एक थी श्रद्धा…..  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आप समझते नहीं पापा…आपके खयालात आज भी वही पुराने और घिसेपिटे हैं… अब मैं बड़ी हो गई हूँ..और अपना अच्छा बुरा सोच सकती हूँ.और मुझे मेरा फैसला लेने का पूरा अधिकार है.. लेकिन बेटा …..ऐसी भी क्या जल्दी…पहले उसे समझ तो ले..जान ले अच्छी तरह क्या करता है..कहाँ रहता है..घर परिवार कैसा है… विकास जी … Read more

अभिसारिका – विनोद सिन्हा “सुदामा”

 कहते हैं ज़िन्दगी में सुख़ की अपेक्षा दुःख की मात्रा कहीं ज़्यादा है परंतु जीवनपथ पर इन दोनों को एक-दूसरे से अलग कर रखा भी नहीं जा सकता,कारण सुख़ के क्षण सदा दुःख को साथ लिये हुए आते हैं और दुःख के क्षण सुख को, फिर नर हो या नारी उम्र भर न चाहकर भी … Read more

बे औलाद होने का दंश…. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

पूर्वी और राजेश की शादी हुए लगभग सात साल हो गए थे मगर अभी तक कोई औलाद नहीं हुई थी…काफी ईलाज करवाया कई तरह के जाँच करवाए लेकिन कोई फायदा नहीं… पूजा पाठ देवी देवता जाने कितने मंदिरों में अनगिनत देवी देवताओं से मन्नतें मांगते फिरते.., लेकिन नतीजा शून्य ही मिलता… कई उपाय के बाद … Read more

कुछ तो लोग कहेंगे…..!! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

नहीं नहीं .. मुझसे नहीं होगा माँ जी… सुलेखा ने झिझकते हुए अपनी सास शारदा देवी से कहा… क्यूँ नहीं होगा….भला और इसमे हानि ही क्या है…. क्या लड़कियाँ दुकान नहीं चलाती…व्यपार नहीं करती..?? पर माँ जी लोग क्या कहेंगे..?? फिर आस पड़ोस एवं मुहल्लों वालों का क्या ..?? किस किस को जवाब देंगी मैं … Read more

त्याग का रिश्ता… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

डागडर साहिब कैसी है मेरी बहू…. विमला देवी ने भरे मन डाक्टर से बहू रश्मि का हाल पूछा… जी माँ जी अभी कुछ कहा नहीं जा सकता…हम कोशिश कर रहें..ईश्वर पर भरोसा रखिए… आखिर उसे हुआ क्या है..?? क्यूँ एकाएक दर्द उठा पेट में..क्यूँ बेहोश हुई… जी renal failure का केश है…. रेनल फेलर इ … Read more

 मनपरिवर्तन……. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आ गए तुम…. मैंने अभी घर में कदम रखा ही था कि पत्नी सुधा ने मुझपर चिल्लाते हुए कहा… हाँ ….क्या हुआ… मैंने जानना चाहा… सुनो अब मैं यहाँ नहीं रह सकती… बहुत हुआ..मैं ये रोज़-रोज की झिकझिक और टोका टाकी से तंग आ गई हूँ… अब मुझसे जरा भी बर्दाश्त नहीं होता … कुछ … Read more

तुम आ गए हो…… विनोद सिन्हा “सुदामा”

कहते हैं जिंदगी और कुछ नहीं बस यादों का कारवाँ है.खट्टी मीठी भूली बिसरी यादों का कारवाँ…फिर चाहें यादें क्यूँ न हमारे भूले बिसरे दोस्तों की हो.. रिश्तेदारों की हो..हमारी हो…आपकी हो या किसी और की..यादें हर घड़ी हमारे इर्दगिर्द हमारे जेहन में मंडराती रहती हैं.. आज भी अच्छी तरह से याद है मुझे…. मैं … Read more

सहारा…. – विनोद सिन्हा “सुदामा”

चंदा मामा से प्यारा मेरा मामा…. बचपन में मैं जब भी यह गाना सुनता था तो मुझे यह गाना चंद्रमा और मामा का तुल्नात्मक चित्रण या फिर मामा भांजे का प्रेम मात्र लगता था,लेकिन जैसे जैसे समय बीता इस गाने का मर्म ,चंद्रमा का प्रेम और मामा का महत्व समझ पाया,तब और जब एकमात्र मामा … Read more

सिर्फ़ विरोध के लिए विरोध मत करो…! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आ गए तुम…. मैने अभी घर में कदम रखा ही था कि पत्नी सुधा ने मुझपर चिल्लाते हुए कहा… हाँ ….क्या हुआ… मैने जानना चाहा… सुनो अब मैं यहाँ नहीं रह सकती… बहुत हुआ..मैं ये रोज़ की झिकझिक और टोका टाकी से तंग आ गई हूँ… अब मुझसे जरा भी बर्दास्त नहीं होता … कुछ … Read more

एकाकीपन…… – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आज तुम्हें गए पूरा एक वर्ष हो गया…बस में होता तो शायद रोक लेती तुम्हें,लेकिन मैं जानती हूँ ..चाहकर भी नहीं रोक सकती थी तुम्हें…..और सच कहूँ तो कभी सोचा भी नही था कि ऐसे जाओगे तुम…साथ अपने इतना दर्द इतनी वेदना लेकर और मुझे दुनिया जहाँ का दर्द देकर… जाना अपने आप में एक … Read more

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