भाभी,हम ये घर छोड़कर जा रहे है – वर्षा गुप्ता
- Betiyan Team
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- on Jan 24, 2023
जीजी ••••मां ने गांव से राशन और खूब सारी सब्जियां भेजी हैं, कहां रखवा दूं, देवरानी रिया ने अपनी जेठानी श्वेता से पूछा •••••
तुम और तुम्हारे गंवार घर वाले..यहां यह सब मिलता नहीं क्या,,जो तुम्हारे माता-पिता इतनी दूर से ट्रक में लोड कर सारा सामान यहां भेज देते हैं, पूरी सोसायटी में बेइज्जती हो जाती है, कभी मॉल से सामान लाने का सोचो उससे पहले ही सारा कुछ आ जाता है.
भाभी इसमें बुराई ही क्या है? शहर में रहते हुए भी हमें शुद्ध और देसी चीजें घर बैठे ही खाने को मिल रही हैं,जहां लोग शुद्ध चीजों के लिए तरसते हैं,वहां बिना मेहनत किए ही सब हाजिर है.
तुमसे यही उम्मीद थी देवर जी, एक तो पहले से ही आप इस गंवार से शादी करके ले आए और अब ऊपर से इसके लिए अपनी भाभी पर ही चढ़ कर आ रहे हैं.
भूल गए क्या??? मम्मी-पापा के जाने के बाद मैंने ही आपको पाल पोस कर बड़ा किया है, अगर मेरी छोटी बहन से शादी की होती तो आपका स्टैंडर्ड कुछ और ही होता. खैर मुझे क्या अपने कमरे में ही सब रखवा लेना…पूरा घर गंदा करने की जरूरत नहीं है••••
पर भाभी, इससे पहले रजत कुछ कहता रिया ने हाथ पकड़ उसको रोक लिया•••••
भाभी ऐसे कैसे कर सकती हैं…इस घर पर तुम्हारा भी उतना ही हक है ,जितना भाभी का, नहीं आगे से मैं अब उनको तुम्हारा और तुम्हारे मायके वालों का मजाक नहीं बनाने दूंगा.
भाभी दिल की बुरी नही हैं,आजकल उन पर ऑफिस का वर्कलोड शायद कुछ ज्यादा ही है और फिर प्रिया और समीर के पेपर का भी प्रेशर है. आप चिंता मत कीजिए मैं सब संभाल लूंगी.
बात आई गई हो गई थी, पर अक्सर ही श्वेता, रिया को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी.जबकि वह भी अच्छे से जानती थी कि उसके ऑफिस जाने से उसके घर वापस आने तक रिया ही थी, जिसने घर ,बच्चों ,सभी कुछ बहुत अच्छे से संभाल रखा था.
कुछ दिन पहले की ही बात थी जब श्वेता ने अपनी सारी सहेलियों को घर पर बुलाया था•••तब उसने रिया को अपने कमरे से बाहर ही नहीं आने दिया था क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसकी सहेलियों को पता चले की उसके देवर ने एक गांव के परिवेश में पली लड़की से शादी की है.
श्वेता शुरू से ऐसी नहीं थी पर जबसे उसके देवर रजत ने उसकी चचेरी बहन श्रुति से शादी न कर अपनी मनपसंद की लड़की रिया से शादी की है तभी से वह उन दोनों से बहुत नाराज थी, रजत को तो तब भी उसने माफ कर दिया था पर कोई गलती न होते हुए भी वह रिया से कभी भी खुश नहीं हो पाई.
समय अपनी गति से चला जा रहा था कि एक दिन श्वेता को अपने ऑफिस के काम से शहर के बाहर जाना पड़ा,बच्चों की और पति(राजीव)की पूरी जिम्मेदारी रिया पर छोड़ वह अपने काम से निकल जाती है.
दो ही घंटे बीते थे की खबर आ जाती है कि श्वेता की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है,किसी भले व्यक्ति की वजह से उसे अस्पताल पहुंचाया गया है,सब लोग तुरंत ही अस्पताल पहुंच जाते हैं.
डॉक्टर बताते हैं कि सीट बेल्ट लगी होने की वजह से जान बच गई वरना कुछ भी हो सकता था, फिलहाल मरीज अभी बेहोश है.
बाकी रिपोर्ट्स आने पर पता चल जाएगा.
मामूली सा फ्रैक्चर है,कुछ अंदरूनी चोटे हैं…चेहरे पर से चोट के निशान समय के साथ चले जाएंगे,,,
महीने दो महीने में बिल्कुल सही हो जाएंगी तब तक आप इनका अच्छे से खयाल रखिएगा,डॉक्टर हिदायत देकर श्वेता को अस्पताल से छुट्टी दे देता है.
