बट्टा लगाना – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

एक थप्पड़ लगाते हुए शकुन अपने बेटे कमल को डांट रही थी। तुमने तो मेरी इज्जत मिट्टी में मिला दी, बट्टा लगा दिया मेरी इज्जत को।अरे कितनी मिन्नतें की थी भाई से अपने तेरी नौकरी को लिए कहीं काम नहीं मिल रहा था तुझे। आवारा की तरह इधर-उधर घूम रहा था।ढंग से काम करता तो जिंदगी संवर जाती तेरी,

पर नहीं तू अपनी मेरा फेरी की आदतें नहीं छोड़ेगा तो इस तरह कौन तूझे काम पर रखेगा।फिरता रहा इसी तरह आवारा और कर अपनी जिंदगी बर्बाद।न तो तेरी शादी होगी ,,न तेरा घर बसेगा और न तो तेरा परिवार बनेगा।कौन अपनी बेटी देगा तुझ जैसे बेकार इंसान को।डांटने मारने के बाद शकुन बैठकर रोने लगी ।है भगवान क्या करूं मैं इसका।लड़के को तू ही कुछ सद्बुद्धि दे भगवान।

              शकुन का इकलौता बेटा था कमल। पहले तो लाड़-प्यार में बच्चे को बिगाड़ लिया और अब रो रहे हैं। ज्यादा डांट-डपट न करने पर वो अपने मन का ही हो गया था। शकुन के पति किशन जी जब भी बेटे को डांटते की कुछ पढ़ाई-लिखाई कर लें इस तरह इधर-उधर घूम कर अपनी जिंदगी बर्बाद न कर तो शकुन बीच में ही बोल पड़ती अरे

क्यों डांट रहे हो बेकार में बच्चे को ,मेरा एक ही तो बेटा है ।एक ही तो बेटा है तो आवारा बना दो ।अरे पढ़ाई-लिखाई नहीं करेगा तो आवारा ही हो जाएगा न जब भी मैं कुछ समझाने की कोशिश करता हूं बस तुम बीच में आ जाती है ।अरे कुछ समझो शकुन आजकल शिक्षा के बिना इंसान की कोई कीमत नहीं है।पढ़ लिख जायेगा तो इंसान बन जाएगा। कहीं अच्छी सी नौकरी मिल जाएगी,ढंग से जिंदगी चलेगी। लेकिन नहीं मैं जब भी पढ़ाई-लिखाई की बात करता हूं तुम बीच में आकर बोलने लगती हो कर लो उसकी जिंदगी बर्बाद।

              मां के लाड़ प्यार से कमल पढ़ाई-लिखाई से जी चुराने लगा था।उसका मन ही नहीं लगता पढ़ने में। दिनभर बस बाहर खेलता रहता था। शकुन कहती अब बस कर खेल कुछ पढ़ लें कमल तो कमल बोलता पढ़ तो लिया मां तुम बस दिन भर पढ़ने को कहती हो। उसके इस रवैए से कमल आठवीं कक्षा में फेल हो गया।तब जाकर शकुन को कुछ होश आया।अब पिता तो कुछ बोलते नहीं थे क्योंकि कमल को कुछ कहने से पहले शकुन ही बोल पड़ती थी कमल का हौसला  बढ़ जाता था इसलिए चुप  ही रहते ।

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जाने मां बेटा मैं क्या करूं।अब जब देखा शकुन ने कि कमल पढाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहा है तो अब कमल के हर समय पीछे पड़ने लगी। लेकिन बेटा सुनता ही न था। किसी तरह आठवीं पास की तो हाई स्कूल में लटक गया।बस इसी तरह हर क्लास की दो दो बार परीक्षा देने पर किसी तरह इंटर पास कर पाया। उसके बाद तो कमल ने पढ़ाई से मुंह ही मोड़ लिया।लाख कोशिश के बाद भी कमल इंटर के बाद न पढ़ पाया।

         अब भला इंटर पास की आज के जमाने में क्या औकात रह गई न कोई काम धंधा देता न नौकरी।इधर उधर घूमकर बस अपना समय बर्बाद करता रहता।20 का हो गया था अब शकुन को चिंता होने लगी कि क्या करेगा,पढ़ाई तो कर नहीं रहा है कोई काम धंधे पर ही लगा दे नहीं तो बस ये आवारों की तरह इधर उधर घूमता रहेगा।

