प्रतिशोध पिता से – लतिका श्रीवास्तव   : Moral Stories in Hindi

गणपति बप्पा मोरिया….बप्पा को अपने हाथों में अपने कंधों में उठाए स्थापना के लिए घर ले जाते उत्साही भक्तों की बुलंद आवाजे आसमान छू रही थीं पटाखों की तेज आवाजें कान के पर्दे फाड़े दे रहीं थीं उमड़ता हुआ जनसमुदाय विशाल सड़कों को संकरी किए दे रहा था…। लेकिन कैब में बैठे अविनाश के कानों … Read more

“आखिरी ख्वाहिश” – मनीषा सिह : Moral Stories in Hindi

 “दो बच्चे और पत्नी धनिया” को सोता छोड़ एक रात हीरा गांव छोड़कर  कहीं चला गया। सुबह जब धनिया सो कर उठी, तो पति को न पाकर उसे ढूंढते खेत चली गई । सबसे पूछा पर हीरा को किसी ने नहीं देखा । मुंह लटका कर धनिया घर लौट आई सुबह से शाम हो गई … Read more

घर वापसी – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

“इन दोनों ने नाकों दम कर दिया है। दुनिया क्या कहेगी? कहती रहे। मैं किसी से कुछ कहती हूं क्या? अपनी परेशानियों को तो मैं ही न जानती हूं।दूसरा क्या जाने? जीना हराम कर दिया है बूढ़े और बुढ़िया ने। एक वो हैं जो कुछ भी बोलते ही नहीं। मुझे ही देख लेना कह कर … Read more

जब बेटे ने मम्मी-पापा को दिखाया आईना – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रोहन आपने दोस्त के जन्मदिन की पार्टी  में गया था। वहां उसने देखा कि पर्व के नाना-नानी के साथ -साथ  दादा-दादी भी आये थे। वे उसे बहुत प्यार कर रहे थे  एवं  एक सुन्दर सी साईकिल उसे उपहार में दी। रोहन यह सब देखकर सोचने लगा कि उसके तो केवल नाना- नानी ही आते हैं, … Read more

तुम आज भी मेरे मन में जिंदा हो! – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय : Moral Stories in Hindi

ट्रेन से उतरकर मैं बस पकड़ने के लिए ऑटो कर लिया था।  आज मैं अपने पुराने दिन को जीना चाहता था, उसी पुरानी वर्षों, पुरानी दिनों को ,,,जिनकी याद मुझे बहुत ही ज्यादा मीठी लग रही थी!  सामने बस स्टैंड था।  अनगिनत बसें खड़ी थीं। दलाल और बस कंडक्टर आकर जगह का नाम लेकर बुला … Read more

भादों का भय – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

बड़ी मुश्किल से दो महीने ही हुए थे , निर्मला जी  (मां )को अपनी बेटियों के पास गए हुए।ससुर जी जब थे,साथ ही जातीं थीं बेटियों के पास,वो भी बहुत कम दिनों के लिए।ससुर जी की बरसी पर आई छोटी बेटी की बिटिया ने कहा था नानी से”हमारे साथ चल कर रहिए ना कुछ दिन … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है। – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

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 “मुझे नहीं जाना यहाँ से कहीं, मेरी डोली इसी घर में आई थी और मेरी अर्थी भी इसी घर से उठेगी|”  “लेकिन माँ, यहाँ रखा भी क्या है अब? आप क्यों जिद पर अड़ी हैं। अब तो पापा भी नहीं रहे। आपको यहाँ किसके सहारे छोड़ कर जाएं? क्यों आप हमें धर्म संकट में डाल … Read more

ग्रेजुएशन। – कामनी गुप्ता*** : Moral Stories in Hindi

बारहवीं की परीक्षा समाप्त हो चुकी थी। रोहन बेसब्री से नतीजे का इंतज़ार कर रहा था। घरवाले भी रोहन की मेहनत से बाकिफ़ थे। सबको रोहन से बहुत उम्मीदें थी। रिश्तेदारों में भी यही बात थी कि अपना रोहन घर का और सबका नाम रोशन करेगा। खैर वो दिन भी आ जाता है। रोहन उम्मीद … Read more

*घर वापसी* – डॉ आरती द्विवेदी : Moral Stories in Hindi

शाम का वक्त था, सूरज अपनी लालिमा के साथ धीरे-धीरे ढल रहा था। गांव के उस पुराने रास्ते पर सन्नाटा पसरा था, जहां से कभी जीवन की हलचल बहा करती थी। उस रास्ते पर एक शख्स, रमेश, अपने कंधे पर बैग लटकाए, थके कदमों से घर की ओर बढ़ रहा था। शहर की चकाचौंध में … Read more

घर_वापसी – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi

अवधेश बाबू और निर्मला जी पुत्र उदित के साथ जब घर के द्वार पर पहुंचे तो बहू कनक सर पर पल्लू डाले आरती का थाल लिए उनके स्वागत को मुस्कुराती हुई खड़ी मिली। दोनों की आरती करने के पश्चात कनक ने उनके पांव छूते हुए उन्हें आदर सहित अंदर बुलाकर बिठाया। शीघ्र ही उन दोनों … Read more

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