घर वापस आते ही रिया श्वेता की पूरी जी जान से सेवा करती है,जल्दी उसके घाव भर सकें इसलिए रोज सुबह शाम जबरदस्ती दूध में हल्दी घोल कर देना,बाथरूम में खुद ही पकड़ कर ले जाना अपने घरेलू नुस्खों से उसके तिल के तेल से हल्के हाथों से पूरे बदन की मालिश करना,हफ्ते भर में ही श्वेता को आराम मिलना शुरू हो गया था.
एक सुबह,
रिया मुझे माफ कर देना,मैंने तुम्हें हर समय इतना बुरा भला कहा,हमेशा तुम्हारे पहनावे और बोली का मजाक उड़ाया,उसके बाबजूद भी तुम सब कुछ भुला दिन रात मेरी सेवा करने के लिए समर्पित रही, इतना तो कोई अपना खास भी नहीं करता. अगर मैं अपने पैरों पर फिर से इतनी जल्दी सही सलामत खड़ी हो पाई हूं तो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे घरेलू नुस्खों की वजह से. हमेशा तुम्हे अशिक्षित और गंवार समझा पर असल में शिक्षित होते हुए भी मैंने तुम्हारे साथ अशिक्षित जैसा व्यवहार किया, मुझे माफ कर दो. आगे से मैं कभी भी तुम्हे शिकायत का मौका नहीं दूंगी.
भाभी आप मेरी बड़ी बहन के समान हैं,आपको मुझे डांटते ,फटकारने का पूरा हक है, माफी मांगकर मुझे यूं शर्मिंदा न करें,कहते हुए रिया ने झुक कर अपनी जेठानी श्वेता के पैर छू लिए.
देवर जी••••क्या आप अब भी अपनी भाभी से नाराज हैं, श्वेता ने अपने कान पकड़ते हुए रजत से पूछा.
भाभी मां से भी कोई नाराज होता है,क्या,,मैंने तो अपनी मां को बहुत पहले ही खो दिया था, आज मैं जो कुछ भी हूं आप और भैया की वजह से हूं,,पर भाभी•••
पर क्या भैया••••
अब जब आप पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं तब मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं, मैंने यहीं पास में एक फ्लैट ले लिया है अब से मैं और रिया वहीं रहेंगे. भैया तो सब जानते हैं ये बात हम आपको बताने ही वाले थे,तब तक आपके साथ ये हादसा हो गया.
पर, ये सब क्यों,कब,कैसे….एक साथ ही बहुत सारे प्रश्न श्वेता ने पूछ डाले.अब तो सब कुछ सही भी हो गया है,और आपने भी मुझे बताना जरूरी नहीं समझा,श्वेता पति राजीव से गुस्सा होते हुए बोली.
भाभी इसमें भैया की कोई गलती नही है मैंने ही मना किया था. आप बड़ी हैं, मां समान हैं,आपका कुछ भीं कहा, सिर आंखों पर ,पर मैंने भी रिया से शादी करते वक्त कुछ वादे किए थे और उन्हें पूरा करना भी न केवल मेरी जिम्मेदारी है बल्कि मेरा दायित्व भी है.
मैं रोज रोज अपनी पत्नी के स्वाभिमान को चोट पहुंचते नहीं देख सकता,भाभी जरूरी नहीं हर बार रिश्तों को सच की कसौटी पर खरा उतरने के लिए
किसी अवसर की जरूरत पड़े, अगर आपके साथ यह हादसा नही हुआ होता तो आप अभी भी रिया के साथ वही बर्ताब करतीं.
वैसे भी बच्चे बड़े हो रहे हैं, ये घर हमारे लिए छोटा भी पड़ता था,इसीलिए मेरा और रिया का यहां से जाना ही बेहतर है…पास रहकर दिलों में दूरी रहे उससे बेहतर दूर रहकर आपस में प्यार और मिलाप रहे वह ज्यादा अच्छा रहेगा.
पर इतनी जल्दी ये सब फैसला•••कुछ समय तो मुझे अपनी छोटी बहन रिया के साथ बिताने दिया होता.
भाभी कुछ फैसले अचानक ही लिए जाएं,तभी सही रहते हैं!!!
रिया और रजत दोनों ने अपना सामान लिया और अपने नए घर के लिए निकल गए.
दोस्तों अक्सर ही ऐसा होता है,,जब सच सामने आता है,तब हम सामने वाले की प्रति व्यवहार बदल लेते हैं, पर यदि ऐसा नहीं हो पाए तो उस इंसान पर क्या बीत रही है,हम उसका अंदाजा भी नहीं लगा पाते.
उम्मीद करती हूं,,आप सब मेरी इस बात से सहमत जरूर होंगे,,आप अपनी राय कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिख का बताए,,।
#स्वाभिमान
आपकी दोस्त
वर्षा गुप्ता
सर्व मौलिक अधिकार सुरक्षित
धन्यवाद!!!!