Moral Stories in Hindi : नीरु! तू फिर आ गई?सुशील के मुंह से फिसल गया था अपनी बहन को इतनी जल्दी घर आया देखकर,अभी पिछले हफ्ते ही तो तीन दिन रहकर गई थी,उसने सोचा।
लेकिन नीरू बुरा मान गई थी,अच्छा नहीं लगा तो लौट जाती हूं भैया…वो सुबकते हुए बोली,अब अपने मायके आने के लिए भी मुझे सोचना पड़ेगा पहले,मुझे पता न था।
नहीं दीदी,वो बात नहीं है,ये चौंक गए होंगे तभी इनके मुंह से निकल गया ,उधर आती रिशा ,अपने पति का बचाव करती बोली।
सब समझती हो भाभी…अब भैया पहले जैसे नहीं रहे…शादी हो गई न!
ये क्या बात हुई अब?गुस्सा मुझ पर और तोहमत मेरी शादी यानि पत्नी पर जो तुम्हारा ही पक्ष ले रही है…सुशील मुंह बनाता अंदर जाने लगा।
कमरे में आते ही,रिशा बोली,क्या गजब करते हो आप भी,संभल कर बोला करो,अब अम्माजी को उल्टा सीधा भरेंगी आपके लिए!
मैं डरता हूं उससे…जब चाहा,मुंह उठाए मायके चली आती है,कोई बच्ची है क्या?बेचारा रोहित भी परेशान है उसकी आदत से…
मिले थे क्या जीजू आपको?रिशा ने पूछा।
और नहीं तो क्या?पिछली बार ही कह रहा था कि अपनी बहन को समझाइए,जरा जरा सी बात में रूठ कर मायके जाने की धमकी देती है ये।
ये तो गलत बात है…रिशा कहने लगी,तभी उसकी सास की आवाज़ आई…
रिशा!ननद के लिए चाय बाय बनाओगी या बातें ही करती रहोगी?
आई मां!ये कहती रिशा कमरे से बाहर निकल गई।
सुशील सोच रहा था,उसकी पत्नी रिशा भी तो है,तीन महीने निकल जाते हैं कभी मायके नहीं जा पाती,कभी अम्मा की जिम्मेदारी,कभी नन्द नंदोई आ गए,कभी बच्चे की दिक्कत…क्या उसका मन नहीं करता अपने मायके जाने का?हर बार अपनी मां से हंसकर बहाना बना देती है।
इस बार नीरू ऐसी आई कि जाने का नाम ही नहीं ले रही थी,पता चला कि रोहित से झगड़कर आई है और अब कभी नहीं जाएगी।
सुशील ने अम्मा से कहा …ये क्या सुन रहा हूं अम्मा!नीरु अब अपनी ससुराल नहीं जाएगी?
तो क्या तुझ पर भारी पड़ रही है?अपनी मां के घर आई है,जब तक जी चाहे रहेगी,उसकी मर्जी!!
वो बात नहीं है मां…हकला गया था सुशील,आप उसकी बड़ी हो,आप उसे सिर पर
चढ़ाओगी तो कैसे काम चलेगा?
सब पट्टी तेरी बीवी ने पढ़ाई है तुझे,पहले तो बड़ी जान देता था बहन पर…
क्या कह रही हो मां?सुशील का मुंह खुला रह गया,ये इन्हें क्या हो गया है?
रोहित लेने आया था नीरू को पर उसने और उसकी मां ने उसे बेइज्जत कर लौटा दिया।रिशा के विरोध करने पर मां ने सुशील और रिशा से घर छोड़ कर जाने तक को बोल दिया।
सुशील हैरान रह गया,उसने मां से अकेले में बात कर एक योजना बनाई,थोड़ी नानुकुर के बाद मां उसे मान गई।
अगले दिन,सुशील,नीरु से बोला,तो अब तुम यहीं रहोगी,ये निश्चय कर लिया तुमने?
जी हां! मैं उस कपटी आदमी के पास कभी नहीं जाऊंगी,टीवी देखते वो लापरवाही से बोली।
जरा टीवी की वॉल्यूम कम करो,मुझे तुमसे इंपोर्टेंट बात करनी है…वो बोला।
भैया!आप रहने दें,मेरा मन पसंद सीरियल चल रहा है,बाद में बात करेंगे।
नहीं…बात अभी होगी,सुशील ने टीवी बंद कर दिया।
नीरु ने घूरकर देखा बड़े भाई को..
कहिए!!तल्खी से चिल्लाई वो।
देखो!अब यहां रहना है तो एक वक्त की रसोई तुम्हें संभालनी होगी,कोई जॉब भी ढूंढ लो,मेरी इनकम इतनी नहीं है कि मै सबके खर्चे उठा सकूं।
नीरु ने सपाट मना कर दिया,ये मेरी मां का घर है, मै उनका खा रही हूं,आपका नहीं,समझे!!
तभी मां वहां आ गई,नीरु!बाप जैसे भाई से ये क्या तरीका हुआ बात करने का?
आप भी इनकी बातों में आ गई?नीरु ने अपनी आदत अनुसार मां को भड़काना चाहा।
लेकिन तुम घर में सारा दिन खाली बैठकर क्या करोगी?तुम्हारे पापा के जाने के बाद,सब कुछ सुशील ने ही तो संभाला है,तुम्हारी पढ़ाई,शादी,सब दूसरे खर्चे…
लेकिन मैं जॉब क्यों करूंगी इस घर में?वो चिड़चिड़ा कर बोली।
इस घर में?क्या मतलब है तुम्हारा,क्या ये तुम्हारा घर नहीं?मां गुस्से से बोली।
नहीं…नीरु रोते हुए बोली। मै आज ही रोहित को फोन करती हूं,वो आके मुझे यहां से ले जाए।
मां को उसकी बात सुनकर बहुत धक्का लगा,तो सुशील ठीक कहता था,उसने नीरू को बहुत डांटा…नीरु!मुझे शर्म आ रही है कि मै तुम्हारी मां हूं,तुम्हें ये संस्कार दिए मैंने?लेकिन अब और नहीं,एकदम हमारे घर से निकल जाओ…अब और मै तुम्हारे झांसे में नहीं आने वाली,तुमने रोहित को बुरा भला कहकर मेरा दिमाग खराब कर दिया था पर गलती तुम्हारी थी।तुमने मुझे धोखा दिया है,अब में तुम्हें मिनट भर भी बर्दाश्त नहीं करूंगी।तुम्हारी भाभी भी तो है,मेरी सारी कड़वी बातें सुनकर चुप रहती है जिससे ये परिवार की एकता न टूटे और एक तुम हो…।
नीरु की आंखों में पश्चाताप था।
संगीता अग्रवाल
वैशाली,गाजियाबाद