तिरस्कार – प्रेम बजाज
“सीमा, अरी ओ सीमा कब से बुला रही हूं, कहां मर गई” बड़बड़ाती हुई आरती कमरे से बाहर आई तो देखा सीमा रसोई घर में फर्श पर उकड़ू होकर बैठी है और उसकी आंखों से झर-झर आंसू बह रहे हैं। “क्या हुआ ये टसुए क्यों बहा रही है, कोई मर गया है क्या तेरा जो … Read more