“दिलफेंक ननदोई जी” – कुमुद मोहन

रीमा बहुत खुश थी जब माला जी ने उसकी ननद ननदोई को उसके घर आने की सूचना दी !

“बहूजी ध्यान रखना वो सिर्फ मेहमान नहीं ‘मान’ हैं हमारे!”रीमा की सास माला जी ने  फोन कर के रीमा से कहा!

तेरे ब्याह के बाद पहली बार आ रहे हैंगे ,खातिर दारी में कोई कसर ना छोड़ दीजो।तेरी इकलौती नन्द है हम सबको बहुत प्यारी है अब तक इस घर में उसी की चले है।”

रीमा बड़ी खुश थी अपने घर में अकेली थी ना कोई बहन ना भाई। यहाँ समर की बहन शीना के रूप में उसे भी जैसे बहन मिल गई और समर के जीजा विनय के रूप में भाई या जीजा।

सब लगभग एक ही उम्र के थे !ब्याह की गहमागहमी में तो किसी को इतना जानने का मौका नही मिला था रीमा ने सोचा अब सब एक दूसरे की कंपनी खूब ऐंजॉय करेंगे!

 

उसने समर के साथ मिलकर प्लानिंग कर ली कि किस तरह घर का सारा काम निपटा कर खूब घूमेंगे फिरेंगे ?

 

शीना के पति विनय किसी मीटिंग में आ रहे थे बेटे के इम्तिहान की वजह से शीना का प्रोग्राम एन वक्त पर कैंसिल हो गया था।

 



ननदोई जी सुबह की ट्रेन से आए रीमा ने गेस्ट रूम और बाथरूम में जरूरत की सब चीजें रख दीं थी।

 

विनय देखने में चुस्त,स्मार्ट था बस कुछ बोलता ज्यादा ही था हर बात में बीच में बोल कर अजीब सी नजरों से रीमा को देखता तो रीमा झेंप जाती ,उसे बड़ा अटपटा सा लगता।

 

पहली बार घर आया था रीमा वैसे ही नर्वस थी पर जब जब विनय से सामना होता उसकी दूर तक पीछा करती नजरें और उसकी छिछोरी हरकतें रीमा को असहज कर जातीं!

 

कमरे में सबकुछ होने के बावजूद विनय दो-तीन बार बहाने से रीमा को आवाज़ दे देता।

बेवजह रीमा को आवाज दे पानी मांगता तो गिलास पकड़ने के बहाने हाथ पकड़ने की कोशिश करता!

चाय का कप पकड़ते हुए भी वह प्लेट के नीचे रीमा के हाथ छूने की कोशिश करता!

आते जाते भी बहाने से रीमा से बेवजह टकराता सा चलता!

रीमा नाश्ता लगाने गई तो जनाब वहां जाकर पीछे से रीमा के कंधे पर हाथ धरकर पूछने लगे “क्या बना रही हैं भाभीजान ?

टेबल पर बैठकर भी रीमा को बुलाने लगे कि नाश्ता भाभी के साथ ही करेंगे। “भई! हमारा तो रिश्ता ही हँसी मजाक वाला है क्यों साले साहब?”कहकर हो हो करके बेशर्मी सी हंसने लगे।

 

विनय रीमा के बैडरूम में बिना नाॅक करे जब-तब घुस आता!



रीमा को डर लग रहा था अगर ये शख़्स समर के आफ़िस जाने तक नहीं गया तो इसे कैसे झेलेगी ?

 

बिना बात बातें करना ,छूना घूरना रीमा को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था।रीमा ने समर को अपनी परेशानी बताई पर समर ने यह कहकर टाल दिया कि उनकी तो आदत ही ऐसी है ,नाराज हो जाऐंगे तो मम्मी बहुत बुरा मानेंगी।दो दिन की ही तो बात है!संभाल लो!

रीमा ने समर को बहुत समझाने की कोशिश की कि विनय अपनी मर्यादा में रहे तो अच्छा है वर्ना ठीक नहीं होगा!

दो दिन रीमा ने जैसे तैसे झेल लिये !उसे आश्चर्य हुआ जब विनय ने बताया कि मीटिंग दो दिन और बढ़ गई है !अगले दिन इतवार था!

 

हे राम! अभी इस आदमी को तीन दिन और झेलना होगा रीमा ने सोचा!

रीमा के फ्लैट के सामने उनकी पड़ोसन सना ने रीमा और समर को डिनर पर बुला रखा था!रीमा ने उसे बताया कि वो फिर कभी आ जाऐगे क्योंकि ननदोई जी आए हैं तो सना आकर विनय को भी इन्वाइट कर गई। सना बहुत सुन्दर स्मार्ट ,बिंदास और,माडर्न लेडी थी ।विनय जी की नजरें तो उसपर से हट ही नहीं रहीं थी!सना भी बातूनी कम नहीं थी!बस विनय के लिए इससे अच्छा मौका और क्या हो सकता था!

 



डिनर पर भी विनय पूरे टाइम कभी सना के घर की, कभी खाने की तो कभी उसकी खूबसूरती की बढ़चढ़कर तारीफों के पुल बांधता रहा।सना भी खूब खुश होती रही।विनय सना से भी बहुत फ्री होने की कोशिश कर रहा था।

 

रीमा को अजीब तब लगा जब चलते वक्त विनय सना से शेकहैंड करके उसका हाथ बहुत देर तक पकड़े रहा।

 

जब तक विनय रहा सना के घर की तांक-झांक करता रहा,आते जाते उसे सना दिखती तो उसके घर में घुस कर उससे बातें करने का कोई मौका नहीं छोड़ता।

रीमा ने चैन की सांस ली जब विनय वापस गया! “अम्मा जी का “मान” ऐसा मेहमान जो बन गया बलाऐ जान“।

दोस्तों

कुछ लोगों को महिलाओं के प्रति जरूरत से ज्यादा आकर्षण होता है जिसके कारण उन्हें रिश्तों की मर्यादा का भी ख्याल नही रहता।वे रिश्तों की नजाकत नहीं समझते!भले ही उनकी नीयत में कोई खोट ना हो।साली-जीजा,ननदोई-सलहज ,देवर-भाभी के बीच ऐसे ही रिश्ते होते हैं!कभी-कभार मजाक एक हद तक अच्छा लगता है जब तक मर्यादा का उल्लंघन ना हो, वही मजाक जब रिश्तों की लक्ष्मण रेखा पार करने लगे तो भलाई इसी में है कि सामने वाले को समझा दिया जाए।

आपको पसंद आए तो प्लीज लाइक-कमेंट अवश्य दें!धन्यवाद

#मर्यादा

कुमुद मोहन

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!