स्नेह का बंधन – निभा राजीव “निर्वी”

“गिरिधर भैया, तुमसे मैंने कितनी देर पहले शटल कॉक लाने को कहा था बाजार से, पर तुम अभी तक लेकर नहीं आए। कामचोरी की भी हद होती है। एक काम भी बोल दूं तो ढंग से नहीं होता तुमसे।” … सुमित की आंखें गुस्से से जैसे आग बरसा रही थी। “तू इस नालायक से काम … Read more

मेरी बिटिया – निभा राजीव “निर्वी”

“वाव पापा !! क्या सच में हम गांव जा रहे हैं…. कितना मजा आएगा…. कितने दिन हो गए सब से मिले हुए…. दादू, दादी मां, चाचा, चाची और सब भाई बहन… सबसे मिलूंगी और खूब सारी मस्ती करूंगी सबके साथ… मेरी गर्मी की छुट्टियां तो खूब मजे से कट जाएंगी….” मार्शल आर्ट की कक्षा से … Read more

मणिका – निभा राजीव “निर्वी”

यूं तो गांव के प्राथमिक विद्यालय के प्राचार्य थे निरंजन बाबू, मगर उनके आचरण और उनके ओजस्वी व्यक्तित्व, निस्सवार्थ सेवा भावना के कारण गांव में उनकी लोकप्रियता और उनका सम्मान बहुत अधिक था। पूरे गांव में किसी पर कोई मुसीबत आए या किसी को सहायता की आवश्यकता पड़े तो निरंजन बाबू बिना बुलाए सबकी सहायता … Read more

आत्मशक्ति – निभा राजीव “निर्वी”

आज लता अपनी कमाई से अपने लिए साइकिल लेकर आई थी। हृदय का सारा प्यार हथेलियों में भरकर आत्मीयता से साइकिल को सहलाने लगी। कभी सोचा भी नहीं था कि उसके जीवन में यह दिन भी आएगा, जब वह अपने आप को साबित कर पाएगी और अपने दम पर यह जीवन जी पाएगी। उसकी आंखों … Read more

सुख के दिन – निभा राजीव “निर्वी”

सुनिधि के घर में उत्सव का सा माहौल था। सुनिधि और उसके सास ससुर फूले नहीं समा रहे थे। आज ही यूपीएससी का परीक्षा फल घोषित हुआ था। सुनिधि के एकमात्र पुत्र नितिन ने सफलता के परचम लहरा दिए थे। सुनिधि के ससुर ने पूरे मोहल्ले को दावत दे डाली और सारा प्रबंध उनकी देखरेख … Read more

उम्मीद का दामन – निभा राजीव “निर्वी”

अपने आठ माह के बच्चे को गोद में लिए कमली ने एक बार फिर अपने खेतों को विवश आंखों से निहारा। बारिश के अभाव में शुष्क होकर मानो धरती का सीना फट गया था। जगह-जगह दरारें फटी हुई थी। कमली को ऐसा लगा मानो वे दरारें जमीन के साथ-साथ आंतों में भी पैठकर आंतों को … Read more

अब और नहीं – निभा राजीव “निर्वी”

नवविवाहिता कनक अपने पति सुबीर के साथ ससुराल की देहरी पर गृह प्रवेश के लिए खड़ी थी। चावल से भरे हुए कलश को पाँव से गिरा उसने अंदर प्रवेश किया। उसकी सासु मां रमा देवी पूरे विधि विधान के साथ उसे अंदर ले गईं। विधि-विधानों के दौरान उनके द्वारा दिए जा रहे निर्देशों के ढंग … Read more

अपने अपने संस्कार – निभा राजीव “निर्वी”

आज बड़े दिनों के बाद निधि की बचपन की सहेली विनीता उससे मिलने आई थी। यूं तो दोनों एक ही शहर में रहते थे मगर कामकाजी होने के कारण व्यस्तता इतनी हो जाती थी कि मिलना कभी-कभार ही हो पाता था। निधि ने बड़े मन से विनीता के पसंद का बेसन का हलवा बनाया था … Read more

मर्यादा –  निभा राजीव “निर्वी”

“तेरा दिमाग तो नहीं चल गया कहीं! क्या अनाप-शनाप बके जा रही है तू! तू इस घर की बहू है बहू! हमारा मान और सम्मान !हमने तुझे थोड़ी छूट क्या दे दी तू तो सर पर चढ़कर बैठ गई। अरे मेरे बेटे को तो खा ही गई, अब क्या घर की मान मर्यादा और इज्जत … Read more

जीवन के नए रंग – निभा राजीव “निर्वी”

नंदिता सूनी आंखों से अपने पति की हार चढ़ी तस्वीर को अपलक निहार रही थी। मद्यपान के व्यसन ने आखिर उसके पति की जान ले ही ली। कमरे के बाहर सासू मां का उसे बदस्तूर कोसना जारी था..” मेरे तो कर्म ही फूट गए थे जो इस अभागिन को बहू बनाकर ले आई।पैदा होते ही … Read more

error: Content is Copyright protected !!