बम – अनुज सारस्वत

“अम्मा मम्मी पापा अलग क्यों रहते हैं मुझे कभी मम्मी के पास कभी पापा के पास जाना पड़ता है ,आप बोलो न उनको साथ रहा करें “

5 साल के अंकुश ने अपनी दादी से कहा दादी यह सुनकर भावुक हो गयी और कहा

“हां बेटा मैं बात करूंगी “

एक साल पहले ही दो बेटे बहू में अनबन होने के कारण दोनों ने तलाक ले लिया था

फिर अंकुश बोला

” अम्मा आप बता रहीं थी कल शिवरात्री है ,क्यों मनाते हैं इसे “

अम्मा मुस्कराकर बोलीं

“बेटा इस दिन ही सृष्टि का आरम्भ हुआ था शिव और शक्ति स्वरूपा माँ पार्वती के मिलन से “

बीच में रोकते हुए अंकुश बोला

“क्यों अम्मा वो भी अलग रहते थे क्या जो मिलना पड़ा?”

“अरे नहीं बेटा शादी हुई थी हां अड़चने बहुत आयी थी लेकिन दोनों का प्रेम मजबूत था कैसे पार्वती ने हर जन्म में शिव को ही प्रेम किया और त्याग भी”

फिर दादी ने सारी कथा सुनाई पार्वती जी के पूर्व जन्म से लेकर और बोली

“इसीलिए हम सब खुशी खुशी इस त्यौहार को मनाते हैं व्रत रखते हैं जैसे पार्वती ने शिवजी के लिए रखे उन्हें बेलपत्र, भांग धतूरा इत्यादि अर्पित करते हैं”

अंकुश ” अम्मा भांग क्या होता है “

दादी-“बेटा देवताओं और दानवों के बीच अमृत प्राप्ति के लिए समुद्र मंथन हुआ था तब उसमें से हलाहल विष निकला था सब तरफ हाहाकार मच गया तब महादेव ने उसे पिया जिससे उनके शरीर में ज्वाला उत्पन्न होने लगी और शरीर भी नीला हो गया था तब ऋषि मुनियों ने उन्हें हिमालय की कंदराओं मे एक स्थान पर जाने की सलाह दी और औषधि के रूप में भांग और धतूरे का मिश्रण पीने की सलाह दी

यह स्थान आज ऋषिकेश में नीलकंठ नामक जगह पर स्थित है और हां उस रात को शिवजी को नींद नही आये इसीलिए सारे देवतागण ढोल ताशे बाजे लेकर उनका गुणगान करने लगे पूरी रात्रि एक बात और बेटा उस दिन के बाद कभी शिवजी ने भांग धतूरे को हाथ नहीं लगाया था लेकिन कुछ लोग गलत मानसिकता के कारण प्रभू पर नशेड़ी होने का आरोप लगाते रहे हैं जबकि वो देवाधिदेव हैं “

यह सारी बातें अंकुश सुनता रहा और बोला अम्मा कल हम मंदिर जायेगें आप मम्मी पापा को बोल दो वो भी आये पूजा करने

अगले दिन शिवरात्री थी अंकुश दादी और पापा के साथ मंदिर पहुंचा और मम्मी अलग पहुंची पूजा करने के अंकुश भाग कर मम्मी के पास गया और खींचकर पापा के पास ले आया और बोला

“मम्मी पापा आज के दिन शंकर जी की शादी हुई थी और शंकर जी ,पार्वती जी ने कितने कष्ट उठाये लेकिन अलग नही हुए आप लोग भी मिल जाओ न प्लीज मुझे नहीं जाना एक महीने अलग अलग दोनों के पास अगर आप दोनों नही मिले तो मैं किसी के पास नही आऊंगा शिवजी के पास चला जाऊंगा “

मम्मी ने उसे गले से लगा लिया भीगे हुऐ नैनों से और उसके पापा की तरफ देखा पापा ने भी मौन स्वीकृति दे दी और दोनों ने कहा बेटा

“हम साथ रहेंगे नही जायेगें छोड़कर तुमको”

और दोनों अंकुश से लिपट गये इधर दादी साड़ी के पल्लू से आँख पोछते हुऐ

शिवजी को कोटि कोटि धन्यवाद दिया

और तभी अंकुश जोर से चीखा

“थैंक्यू शिवजी”

और घंटे घड़ियाल,शंखनाद बज उठे जैसे शिवजी उसको

“येर बेलकम माई सन ” बोल रहे हों।

बोल बम

-अनुज सारस्वत की कलम से

(स्वरचित)

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!