बुजुर्ग की नसीहत – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

बच्चों की बात को लेकर पड़ोसी आपस में झगड़ पड़े।झगडा इतना बढ़ गया कि दोनों परिवारों ने सारी सीमाएं लांघ दी।वे लड़ते हुए घर के बाहर  सड़क तक पहुंच गए।एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप, दोषारोपण के तीर सन सनाते चल रहे थे। वे अभद्र भाषा का प्रयोग, गाली-गलौज कर एक दूसरे को नीचा दिखाने पर आमादा थे।

न जाने कब का गुबार भरा था दोनों के मन में जो आज ज्वालामुखी के लावा की तरह उछाल मार-मार कर बाहर आ रहा था। उन्हें न किसी की शर्म थी न लज्जा।वे क्रोधाग्नि में पागल हो चुके थे।

तमाशा देखने वालों की भीड़ जमा हो गई।सब मजे ले रहे थे। कोई रूक कर देखता और थोड़ी देर में चल देता। कोई खड़े हंस रहे थे कोई विडियो बना रहे थे। किन्तु इन सब बातों से बेफ्रिक  वे चिल्ला -चिल्ला कर गढ़े मुर्दे उखाड़ रहे थे।

एक बुजुर्ग भी इस भीड़ का हिस्सा बन, पहले तो वे दूर से ही तमाशा देखते रहे फिर धीरे-धीरे भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़े। कुछ देर खड़े सुनते रहे फिर यकायक उन लोगों के पास पहुंच गए। उन्हें देखते ही दोनों पक्ष उनसे कहने लगे इसने ऐसा किया वैसा किया। कुछ देर सुनने के बाद उन्होंने दोनों को शांत किया।

फिर बोले एक मिनट मेरी बात सुन लो फिर तुम्हें जो उचित लगे करना। दोनों सहमत हो उनके पास खड़े हो गए।अब उन्होंने पहले एक व्यक्ति को कहा तुम अपना दांया हाथ आगे बढ़ाओ और दूसरे से कहा तुम बांया। दोनों ने हाथ बढ़ा दिए।अब वे बोले अब इस हाथ से तुम ताली बजाओ।वे दोनों लगभग एक  साथ बोले अरे चाचा बुढ़ापे में सठिया गए हो क्या एक हाथ से ताली कैसे बजेगी।

मैं नहीं सठिया गया हूं तुम क्रोध में सोचने समझने की शक्ति खो चुके हो। यही तो मैं तुम्हें समझाना चाह रहा हूं कि एक हाथ से ताली नहीं बजती मतलब तुम दोनों दोषी हो। दोनों की ग़लती है जो इस तरह आपस में झगड़ रहे हो।जब ताली एक हाथ से नहीं बजती तो एक व्यक्ति अकेला दोषी कैसे हो सकता है।इस स्थिति के लिए दोनों जिम्मेदार हो। अब शांत मन से सोचो झगडा किस बात को लेकर हुआ था।

बच्चे आपस में झगड़े थे सो इन्होंने मेरे बच्चों को डांट दिया।

बुजुर्ग बोले जिन बच्चों के झगडे को लेकर तुमने इतना बडा हंगामा कर दिया देखो वे तो आपस में एक हो गए और प्यार से खेल रहे हैं कुछ दूर खेलते बच्चों की ओर उन्होंने हाथ से इशारा किया। दोनों की नजर उधर गई जिधर बच्चे खेल रहे थे।

अब वे अपनी करनी पर शर्मिन्दा थे।

तभी बुजुर्ग बोले देखा बेटा एक हाथ से ताली तो नहीं बज सकती किन्तु दोनों के एक -एक हाथ आपस में मिल कर समझौता तो कर सकते हैं मिलाओ हाथ और ये तमाशा बंद कर खुशी-खुशी 

अपने -अपने घर जाओ।

वे दोनों बुजुर्ग से बोले चाचा आपने हमें सही मार्ग दिखाया इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद।

उनके समझौता करते ही भीड़ तितर-बितर हो अपनी राह सब चले गए। 

शिव कुमारी शुक्ला 

21-1-25

स्व रचित मौलिक एवं अप्रकाशित 

वाक्य****ताली एक हाथ से नहीं बजती

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