो इन्हे मम्मा..अगली बार हमलोग कहीं चले जायेंगे बुलाया तो..घर के स्टाफ भी हंसते हैं.. इसलिए अब टाल देती हूं.. पकौड़े के लिए प्याज छीलती मैं और आंखों से अनवरत गिरते आसूं.. रानी बोली भाभी आप के आंख से इतना पानी गिर रहा है.. मैने कहा प्याज में झांस बहुत है आंखों में लग रहा है… जी कर रहा था जोर जोर से रोऊं..
आज ममता दी मेरी ओर संदीप की #आंखों से गिर चुकी हैं #
पैसे और ऐश्वर्य ने उनकी आंखों पर स्वार्थ की जो पट्टी बांध दिया है जिस दिन हटेगी बिल्कुल अकेली हो जाएंगी..
प्रेम स्नेह और आदर आज सब कुछ ममता दी खो चुकी हैं..
इस राखी बहन का ये रूप मैने देखा जिसकी कल्पना मैं और संदीप दोनो ने कभी नहीं किया था..
रक्षाबंधन के पावन पर्व को ममता दी ने स्वार्थ और व्यापार का पर्व और बंधन बना दिया..
#स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #
#आंखों से गिरना#(आदर भाव कम होना)
Veena singh