Moral Stories in Hindi : – “सत,तुम कहना क्या चाहती हो, मैंने पापा के बाद क्या तुम्हें किसी चीज की कमी होने दी है, जो तुमने चाहा और जितना मुझसे बन पड़ा मैंने तुम्हारे लिए किया…!.. पर अगर तुम ये चाहो कि मैं कल्पना को इस घर में उसका अधिकार भी ना दूं जिसकी वो हकदार है तो ये तो तुम्हारी ज्यादती है, उसने भी तुम्हें प्यार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और तुम्हें भी उससे कोई शिकायत ना थी पर पिछले कुछ दिनों ना जाने तुम्हारे कल्पना के प्रति तेवर क्यूं बदले हुए हैं…?”
अब सत्या प्रभास को क्या बताती कि पिछले हफ्ते जब अलका बुआ आईं थीं तो उन्होंने ना जाने कैसी पट्टी पढ़ा दी थी सत्या को कि,“ सत, ज़रा संभल कर, कल्पना प्रभास को पूरी तरह से अपने हाथ में कर लेगी तो प्रभास को तुझसे विमुख होते पल नहीं लगेगा, भाभी की असमय मौत के बाद भईया तो थे हर वक्त तेरे सर माथे पर उनके बाद तो… ज़माना बहुत खराब है, अब तो कानून भी बेटियों को पूरी मान्यता देने के पक्ष में है पर ये कानूनी लड़ाईयां लड़ेगा कौन…?”
“बुआ, आप कैसी बातें कर रहीं हैं, भईया तो मुझे इतना प्यार करते हैं, और भाभी भी मेरा बहुत ध्यान रखतीं हैं, वो लोग मेरे साथ कुछ भी बुरा क्यूं करेगें..!”
“अच्छा तो फिर मेरे छोटे देवर से तेरी शादी पर प्रभास क्यूं एतराज़ जता रहा है, क्यूं वो कल्पना के भाई के रिश्ते को तेरे लिए अपनाना चाहता है इसीलिए पगली कि कल्पना मीठी छुरी है, उसने प्रभास को अपने जाल में फंसा रखा है। उसकी सोच है कि घर पर भाई को कल्पना और बाहर बहन को कल्पना का भाई अपने हिसाब से घुमा सकें।
तू शुरु से हॉस्टल में रही है, तुझे इन सब बातों की क्या समझ, तू तो मेरे देवर से ही शादी की बात पर ज़ोर दियो, कहियो कि वहां बुआ हैं मेरी मां समान, कल्पना के भाई के रिश्ते को सिरे से नकार दियो,समझी..”
आज प्रभास से बहस होने पर सत्या ने ये सारी बातें उसे बता दीं।
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प्रभास को ये सब जान कर सत्या के कल्पना के प्रति बदला व्यवहार देखकर कोई आश्चर्य नहीं हुआ। वो अलका बुआ का स्वभाव जानता था। किशोर फूफाजी के साथ तो उनकी राम मिलाई जोड़ी जम चुकी थी उनकी शादी के बाद। दोनों ही स्वार्थी थे। उन्हें प्रभास के मम्मी पापा की ही कोई आन्तरिक चिंता या उनसे लगाव ना था तो कल्पना पर कहां से और क्यूं प्रेम उमड़ेगा।
लगभग दस दिन पहले किशोर फूफाजी और अलका बुआ ने अपने देवर के लोन के लिए प्रभास के मकान की गारंटी मांगी थी जिसके लिए प्रभास ने साफ मना कर दिया तो अलका बुआ ने फिर उससे कर्जे के रूप में रुपए मांग लिए। प्रभास ने इसमें भी असमर्थता दिखा दी। बस उन्होंने वहीं रोना धोना शुरु कर दिया कि काश मेरे भईया भाभी आज ज़िंदा होते तो इतनी छोटी बात के लिए मुझे अपने ही मायके से खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता।
ये सुनकर तो प्रभास और अधिक क्रोध से भर उठा। बुआ ने तो कभी अरुणा भाभी को कुछ ना समझा। हमेशा अपने भाई सुरेंद्र को लूटने की कोशिश में लगी रहती। किशोर फूफाजी जब जितना पैसा चाहते बुआ से कहकर सुरेंद्र जीजा जी से ले लेते।
प्रभास बचपन से ही ये सब देखता आ रहा था पर उसके मम्मी पापा कुछ सीधे स्वभाव के थे। सुरेंद्र जी को लगता था कि उनकी एक ही बहन है, अगर कुछ मांग लेती है तो क्या हो गया… जबकि वो ये नही समझते थे कि जायज़ और नाजायज मांगों में फर्क होता है… बुआ अपने ही भाई का फायदा उठा रहीं थीं।
“देखो सत, तुम कल्पना के भाई से शादी नहीं करना चाहतीं, मत करो, उसकी शादी का प्रस्ताव तुम्हारे लिए केवल एक सुझाव था, कोई जबरदस्ती नहीं और रही बात बुआ के देवर की भूल जाओ बुआ हमारी मां समान होने के कारण हमारा भला चाहतीं हैं, उनका देवर एक आवारा और बेरोजगार प्राणी है, अच्छी तरह से उसकी कुंडली जानता हूं मैं, हैरान तो इस बात पर हूं कि उन्होंने मोहन का रिश्ता तुमसे जोड़ने की बात सोची भी कैसे… वैसे क्या तुम जानती हो कि हमारा घर गिरवी रखवाना चाह रहीं थी बुआ और पैसे की मांग करने पर जब मैंने देने से मना किया तो क्या ज़ोर तमाशा किया उन्होंने। पास पड़ोस हर तरफ अपने घर की बातें उछाल रहीं हैं.. खैर अब तुम बड़ी हो चुकी हो, घर परिवार रिश्तों की बातें समझो, मैं हूं, तुम्हारी भाभी हैं, कोई प्रॉब्लम हो, हमें बताओ,हम दोनों हमेशा तुम्हारे साथ है..”
“आई एम सॉरी भईया, बस पापा के जाने के बाद बहुत अजीब सा लग रहा है, बुआ की बातों में आ गई मैं, भाभी को भी हर्ट किया… अभी उन्हें भी सॉरी कहती हूं… मैंने नासमझी में अपनी बेवकूफी भरी बातों से आप दोनों का कलेजा छलनी कर डाला, बहुत दुखी किया आप दोनों को, आंखों के आगे बुआ की स्वार्थ भरी बातों की धूल आ गई थी, धूल छंटी तो अब उनके दिमाग की साज़िश साफ दिख रही है..”
“चल फिर तू अपनी भाभी के पास जा, मैं ज़रा बुआ को फोन करके उनके घर का हाल जानूं, मोहन की शादी के लिए उसकी कुंडली अब मैं जापता हूं” प्रभास ने हंसते हुए कहा तो सत्या भी हंस दी।