बुद्धिमान लालची

एक राजा अपने लिए समझदार और ईमानदार मंत्री की तलाश कर रहे थे.राजा ने कई लोगों का साक्षात्कार लिया लेकिन कोई भी व्यक्ति उन्हें मंत्री बनने के लायक नहीं लगा. वहीं जब यह बात राज्य के | सबसे बुद्धिमान व्यक्ति को पता लगी तो वो फौरन राजमहल चला गया. राजा से  मिलकर उसने कहा, मैं इस गांव का सबसे बद्धिमान व्यक्ति हं और मैं आपका मंत्री  बनने के काबिल हूं. राजा ने उससे काफी कठिन सवाल किए और उसने समझदारी से सवालों का जवाब दिया. 

राजा ने उसे मंत्री बना लिया.एक दिन मंत्री को रास्ते में | एक बूढ़ा इंसान मिलता है जिसके पास तीन गठरी होती है. बूढा मदद मांगते हुए कहता है, क्या तुम मेरी एक गठरी उठा सकते हो? ये काफी भारी है. वह बुजुर्ग की मदद करने के लिए हां कर देता है और एक गठरी उठा लेता है.   आखिर इसमें क्या है जो ये इतनी भारी है? ।

बुजुर्ग ने कहा, इस I गठरी में सिक्के हैं.आगे एक नदी आती है जिसे पार करना होता है.

बुजुर्ग कहता है, क्या तुम   मेरी दूसरी गठरी उठा सकते हो? क्योंकि दो गठरी लेकर मैं ये नदी पार नहीं कर   सकता हूं. वह दूसरी गठरी उठा लेता है और ये गठरी भी भारी होती है. बुजुर्ग कहता है, इस गठरी में चांदी के सिक्के हैं. नदी पार करने के बाद एक पहाड़ आता है. 

बुजुर्ग ने कहा, मैं गठरी के साथ ये पहाड़ नहीं चढ़ सकता हूं. क्या तुम मेरी तीसरी गठरी भी उठा सकते हो. मंत्री बिना कुछ बोले तीसरी गठरी भी उठा लेता है. बुजुर्ग पहाड़ चढ़ते हुए उससे कहता है कि इस गठरी में सोने के सिक्के हैं, तुम इसको लेकर मत भागना, मैं तुम्हारा पीछा नहीं कर सकता हूं. थोड़ी दूर जाने के बाद मंत्री सोचता है कि अगर ये तीनों गठरी लेकर भाग जाऊं तो मैं धनवान बन जाऊंगा और ये बुजुर्ग तो मुझे कभी पकड़ भी नहीं पाएगा.

और वह तीनों गठरी लेकर भाग जाता है.घर जाकर  वो जैसे ही तीनों गठरी खोलता है तो उसमें लोहे के सिक्के होते हैं.वो हैरान रह जाता है. कुछ देर बाद उसके घर बुजुर्ग आ जाते हैं और उससे कहते हैं कि तुमने लालच में आकर मेरी तीनों गठरी चुरा ली. मंत्री गुस्से से कहता है कि तुमने झूठ बोला, इन गठरी में सोने और चांदी के सिक्के नहीं हैं! बुजुर्ग हंसते हुए अपने असली वेश में आ जाते हैं. वह कोई और नहीं, बल्कि राजा रहते हैं. राजा कहते हैं, तुम बुद्धिमान थे | इसलिए मैंने तुम्हें अपना मंत्री नियुक्त किया लेकिन तुम्हारे अंदर ईमानदारी बिलकुल नहीं है, इसलिए तुम मेरे मंत्री बनने के लायक नहीं हो. राजा की ये बात सुनकर | | उसको अपनी गलती पर खूब पछतावा हुआ. | 

सीख – लालच में आकर हम अपना ही नुकसान कर बैठते हैं, इसलिए हमेशा | ईमानदार रहें.

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