भेदभाव – कुमुद मोहन

“तू फिर आ गई! कितनी बार मना किया कमला का पीछा छोड़कर अपनी मां के साथ कूड़ा उठाया कर पर मजाल है जो इस कमबख्त के कान पर जूं रेंगती हो!” दादी का सुबह सुबह का रोज का डायलॉग सुनकर छः साल की नन्ही रिंकी मुँह लटकाऐ दरवाज़े के बाहर निकल जाती!

गुनिया सफाई वाली की लड़की रिंकी सुरेश और नीता की बेटी कमला की हमउम्र थी!

कमला के रंग बिरंगे कपड़े महंगे खिलौने इम्पोर्टेड चॉकलेट देखने का लोभ संवरण न कर पाती और सुबह होते ही वह अपनी मां के साथ सुरेश जी के घर आ जाती!

दादी को रिंकी एक आँख नहीं भाती!दादी की पैनी नज़रें रिंकी पर लगी रहती कहीं कुछ छू न ले सख़्ती से छुआछूत मानने वाली सफाई करने वालों को आज भी हेय दृष्टि से देखती!दादी रिंकी और उसकी मां का अपमान करने का कोई मौका नहीं चूकती!

 

दादी ने सख्त हिदायत दे रखी थी कि अगर रिंकी या उसकी मां को कुछ देना हो तो पर्याप्त दूरी बनाकर ऊपर से दो! उसके कपड़े या हाथ छू न जाए वर्ना नहाना पड़ेगा!

रिंकी की ललचाई नज़रों से कमला के खिलौने चॉकलेट वगैरह देखती! नीता अक्सर उसे कुछ न कुछ खाने को दे देती तो दादी चिल्लाकर कहतीं “अरी! बहू तुझे नहीं पता रोज रोज इसे कुछ पकड़ाएगी तो इसे यहाँ का चस्का लग जावेगा फिर ये लड़की यहीं डेरा डाले रहेगी!”

कमला के पुराने कपड़े पुराने जूते चप्पल पहन बालों में रंग-बिरंगे क्लिप लगा रिंकी अपने आप को राजकुमारी समझ इठलाती उछलती फिरती!

तब दादी मुँह सिकोड़कर उसे कहती”अरी ओ छोरी!अच्छे कपड़े पहनकर राजरानी ना बन जावेगी उठाना तो तुझे ज़िंदगी भर दूसरों के घरों का कूड़ा ही ना!

रिंकी का बालमन इन सबसे दूर अपने में ही मस्त रहता!

सुबह-सुबह बिना मुँह धोए बिना बाल काढें हबूड़ी सी रिंकी कमला को देख देख मुँह धोकर तेल चुपड़कर चोटी बनाकर आने लगी!

नीता रोज थोड़ा-बहुत कुछ न कुछ फल दूध मिठाई आदि रिंकी को देती जिससे उसके रूखे बेजान चेहरे पर चमक आने लगी!नीता कमला की तरह ही रिंकी का ध्यान रखती पर दादी से डरती!


दादी से छुपा कर नीता ने पास के स्कूल में रिंकी का दाखिला करा दिया!दादी जब सो जाती तो नीता रिंकी को पढ़ाई में सहायता कर देती!

एकदिन दादी अंगीठी पर भुट्टे भून रही थी! लालचवश रिंकी भी जरा पास में आकर खड़ी हो गई! गुस्से में दादी ने गर्म चिमटा रिंकी के हथेली पर रख दिया रिंकी छोटी सी नर्म हथेली की जलन से बिलबिलाती घर भाग गई!

फिर रिंकी दादी के डर के मारे कमला के घर नहीं आई! नीता ही उसे सामान और पढ़ाई के पैसे देती रही!

दादी जब छोटे बेटे के पास जाती तब रिंकी और कमला खूब खेलती!

धीरे धीरे दोनों लडकियाँ बड़ी होगई! कमला लंदन चली गई और रिंकी भी पढ़ाई में होशियार निकली  तो मेडिकल में चली गई!

नीता और सुरेश जी ने ही सारा खर्चा उठाया!

