दृष्टिकोण – मधु मिश्रा

पिछली नवरात्रि में निधि अपने भैया के यहाँ थी l दोपहर का समय था, गेट में कुछ बच्चों की आवाज़ सुनकर वो भी भाभी के साथ बाहर निकली तो उसने देखा-कुछ लड़कियाँ बाहर खड़ी थी, उनमे से एक ने भाभी को देखते ही कहा-” अंटी… कुँवारी कब खिलाओगी ? कब आयेंगे हम लोग..? ” तो जवाब में भाभी ने कहा – “हाँ खिलाऊँ  न, तुम लोग कल सुबह ग्यारह बजे आ जाना… l”

ये देखकर निधि ने हैरानी से कहा -“भाभी ! कौन है ये लड़कियाँ..? और ख़ुद ही आने के लिए बोल रही हैं ! ये तो कैसी… दिख रही हैं… आप इन लोगों को कन्या खिलाती हो… ?” तो भाभी ने कहा – ” हाँ निधि, मैं इन्हें ही खिलाती हूँ , ये यहीं पास की ग़रीब बस्ती की लड़कियाँ हैं!”

-” पर, भाभी… अम्मा से तो हम यही सुनते आए हैं … कि, कन्या भोजन के लिए लड़कियाँ अच्छे वर्ण की होनी चाहिए..! और कन्याओं को निमन्त्रण देकर बुलाया जाता है , पर ये तो ख़ुद ही ..!” अधूरे वाक्य के साथ रुककर निधि विस्मयता से भाभी को ओर देखने लगी…

” हाँ निधि , बचपन से तो यही मैंने भी देखा है, पर एक दिन मालूम है क्या हुआ..मैंने महामाया मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ ग़रीब लड़कियों को भिक्षा माँगते हुए देखा तो मेरे मन में ये विचार आया कि अच्छे घरों के बच्चे तो खीर पुड़ी हलवा आदि सब खाते ही रहते हैं, अगर उनकी बजाये मैं इन ग़रीब बच्चों को खिला दूँ, और उपहार में जो उन्हें देती हूँ इन बच्चों को दे दूँ.. तो कैसा होगा… और घर आते ही मैंने अपनी काम वाली बाई शीला से ये बात कही तो मेरी बात सुनकर वो ख़ुशी से चहकते हुए बोली – “भाभी मेरी भी दो लड़कियाँ हैं.. और आस पास की कुछ और लड़कियों को भी मैं बोल दूँगी…कितनी लड़कियाँ आयेंगी…? मैं उनसे क्या बोलूंगी भाभी..? ये कहते हुए मैंने देखा उत्साह से शीला का चेहरा चमकने लगा था ..

तो मैंने कहा – तुम  नौ लड़कियाँ से कहना खूब अच्छे से नहा धोकर साफ़ सुथरे कपड़े पहनकर आयेंगी .. और हाँ साथ में एक छोटे से लड़के को भी लाएँगी..और अगले दिन वो लोग आये ख़ुशी ख़ुशी पेट भरके खाने के बाद… जब विदाई में मैंने उन्हें उपहार  दिया तो ख़ुशी से चहकते उनके चेहरों पर एक अनोखा आशीर्वाद मुझे नज़र आया जिसे कहने के लिए शब्द नहीं हैं शायद… तब से न… ये हर नव रात्रि में ख़ुद ही आकर पूछती हैं… अंटी, कब आयेंगे हम…! “

भाभी की बातें सुनकर निधि सोचने लगी.. हाँ… ये सच है कि तृप्ति और आशीर्वाद एक सिक्के के दो पहलू हैं…तो.. जिस बात से आपको सुकून मिल रहा है, उसे करने में कोई बुराई नहीं होनी चाहिए…!

मधु मिश्रा,ओडिशा…

 

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