बेवजह चिंता – के कामेश्वरी

काव्या  के माता-पिता की मृत्यु के बाद मामा ने ही उसकी और उसकी बहन सुजाता के पालन पोषण की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली थी । उनके खुद के भी बच्चे थे इसलिए इन दोनों को उन्होंनेपढ़ाया नहीं था लेकिन घर के कामकाजों में माहिर बना दिया था । उसकी शादी उसके मामा ने एकबच्ची के पिता रितेश से तय कर दिया था जो सरकारी नौकरी कर रहा था । काव्या सिर्फ़ अठारह साल की ही थी जब उसकी शादी तय हुई थी । उससे कहा गया था कि बच्ची तीन महीने की ही है और उसका होने वाला पति सरकारी ऑफिस में नौकरी करता है तू आराम की ज़िंदगी जिएगी । काव्या कोइतनी समझ तो नहीं थी इसलिए सबकी बात मान कर उसने शादी के लिए हाँ कर दी थी । उन दोनों की शादी धूमधाम से हो गई थी ।काव्या ने अपने पति और छोटी सी बच्ची के साथ अपनी ज़िंदगी शुरूकर दी । 

उसने बचपन में ही माँ को खो दिया था इसलिए उसने उस छोटी बच्ची को माँ की कमी नहीं होने दे रही थी । आसपास के लोगों ने बहुत कोशिश की थी काव्या को भड़काने की पर उस पर इसका कोई असरनहीं हुआ था । अगले ही साल काव्या ने एक लड़के को जन्म दिया था । अब उसका परिवार पूरा होगया था । वह अपने परिवार में खुश हो गई थी । पति सोमेश काव्या की बहुत ही अच्छे से देखभाल करते थे हर शनिवार और रविवार को बाहर घूमने ले जाना और लंबी छुट्टियों पर भी दूसरे शहर घुमाने ले जाते थे । बच्चों में भी एक-दूसरे से बहुत प्यार था । उसने यह कोशिश की थी कि बच्चों को पता हीनहीं चले कि वह प्रियंका की सगी माँ नहीं है । । 

दोनों बच्चे अच्छे से पढ़ाई करने लगे थे । अब बच्चों की पढ़ाई पूरी होने से पहले ही सोमेश जी केरिटायर होने का समय आ गया था ।काव्या को डर लगने लगा कि अब क्या होगा ? प्रियंका ने इंजीनियरिंग कॉलेज में दाख़िला ले लिया था । सोमेश जी के रिटायर होने के बाद जो भी पैसे मिलेउनमें से ही उन्होंने उसकी पढ़ाई के लिए पैसे रख दिया था । प्रियंका पढ़ाई में बहुत अच्छी थी इसलिएउसने अच्छे नंबर लेकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और उसका कैंपस सेलेक्शन हुआ और अच्छीकंपनी में नौकरी मिल गई थी । 




काव्या ने प्रियंका को पहले ही समझा दिया था कि पिता रिटायर हो गए हैं इसलिए भाई की पढ़ाई पूरीकरने के बाद ही वह उसकी शादी कराएगी । 

प्रियंका ने इस बात पर कोई एतराज़ नहीं जताया । काव्या के बेटे की पढ़ाई पूरी हुई और उसे भी एकअच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई थी । 

काव्या अब प्रियंका के लिए रिश्ते ढूँढने लगी थी । इसी बीच बेटे मयंक ने बताया कि वह उसके साथमिलकर काम करने वाली लड़की रिया को प्यार करता है । वह केरल से है और दोनों शादी करनाचाहते हैं । काव्या रिया के माता-पिता से मिलने गई और कहा कि इन दोनों की शादी के लिए तैयार हूँपरंतु शर्त यह है कि पहले प्रियंका की शादी हो जाए फिर इन दोनों की शादी करूँगी । उन लोगों को भीकोई एतराज़ नहीं था । काव्या ने प्रियंका की शादी तय करने से पहले ही मयंक से एक फ़्लैट भीख़रीदवा लिया था । इस तरह बड़ी ही सूझबूझ से उसने अपने परिवार को आगे बढ़ाया था । 

ईश्वर की कृपा से प्रियंका की शादी तय हो गई थी । काव्या ने अपने दोनों बच्चों की मदद से हैसियतसे ज़्यादा खर्च करके प्रियंका की शादी करा दी थी । प्रियंका की शादी होने के एक साल के बाद हीमयंक की शादी भी करा दी थी आज के समय दोनों बच्चे अच्छा कमाते थे इसलिए उसे कोई तकलीफ़नहीं हुई साथ ही पति को भी अच्छा पेन्शन भी मिल जाता था इसलिए उसे बच्चों के सामने हाथ फैलानेकी ज़रूरत नहीं पड़ रही है । 




दोनों बच्चे अपने अपने परिवार के साथ बैंगलोर में अच्छा ख़ासा जीवन व्यतीत कर रहे थे । दोनों कोअपने माता-पिता से बहुत प्यार हैं वे माता-पिता की हर ख़ुशी का ख़्याल रखते हुए उनकी अच्छीदेखभाल भी कर रहे थे । 

अब क्या सब खुश परंतु काव्या अभी भी अपनी ज़िंदगी से खुश नहीं है । उसे लगता है कि बेटे ने दो दोप्लाट ख़रीद लिया है और बेटी ने घर भी नहीं खरीदा है । उसी की चिंता में घुलते हुए उसे शुगर कीबीमारी हो गई थी । 

प्रियंका ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की थी कि माँ आपको हमारी चिंता करने की ज़रूरत नहींहै ।हमारे ससुराल वाले बहुत पैसे वाले हैं ।उनके पास ज़मीन जायदाद है जयपुर और दिल्ली में भीफ़्लैट हैं मेरे ससुर अभी भी अच्छे पोस्ट पर नौकरी कर रहे हैं और वैसे भी मैं और सौरभ केनडा जाकरबसने वाले हैं इसलिए हमने कुछ नहीं ख़रीदा है पर काव्या को कौन समझाए उसे लगता है कि बेटी भीअपनी कमाई से एक घर ख़रीद लेगी तो सुकून हो जाएगा । वह बेकार की चिंता में अपनी अच्छीख़ासी ज़िंदगी को बर्बाद करने पर तुली हुई है । 

दोस्तों कुछ लोग ऐसे ही होते हैं जिन्हें सुकून की ज़िंदगी जीना नहीं आता है । बचपन से इतने दुख सहेथे पर अपनी सूझबूझ से जीवन को सँवारा है और दोनों बच्चों की ज़िंदगी बना दिया है तो अब अपनेपति के पेन्शन से आराम से अपना गुज़ारा कर सकती हैं पर बिना चिंता किए कुछ लोगों का खानापचता नहीं है शायद । ईश्वर उन्हें सदबुद्धि दें । 

स्वरचित 

के कामेश्वरी 

#कहानी_प्रतियोगिता_अप्रैल 

कहानी नंबर— ३

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