                   शकुन के ताऊ जी के बेटे की ग्लओशआइन बोर्ड बनाने की फैक्ट्री थी। उसमें कई आदमी काम करते थे । मेहनत वाला काम था। शकुन ने सोचा भाई से कहकर  कमल को यही पर कुछ काम दिला दे । फिर शकुन ने भाई प्रताप से बात की ,भाई यही पर कमल को भी कुछ काम धंधे पर लगा लो इधर उधर घूमता रहता है।पढता लिखता भी नहीं है।प्रताप बोले लेकिन शकुन यहां तो मजदूरों वाला काम होते सब कहां कर पाएगा ‌‌‌‌देख लो भइया उसके लायक़ कुछ काम हो तो , अच्छा देखता हूं कह दिया प्रताप ने ।

           प्रताप का ग्लोशाइन बोर्ड शहर के‌बाहर भी जाता था । उसके साथ एक आदमी को जाना पड़ता था । शकुन के बार बार कहने पर प्रताप ने कमल को उस काम के लिए रख लिया। बोर्ड लेकर जाना होता था उसको सही तरीके से पहुंचा कर वहां से पेमेंट लेकर आना होता था।और कमल फिर काम पर लग गया माल लेकर जाना और फिर पेमेंट लेकर आना। कुछ दिन तो कमल ने ठीक से काम किया लेकिन हाथ में पेमेंट का पैसा देखकर उसके मन में लालच आ गया। बोर्ड को बड़े संभाल कर लें जाना होता था टूटने फूटने का डर होता था

फिर क्या था कमल ने दिमाग लगाया और प्रताप से कहने लगा  दो तीन बोड टूट गये उसको वो किसी और को बेच देता था और जो पेमेंट मिलता था तो उसमें से कुछ पैसे अपने पास रख लिया और यहां आकर मामा को बता दिया कि चोरी चले गए या गिर गये या जेब कट गई। प्रताप ने सोचा ऐसा तो पहले कभी नहीं होता था माल भी अच्छे से पहुंचता था ये सब कमल की बदमाशी है कमल पर शक हो गया प्रताप को कि कमल ही कुछ हेरा फेरी कर रहा है।

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          प्रताप ने शकुन को बुला कर बताया कि कमल काम ठीक से नहीं कर रहा है।हेरा फेरी कर रहा है और पेमेंट के पैसे भी अपने पास रख लें रहा है। इसलिए मैं अब उसको काम पर नहीं रख रहा हूं मेरा नुकसान हो रहा है।हम लोगों की इज्जत पर बट्टा लगा रहा है। तो घर आकर शकुन ने कमल को डांट लगाई और थप्पड़ भी मारा।जा तू मर तू कुछ नहीं कर सकता । मिन्नतें करके भाई के यही काम पर लगाया था वो‌भी नहीं कर पाया तू । मैंने ही तेरी जिंदगी बर्बाद कर दी । पिता के डांटने पर तूझे बचाती थी उसी का नतीजा है ये। क्या करूं मैं तेरा ।

दोस्तों मां बाप बच्चों का भविष्य बनाने के लिए परेशान रहते हैं वो नहीं चाहते कि हमारा बच्चा आवारा घूमता रहे ।अच्छे से पढ़-लिख जाए और एक बेहतर जिंदगी जिए बस इसी की कल्पना करते हैं । शकुन सिर पर हाथ रखकर रोने लगी क्या करूं मैं इसका । पता नहीं कैसे कमल का मन पसीज गया और वो शकुन का हाथ पकड़कर बोलने लगा माफ‌कर दे मुझे मां ,अब मैं तुम या किसी को परेशान नहीं करूंगा ।अच्छे से काम करूंगा ।मामा से मैं बात करता हूं अब कोई शिकायत का मौका नहीं दूंगा ।मामा से माफी मांग लूंगा।

       मत रो मां मैं अब एक अच्छा इंसान बनकर दिखाऊंगा।तेरी इज्जत को अब बट्टा नहीं लगेगा ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

7 फरवरी

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