दोगला और निर्लज्ज – गीता वाधवानी

कमरे के दरवाजे पर ठक -ठक की आवाज सुनकर नई नवेली दुल्हन करुणा की आंख खुल गई। उसने देखा कि सुबह के 9:00 बज रहे हैं।  उसने दरवाजा खोला तो सामने सास खड़ी थी, उसे लगा कि शायद देर हो जाने के कारण वह उन्हें जगाने आई है, और वह तो दरवाजा खुलते ही धड़धड़ाती हुई उनके कमरे में  आ गई और पीछे-पीछे ससुर धर्मचद भी घुस कर आ गए, वह भी सिर्फ कमर पर तौलिया  लपेटे हुए, करुणा को बहुत अजीब लगा पर वह चुप रही। उसकी सास ने अलमारी खोलकर ससुर के कपड़े निकाले और दोनों कमरे से बाहर चले गए। 

इतनी देर में करुणा का पति भी जाग चुका था। उसने करुणा की हैरानी को समझते हुए कहा-“शादी के चक्कर में पूरा घर फैल गया है इसीलिए पापा की अलमारी यहां रखी है।” 

बात आई गई हो गई। करुणा पग फेरे के लिए तैयार हो चुकी थी। उसके ससुर धर्म चंद ने कहा-“बहू, तुमने नकली गहने क्यों पहने हैं, पहली बार मायके जा रही हो, हमारी बेइज्जती करवाओगी क्या, सारे नकली गहने उतारकर, सोने के गहने पहनकर जाओ।” 

करुणा-“नहीं पापा जी, मेरी मम्मी को कोई फर्क नहीं पड़ता इस बात से और फिर हमें टैक्सी में जाना है। मुझे डर भी लगता है।” 

ससुर-“नहीं, तुम्हें मेरी बात माननी होगी।” 

करुणा ने ससुर की बात मानकर सोने के गहने पहन लिए और ऊपर से शॉल ओढ़कर सारे गहनों को अच्छे से ढक लिया। पति-पत्नी टैक्सी से निकल पड़े। 

उधर करुणा के ससुर ने करुणा के मायके में फोन किया और कहा-“आपकी बेटी बहुत जिद्दी है। मैंने मना किया कि रास्ते में सोने के गहने पहन कर जाना सही नहीं है। जान का खतरा होता है फिर भी वह नहीं मानी और सारे जेवर पहनकर आपके पास आ रही है। जबरदस्ती मैंने उसे गहनों के ऊपर शॉल पहनने को कहा, आपके पास आएगी तो आप उसे समझाना।” 




उसके मायके में सब हैरान हो गए क्योंकि उन्हें पता था कि करुणा ऐसी जिद करने वाली लड़की नहीं है। 

मायके पहुंचने पर उसकी बड़ी बहन और मम्मी, जीजा जी सब ने समझाया। यह सब सुनकर वह तो हैरान रह गई। उसके ससुर ने सारा दोष उस के मत्थे मढ़ दिया था। 

यह बात भी यहीं खत्म हुई। पग फेरे के लिए जाते समय करुणा की सास चंचल ने करुणा और अपने बेटे से कहा था-“देखो करुणा, तुम्हारी शादी से कुछ दिन पहले ही तुम्हारे पिताजी का देहांत हो गया था और तुम्हारे भाई के पास इतना पैसा नहीं है इसीलिए तुम अपनी मम्मी से कहना कि शगुन का सिर्फ ₹11 ही दे। बाकी कोई खर्चा ना करें।” 

उसके बाद उन्होंने उसके मायके में भी खर्चा ना करने की और सिर्फ ₹11 देने की बात कही थी। 

लेकिन बेटी के पहली बार घर आने पर कोई भी ऐसा नहीं करता कि बेटी सिर्फ ₹11 लेकर ससुराल जाए। इसीलिए करुणा की मम्मी ने 2 किलो मिठाई, बेटी दामाद के कपड़े, एक 1 किलो बादाम और काजू, साथ में ग्यारह सौ रुपए देकर बेटी दामाद को विदा किया। 

ससुराल वापस पहुंचते ही दरवाजे पर ही उसकी सास ने पूछा-“देखूं क्या दिया है तेरी मां ने?” 