छुट्टियों में रिंकी आती तो नीता और सुरेश जी को मिल जाती! पर दादी का व्यवहार रत्तीभर भी नहीं बदला!

दादी गुनिया और रिंकी पर जबतब अपने व्यंग बाण चलाती रहती!

 

वो जब तब गुनिया को ताना देती “अरी!लड़की को पढ़ा लिखाकर क्या कलेक्टर वनावेगी?कोई लड़का देखकर ब्याह दे इसे और छुट्टी पा!काॅलेज जावे कहीं कोई ऊंच-नीच हो गई तो मुँह दिखाने काबिल भी ना रहेगी तू”!

 

डाक्टर बन रिंकी शहर के हस्पताल में इंटर्नशिप करने लगी!

एक रात दादी को ब्रेन हेमरेज हुआ रिंकी ने फौरन हस्पताल में सब इंतजाम कराया पर ध्यान रखा कहीं दादी को छू न ले इसलिए वह उनसे दूर दूर ही रहती!


 

दादी का बहुत खून बहा था इसलिए उन्हें खून चढ़ाने की जरूरत आ पड़ीं! घरवालों में से किसी का भी ब्लड ग्रूप दादी के ब्लड से मैच नहीं हुआ क्योंकि दादी का ब्लड ग्रूप रेयर था!मौके से रिंकी का ब्लड दादी से मैच हो रहा था!

सब बहुत पशोपेश में थे कि रिंकी का ब्लड दादी को चढ़ाया जाए या नहीं!दादी किसी हालत में तैयार नहीं होंगी!डाक्टर जल्दी कर रहे थे वर्ना दादी की जान को खतरा था!

फिर तय हुआ कि और कोई चारा नहीं बाद की बाद में देखी जाऐगी!अभी तो दादी की जान बचाने के लिए रिंकी का ब्लड चढ़ा दिया जाए!

बाद में दादी को बताया कि रिंकी ने अपना खून देकर उनकी जान बचाई तो नीता से कहकर रिंकी को अपने पास बुलाया और उसका हाथ पकड़ना चाहा!रिंकी घबराकर पीछे हट गई! “दादी!मैं अछूत हूं आप मुझे छुऐंगी तो आपको पाप लगेगा आप आराम करें”

“बच्ची मुझे माफ कर दे अपने हाथ मेरे हाथ में दे”  दादी ने रिंकी की जलने की वजह से खुरदुरी पड़ी हथेली पकड़ सहलाकर आँखों में आँसू भरकर कहा “मैने तुझपर बहुत जुल्म किये,दिन रात तेरा अपमान किया फिर भी तूने मेरी सेवा में दिनरात एक कर दिये!तू मुझे माफ नहीं करेगी तो मैं चैन से मर नहीं सकूंगी!”

कहते हुए दादी ने रिंकी को गले से लगा लिया!

रिंकी ने कहा “दादी आपने मेरा अपमान नहीं बल्कि मेरे ऊपर अहसान किया,आपका नमक खाकर ही मैं यहां तक पहुंची हूं!अपमान कहकर मुझे शर्मिन्दा

 ना करें!”

 

“अरे दादी!अभी हम आपको कैसे मरने देंगे अभी तो आपको मेरा और रिंकी का ब्याह भी तो कराना है” कहकर कमला ने एकाएक आकर सबको सरप्राइज दे दिया!

 

दोस्तों

कभी हमने सोचा है कि जो लोग हमारे घर का कूड़ा उठाते हैं हमारे आस-पास सफाई करते हैं वे भी इन्सान हैं उन्हें भी अच्छी तरह रहने का हक है!उनकी रगों में बहने वाले खून का भी लाल रंग हैं!बस क्योंकि वे हरिजन के घर पैदा हुए तो उसमें उनका क्या दोष!बार बार उनको यह अहसास कराके उनका अपमान करना कि उनकी जात क्या है कहाँ का इन्साफ है!

आपको पसंद आए तो प्लीज लाइक-कमेंट अवश्य दें!धन्यवाद

आपकी सखी

कुमुद मोहन 

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