चौकीदार दादा – गुरविंदर टूटेजा

   रिया अपने आठ वर्ष के बेटे अंश को गुस्सा कर रही थी…पैसे कहाँ है अंश जो तुम्हें पापा ने खर्चे के लिये दिये थें…??

     अंश बोला…मम्मा खर्चें के थे खर्च हो गये…!!

   कहाँ किये तुमने खर्च…दिख तो नहीं रहा कि तुमने कुछ लिया हो…!!

   रिया ने बहस नहीं की और नमन से बात करने का सोचा… थे तो सौ रू. ही पर अभी ध्यान देना भी जरूरी था…शाम को नमन आयें तो चाय पीतें वक्त उसनेे बतायी पूरी बात…तो नमन बोला अब अगली बार देंगें तो ध्यान रखेंगे हमनें तो सोचा कि जमा करता होगा हर महीनें क्यूँकि उसकी हर जरुरत तो हम वैसे ही पूरी कर देतें है…!!

   शाम को खेलने के बाद सब बच्चें अपने घर वापस आ गयें थे…अंश अभी तक नहीं आया तो रिया को चिन्ता हुई वो नीचें जब ढूँढनें गयी तो वो चौकीदार दादा के पास बैठा हाथ ताप रहा था थोड़ी-थोड़ी ठंड शुरू हो गई थी…!!!!

   वो गुस्से में जैसे ही आगे बढ़ी तो जोर से हँस रहा था और चौकीदार दादा भी उसे बहुत प्यार कर रहें थे..उसने अंश को आवाज लगाई तो दोनो ही चौंक गये व दादा उससे थोड़ी दूर हो गये…अंश भी आने के लिये लिफ्ट की तरफ भागा…!!!!

   घर आकर रिया ने कुछ नहीं कहा…नमन को आते ही बताया…दोनो एक ही बात कर रहें थे कि दादा अच्छे इंसान है वह तो मजबूरी में यह काम कर रहे है…फिर भी नमन ने अंश को हिदायत दी कि तुम खेलकर सीधा सबके साथ ही ऊपर आया करों…आता तो देर से था पर फिर भी पहले से जल्दी आ जाता था..!!!!

    दिसंबर का आखिरी हफ्ता था ठंड बहुत ज्यादा बढ़ गई थी… जरा सा दरवाजा खोलों तो काँप जातें…अभी बच्चें भी नीचें खेलने नहीं जा रहे थे… नमन ऑफिस से आये और रिया ने चाय चढ़ा दी…दोनो बैठकर चाय पी रहें थे कि अंश अंदर से आया हाथ में कंबल था फटाफट दरवाजा खोला और लिफ्ट से नीचे चला गया…और पाँच मिनट में वापस आया तो रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया व वही बिठा दिया…कंबल कहाँ है..??



   मम्मा वो तो मैं चौकीदार दादा को दे आया…!!

मुझे एक बार बोलना तो था ना…नया कंबल था सुबह मैं ढूँढकर पुराना निकालकर दे देती…!!

  पर मम्मा ठंड तो अभी है ना…हम तो दरवाज़े भी नहीं खोल पा रहे सुबह तक दादा को कुछ हो जाता तो..??

   रिया ने नमन को बोला कि दादा ऐसे लगतें तो नहीं है पर मुझे लगता है जो रूपयें नही मिल रहें वो भी इसने उन्ही को तो नहीं दियें..!! 

    हो सकता है रिया पर उन्हें वापस कर देंने चाहियें थे ना…!!इतने में घंटी बजी..दरवाजा खोला तो सामने चौकीदार दादा खड़ें थे..उन्होने बिना कुछ बोले कंबल आगे बढ़ा दिया..!!

   अंश बोला नहीं दादा आप लेकर जाओ ना आपको ठंड लग जायेगी…!!

   नमन व रिया को भी यही सही लगा उन्होनें उन्हें कंबल वापस दे दिया…वो चले तो गये पर बहुत उदास हो गये थे..!!

  आज आठ जनवरी थी…अंश का जन्मदिन था… बहुत खुश था सुबह से तैयारी में लगा था अपने सब दोस्तों को इन्वाइट भी कर आया था…नमन-रिया ने अपने कुछ दोस्तों को भी इन्वाइट किया था…शाम को सब आ गयें थे…केक कटिंग के लिये अंश खड़ा था पर बार-बार दरवाजे को देख रहा था..जैसे किसी का इंतजार कर रहा हो..दिया ने बोला…केक काटो अंश…हाँ मम्मा बस थोड़ी देर और…!!

   अरे ! सब तो आ गये है अब किसका इंतजार कर रहे हो…इतने में अंश बाहर की तरफ भागा…देखा तो…चौकीदार दादा थें…वो जाकर उनसे लिपट गया..!!

  उन्होने भी सकुचातें हुये उसे अपनी बाँहों में भर लिया..अंश हाथ पकड़ कर उन्हें अंदर ले आया…नमन-रिया के साथ हर कोई आश्चर्यचकित था…!!

  दादा ने थैले में से एक गुल्लक और एक लिफाफा अंश के सिर पर हाथ फेरते हुये उसे पकड़ा दिया…अंश ने जल्दी ही गुल्लक को खोल भी दिया…रिया बोली दादा ये हम नहीं ले सकते है…देखा तो गुल्लक में नौ सौ रूपए थें.!!



   अरे दादा आप लिफाफा भी दे रहे है और ये भी…कुछ समझ नहीं आ रहा था…!! 

   दादा बोले गुल्लक में जो रूपए हैं वो जो अंश हर महीने मुझे दे जाता 

था वो है और लिफाफा मेरी तरफ से आशीर्वाद हैं…ज्यादा कुछ नहीं है..!!

  दादा बोलें कि सब बच्चें खेलतें थे तो मैं सबका ध्यान रखता था पर अंश बेटा सबसे अलग था मेरी परवाह मुझसे प्यारी बातें करता मुझे भी उससे बातें करना अच्छा लगता था..मन में डर भी था कि सर-मैडम को पता चला तो गुस्सा करेंगे… सच कहूँ तो मुझे अपनी जगह पता थी पर बच्चें के प्यार से बस दिल का रिश्ता जुड़ गया…. मेरे मन में कोई गलत नीयत नही थी….!!

   उनकी बातें सुनकर वहाँ सभी की आँखों मे आँसू आ गयें थे… रिया आगे बढ़ी और उसने भी 

दादा के पैर छूयें…दादा बोले..मैडम आप ये क्या कर रही हैं…तो उसने कहा जो मेरे बच्चें को दिल से प्यार करता है वो मेरे लिये पूजनीय है….फिर लिफाफें से सौ रूपए निकाल कर अंश को देते हुये बोली…ये बरकत के रूपए है हमेशा अपने पास रखना…!!

   दादा ने अंश को बहुत दुआएं दी व प्यार किया…जाने के लिये मुड़े तो एक हाथ अंश ने व दूसरा नमन ने पकड़कर बोला…आज केक तो आप ही कटवायेगें..!!

   बस फिर दादा ने अंश का हाथ पकड़कर केक कटवाया और उनकी आँखों से आँसू बहने लगे…आज सबने देखा कि…दिल से जुड़ रिश्तें कई बार खून के रिश्तों से भी बड़े हो जातें हैं…!!!!

#दिल_का_रिश्ता

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!