करुणा ने सामान दिखाया। तब उसके सास ससुर ने मुंह बनाकर कहा-” हुं, बस यही दिया है कंगालों ने।” 

इतना कुछ होने पर भी करूणा का पति 

कुछ नहीं बोलता था। इस बात पर करुणा को बहुत गुस्सा आता था। करुणा ने अपने पति से कहा-“पहले तो रिश्ता तय करते समय पापा मम्मी ने कहा था कि हमें कुछ नहीं चाहिए। हमारे घर में सब कुछ है। तब भी मेरी मम्मी और जीजा जी ने बहुत कुछ दिया, जितना भी दे सकते थे। अब आप कुछ बोलते क्यों नहीं। मुझे हर बात में क्यों ताने सुनने पड़ते हैं?” 




करुणा के ससुराल में किसी भी कमरे के साथ अटैच बाथरूम नहीं था। एक ही कॉमन बाथरूम था। रात को जब करुणा उठकर बाथरूम में जाने लगी, तब दरवाजा खोलते ही देखकर अचानक डर गई कि उसके ससुर उनके कमरे के दरवाजे पर कान गड़ाए खड़े थे। उसको देखते ही हड़बड़ा गए और बोले-“मुझे लग रहा था कि तुम्हारे कमरे का टीवी ऑन रह गया है और तुम लोग सो गए हो बस इसीलिए सुन रहा था।”ऐसा कहकर अपने कमरे में चले गए। 

सुबह करुणा ने अपने पति को बताया तो वह चुप रहा। दूसरी रात करुणा बड़ी सावधानी से बाहर निकली, जैसे ही उसने बिजली के स्विच की तरफ हाथ बढ़ाया उसके ससुर ने उसे गलत तरीके से स्पर्श करने की कोशिश की। वह उन्हें धक्का देकर अपने कमरे में भाग गई। पूरी रात उसे डर के मारे नींद नहीं आई। सुबह अपने पति के उठते ही उसने उसे पूरी बात बताई। तब भी वह चुप रहा। थोड़ी देर बाद जब करुणा नहा कर आए तब उसने देखा कि उसका पति, फोन पर अपनी विवाहित बहन से कुछ बात कर रहा था, फिर वह फोन रखकर नहाने चला गया। 

उसके जाने के बाद बहन का फिर से फोन आया। तब करुणा ने फोन उठाया और उसके हेलो बोलने से पहले ही उधर से आवाज आई,”भाई, पापा फिर अपनी गंदी हरकतों पर उतर आए हैं, और तू भाभी को नहाने जाते समय भी सचेत रहने के लिए बोल दे। तू अब अपना दब्बू पना छोड़कर होशियार हो जा, इस कारण तेरा पहले भी एक रिश्ता टूट चुका है।” इतने में फोन कट गया। 

करुणा के पैरों तले तो जमीन ही खिसक गई। एक रिश्ता पहले टूट चुका है यह तो हमें पता ही नहीं था और नहाते समय की क्या बात हो सकती है। करुणा सोच में डूब गई थी। 

अगले दिन जब वह नहाने जा रही थी तब बाथरूम के दरवाजे पर लगे एक स्टीकर पर उसकी नजर गई। उसने स्पीकर को हल्का सा उतार कर देखा। स्पीकर के नीचे लकड़ी के दरवाजे में छोटा छेद बना हुआ था। अब कुछ कुछ बात उसकी समझ में आ रही थी। उसने अंदर जाकर उस स्पीकर वाली जगह पर अपना तौलिया टांग दिया और फिर नहाई। 

उसने अपने पति से पूछा -“आपका एक रिश्ता पहले टूट चुका है, आप लोगों ने हमें नहीं बताया।” 

पति-“हां सगाई के बाद रिश्ता टूट गया था। बताने से क्या होता।” 

करुणा ने गुस्से में कहा-“और बाथरूम वाली क्या बात है, जो आपकी बहन आपसे कह रही थी। क्या आपके पापा बाथरूम के दरवाजे पर बने हुए छेद में से लोगों को नहाते हुए देखते हैं?” 

