रूपा के पिता जब लड़के वाले के यहां मिठाई लेकर रूपा के रिश्ते हेतु पहुंचे तो अपनी सुंदर सुशील शिक्षित बेटी के गुणों का बखान करने लगे,
राहुल जो पास में बैठा था बोला सब तो ठीक है पर हंमे बुलेट मोटरसाइकिल चाहिये दहेज में,
रूपा के पिता कुछ समझ पाते उससे पहले ही लड़के के पिता ने कहा कि आपके बजट से यह अतरिक्त है,
जो आपको देनी होगी नही तो आप दूसरी जगह देख ले,
रूपा के पिता संतराम ने स्वीकृति दे दी कि चलो बाइक हेतु कर्ज ले लेंगे पर अच्छा रिश्ता है टूटने नही देंगे,
शादी की तारीख निश्चित हो गई तो बिदाई के समय बुलेट मोटरसाइकिल देख दूल्हा बना राहुल खुश हो गया,
कम्पनी की ओर से हेलमेट उपहार में दिया गया था जो राहुल ने वही छोड़ दिया कहा इसकी जरूरत नही ,
हंमे मजा नही आता चलाने में
खुली हवा की बात ही कुछ और है,
जब से शादी हुई तब से रोज बुलेट लेकर शहर भर में घूमता रहता लोगो को बुलेट का जलवा दिखाता,
उसके दोस्त भी किस्मत से जलने लगे सुंदर पढ़ी लड़की के साथ ही महंगी बाइक भी,
इस बीच दो बार हेलमेट के न होने पर चालान भी हुआ,
पर कोई फर्क नही पड़ा,
एक दिन राहुल एक दोस्त के साथ किसी मित्र को देखने हॉस्पिटल जा रहा था कि अचानक सामने से आती दूसरी बाइक से भिड़ गया ,
गम्भीर रूप से घायल सभी को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया राहुल और उसके दोस्त को गम्भीर हैडिंजरी थी और बेहोश थे पर दूसरी बाइक वाले हल्की चोट के साथ सकुशल थे कारण था वह दोनो हेलमेट लगाये थे,
एक का हाँथ ओर एक के पैर में फ़्रैक्चर था,
राहुल की पत्नी पिता सब हॉस्पिटल में आ गये थे तीन दिन तक उसे होश नही आया पर डॉक्टरों के अथक प्रयास से उसे होश आया तो दर्द से कराह उठा क्योकि हाँथ और पैर दोनो टूटे थे कूल्हे में भी चोट थी,
इस बीच डॉक्टर ने रूम में प्रवेश किया और हालचाल लिया उंन्होने बताया कि दूसरी बाइक बालो को आज छुट्टी मिल गई वह इसलिये बच गये की हेलमेट लगाये थे नही तो उनकी बाइक देखकर कोई नही कहता कि सवारी जिंदा होंगी,
पर आपके बेटे ने हेलमेट नही लगाया था इस कारण गम्भीर हैडिंजरी हुई है,
राहुल सुन रहा था पर बोल नही पा रहा था उसके आंसू निकलने लगे,
एक महीने बाद जब राहुल को छुट्टी मिली तो डॉक्टर से वायदा किया कि भविष्य में बिना हेलमेट नही चलेंगे,
और लोगो को जागरूक करेंगे,
एक वर्ष बाद राहुल को जिलाधिकारी द्वारा जागरूकता अभियान में महत्वपूर्ण योगदान हेतु सम्मानित किया जा रहा था
सभी तालियों से उत्साह बढ़ा रहे थे जिसमें उसकी पत्नी गोद मे एक माह की बच्ची के साथ भी थी,,,
लेखक
गोविन्द गुप्ता