
दर्द – रजनी जोशी
- Betiyan Team
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- on Mar 03, 2023
एक्सीडेंट के बाद 10 दिन अस्पताल में रहना पड़ा बाए हाथ और पैर के चार ऑपरेशन हुए।घर आने पर दिन भर सक्रिय रहने वाली सुधा मानो बिस्तर की होकर रह गई। बेटे का वर्क फ्रॉम होम होने की वजह से दिन भर उसके पास बैठकर काम करता और मां की सेवा भी । सुधा की पोती नन्ही बिटिया दिन भर दादी का मन बहलाती कभी अपने खिलौनों से कभी स्कूल की कविताओं से लेकिन सुधा दिन पर दिन अवसाद में जा रही थी ,एक कारण था बेटी का मिलने ना आ पाना क्योंकि उसका छोटा सा बेटा था और ऊपर से सर्दी के दिन।दूसरा कारण बहु नेहा का सुधा की ओर ध्यान न देना । नेहा को न जाने क्या हो गया था एक मशीन जैसे सुधा का काम करती थी परंतु जिस बहु को बेटी जैसा प्यार दिया वो सुधा के पास भी न आती थी ना ही हाल चाल पूछती थी ।अवसाद में घिरी सुधा के पास जब बेटी का फोन आता बाते कम और रोना अधिक आता था।नन्ही परी अपने छोटे छोटे हाथो से दादी के आंसू पोछती थी। एक दिन जब सुधा अपनी बेटी से बात करती हुई रो रही थी उसी समय नन्ही सी परी ने आंसू पोछते हुए दादी से कहा क्यों किसी के लिए रोते हो दादी मैं हु न आपके पास आपकी बेटी मैं आपका ध्यान रखूंगी हमेशा। यह सुनकर सुधा ने नन्ही परी को गले लगा लिया आज इस नन्ही सी जान ने जो अपनत्व भरे शब्द कहे इससे तो सुधा मानो प्यार से भर गई और मन एक अटूट रिश्ते को देखने लगा जो दादी और पोती के बीच पनपा था।
स्व रचित रजनी जोशी उज्जैन