पति-“हां, तो क्या हुआ ,मेरे पापा ही तो है।”

अपने पति से ऐसा जवाब सुनकर करुणा हैरान रह गई और उसने अपनी सास से शिकायत की। तब उसने कहा-“ऐसा कुछ नहीं है, तुम बकवास कर रही हो और तुम बिल्कुल झूठ बोल रही हो।” 

करुणा कुछ दिन के लिए मायके चली गई और वहां रहकर वह बहुत उदास रहती थी। घरवालों के बहुत जोर देने पर उसने पूरी बात बताई। बहुत सोच विचार करने पर भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए। 

ससुराल वालों के साथ बातचीत की गई लेकिन वह लोग सारी बातों से मुकर गए। करुणा ने सोचा शायद अब सब ठीक हो जाए। इसीलिए वह चुपचाप ससुराल में रह गई। एक रात उसके पति ने उससे कहा-“आज रात मैं देर से घर आऊंगा क्योंकि ट्रक में माल भरवा कर भेजना है। बाहर का दरवाजा तो मम्मी खोल देंगी पर तुम हमारे कमरे का दरवाजा खुला ही रखना, ताकि मेरे आने पर तुम्हारी नींद खराब ना हो।” 

करुणा ने देखा कि उसका पति पहले घर से निकला और वह यह देखकर हैरान रह गई कि 10 मिनट बाद ही वह छुपता हुआ वापस आया और अपनी मां के कमरे में जाकर सो गया। करुणा को कुछ खतरा नजर आ रहा था। वह अंदर गई और अपने कमरे की अंदर से कुंडी लगा कर सो गई। 

आधी रात को किसी ने उसके कमरे के दरवाजे को जोर से धकेला पर वह खुला नहीं। बाहर से करुणा का ससुर ही दरवाजा खोलने की कोशिश कर रहा था। क्योंकि करुणा अच्छी तरह उसके गला साफ करने की आवाज को पहचानती थी। 

उसके बाद करुणा को बिल्कुल नींद नहीं आई और वह सुबह होते ही अपना सामान पैक कर के मायके चली गई और अपने पति से कहा-“अब बहुत हो चुका, तुम्हारे पापा एक निर्लज्ज इंसान हैं बल्कि उन्हें तो इंसान कहना ही नहीं चाहिए। शादी के समय मैं बहू को बेटी मानता हूं ऐसा कह रहे थे और फूटी कौड़ी भी नहीं चाहिए,ऐसा भी तुम्हारे मम्मी पापा ने कहा था। अब उनका दोहरा चरित्र, दोहरा चेहरा मेरे सामने आ चुका है। अगर आप मेरे साथ अलग रहकर जीवन बिताना चाहते हैं तो मुझे लेने आ जाना। वरना मैं इस, बहू पर गंदी नजर रखने वाले इंसान के साथ नहीं रह सकती।” 

करुणा के मायके वालों ने एक बार फिर मीटिंग की, लेकिन बात नहीं बनी। तब उसके मायके वालों ने कहा कि अब हम अपनी बेटी को दोबारा उस गंदे , निर्लज्ज और लालची इंसान के घर में नहीं भेजेंगे।उन्होंने करुणा का तलाक करवा दिया और कुछ समय बाद एक बहुत ही सुलझे हुए, और अच्छे इंसान के साथ करुणा का विवाह हो गया। करुणा अब अपने पति और बच्चों के साथ बहुत सुखी है। 

#दोहरे_चेहरे

स्वरचित, अप्रकाशित 

गीता वाधवानी दिल्ली

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