माफ़ करना रिया लेकिन माँ अगर चाहती है तो………… तो क्या दर्पण (रिया एकदम चीखती हुई बोली ) , मतलब कि माँ के साथ साथ तुम भी यही चाहते हो की हम अपने बच्चे को दुनिया में आने ही न दें बोलो ……. नहीं रिया माँ बस ये कह रही थी की एक बार पता लगा लेने में क्या बुराई है कि हमारा होने वाला बच्चा लड़का है या लड़की क्यूंकि हमारे खानदान में किसी का पहला बच्चा लड़की नहीं है ………….
नहीं बिलकुल नहीं दर्पण में अब तुम्हारी भी कोई बात नहीं सुनूंगी अगर तुम इस बच्चे को इस दुनिया में लाना चाहते हो चाहे फिर वो बेटा हो या बेटी तो ही मैं यहाँ तुम्हारे साथ रहूंगी……..नहीं तो मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती और हाँ इस भूल में नहीं रहना कि अगर बेटा हुआ तो तुम मुझे अपने पास वापस बुला पाओगे …. मेरे पिता ने मुझे इतना काबिल तो बनाया है कि मैं अपने बच्चे कि परवरिश अच्छे से कर सकूँ……
दर्पण और रिया कि ये बातें जब लीलादेवी ने सुनी तो फरमान सुना दिया कि अगर लड़की हुई तो तुम्हारी इस घर में कोई जगह नहीं है फिर अपना देख लेना मैं अपने बेटे का दूसरा विवाह करवा दूंगी लाखों मिलेंगी तुम्हारे जैसी…… रिया ने ये सुनकर एक बार दर्पण कि तरफ देखा लेकिन वहां से कोई जबाब न पाकर वो समझ गयी कि दर्पण माँ का ही साथ देगा …….
रिया ने अपना सूटकेस उठाया और दर्पण से कहा कि तलाक़ के कागज़ मैं तुम्हें भेज दूंगी क्यूंकि ऐसे इंसान के साथ मुझे नहीं रहना जिसमे निर्णय लेने की काबिलियत ही न हो…… रिया चली गयी दर्पण उसकी माँ के साथ ही रह गया……… आज रिया का बेटा डॉ अभिमन्यु के नाम से मशहूर है और दर्पण अपनी दूसरी पत्नी के साथ अकेले रहता है क्यूंकि वो न तो उसे बेटा दे पायी और न ही बेटी ……………
अंकिता मंजुल
(स्वरचित – मौलिक अधिकार सुरक्षित )