बीबी जी गरीब हूँ पर चोर नही – किरन विश्वकर्मा

सुमित्रा के पति का देहांत हो गया और कमाने का कोई जरिया नहीं दिख रहा था….पति के रहते हुए तो उन्हे कोई समस्या का सामना नही करना पड़ा था पर अब घर सम्भालने के साथ साथ घर को चलाने की भी समस्या आ रही थी…..दो बच्चे थे उन्हें पढ़ाना भी था, घर भी चलाना था। हालांकि घर में एक गाय और एक भैंस भी पाली हुई थी उनका दूध बेचकर कुछ पैसे मिल जाते और राशन पानी गांव से आ जाता था। लेकिन फिर भी सुमित्रा कुछ काम करने के लिए वह सोच रही थी कि कहीं से काम मिल जाता तो थोड़ी आर्थिक सहायता और मिल जाती तब वह अपने बच्चों को और अच्छे से पाल सकती। हालाँकि वह बच्चो को काम पर भी लगा सकती थी पर उसका मन था कि बच्चे पहले अच्छी तरह से पढ़-लिख लें….. क्योंकि वह जानती थी कि शिक्षा बहुत जरूरी है। 

एक दिन बगल वाली पड़ोसन कमला ने बताया…..की सेक्टर बारह में कोठी नंबर पंद्रह में मालकिन को खाना बनाने वाली की जरूरत है और तुम भी काम ढूंढ रही हो तो चलो मैं तुम्हारी बात करा देती हूं…..मुझे यकीन है उन्हें तुम्हारा काम पसंद आएगा क्योंकि तुम खाना बहुत अच्छा बनाती हो। सुमित्रा ने यह सुनते ही हाँ कह दिया। भारी भरकम शरीर वाली लंबी-चौड़ी सावित्री उम्र लगभग पचास वर्ष पर चुस्ती और फ़ुर्ती गजब की थी। किसी भी काम में आलस्य नही आता। वह कमला के साथ जाकर कोठी वाली मालकिन से बात कर आई। मालकिन ने बताया कि दो दिन तक तुम्हारे हाथों का खाना हम खा कर देखेंगे कि तुम कैसा बनाती हो तभी तुम्हें रख पाएंगे।

सुमित्रा ने दो दिन तक जो-जो उन्होंने बताया वही सब बनाया। उन्हें सावित्री के द्वारा बनाया हुआ खाना बहुत पसंद आया और उन्होंने सुमित्रा को रोज खाना बनाने के लिए बोल दिया। सुमित्रा सुबह जल्दी-जल्दी घर के सारे काम निपटा लेती फिर खाना बनाने के लिए मालकिन के यहां चली जाती। मालकिन के यहां अट्ठारह वर्षीय एक लड़का छोटू भी था जो घर के सारे काम करता था। सुमित्रा को काम करते हुए लगभग बीस-पच्चीस दिन हो गए थे।



दो-तीन दिन से सुमित्रा एक बात पर गौर कर रही थी की मालकिन जी उसे अजीब नजरों से देखती थी पर वह उनके इस तरह देखने के पीछे का मतलब नहीं समझ पाई। एक दिन वह शाम को जैसे ही रसोई में खाना बनाने के लिए आई तो देखा छोटू गिलास में कुछ पी रहा था उसे देखते ही उसके सामने गिलास रखकर भाग गया….उसने देखा कि उस गिलास की तली में दूध लगा था। तभी मालकिन आई और  गुस्से में उसको अपमानित करते हुए बोली….आज तुम्हारी चोरी पकड़ी ली!!! तुम चोरी-चोरी दूध पीती हो…..मैं बहुत दिनों से देख रही थी मुझे भगोने में रोज दूध कम लग रहा था। तुम्हे ऐसा करते हुए शर्म नहीं आई…..आज के बाद से तुम मेरे घर काम नहीं करोगी।

सुमित्रा ने इतना सुनते ही गुस्से से मालकिन को देखा……तो पीछे वह लड़का भी खड़ा था और मालकिन की बातें सुनते हुए बड़ी ही कुटिलता से मुस्कुरा रहा था। चोरी का इल्जाम सुनते ही सुमित्रा गुस्से से भर उठी…..उसने अपना भारी भरकम बाँया हाथ आगे बढ़ाया और उस लड़के के एक हाथ को कसकर पकड़ लिया और अपना दाहिना हाथ उसे दिखाते हुए कहा कि छोटू……….सही-सही बताओ कि यह दूध की चोरी कौन करता है?

व व व वह…मैं..मैं..मैं..मैं ही……..दूध की चोरी करता था। पहले तो मुझे मौका नहीं लगा लेकिन जब से आप आने लगी तो मैंने सोचा कि चोरी मैं करूंगा और यह इल्जाम आपके ऊपर लगा दूंगा। मुझे दूध बहुत अच्छा लगता है पर मालकिन जी कभी देती ही नही थी और खाना भी हमेशा कम ही देती हैं जिससे मेरा पेट नहीं भरता है,बाहर खाने के लिए पैसे भी नही देती जो भी पैसा देना होता है वह घर भेज देती है…..मुझे माफ कर दीजिए मालकिन जी…..आंटी जी की इसमें कोई गलती नहीं है…..छोटू हाथ जोड़कर बोला।

अब सुनिए मेरी बात….आपको शायद पता भी नहीं है कि मेरे यहां दो गाय और एक भैंस मैंने पाली हुई है। मेरे घर में दूध- दही की कोई कमी नहीं है….हम लोग तो कभी-कभी दूध- दही ज्यादा होने पर अपने आस-पड़ोस में बांट देते हैं। आपके यहां काम करती हूं….इसका मतलब यह नहीं कि आप मुझे गरीब समझकर कोई भी इल्जाम मुझ पर लगा कर इतना अपमानित कर देंगी। क्या गरीब की कोई इज्जत नही होती। जरूरी नहीं होता है कि हर गरीब आदमी चोर ही हो बल्कि कभी-कभी तो इतना स्वाभिमानी होता है…कि मेहनत करके कमा लेगा लेकिन किसी से भीख नहीं मांगेगा और चोरी नहीं करेगा। मेरी यह बात हमेशा याद रखियेगा और आपने किसी बच्चे को रखा है तो उसके खाने-पीने का भी ध्यान रखा करिए कि उसको चोरी करके ना खाना-पीना पड़े।

अब तो मालकिन की नजरें नीची हो गई और उन्हे अपने ऊपर शर्म आ रही थी कि उन्होंने बिना गलती के ही सुमित्रा को अपमानित कर दिया वह धीमे स्वर में बोली….मुझे माफ कर दो सुमित्रा!!!मुझसे गलती हो गई….तुम्हें काम छोड़कर जाने की कोई जरूरत नहीं है।

नहीं मालकिन चोरी का इल्जाम लगने के बाद तो अब मैं यहां काम नहीं कर सकती….आप मेरा जितने दिन मैंने काम किया है उतने दिन का हिसाब कर दीजिए और एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी तो मै खुद की भी नही सुनती…यह कहते हुए सुमित्रा अपना हिसाब कर पैसा लेकर चली गई

#अपमान

धन्यवाद

किरन विश्वकर्मा

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