श्यामली अपनी सास निर्मला को खाना खिला कर उनके बर्तन उठाने ही वाली थी कि तभी उसके बेटे अरुण ने अपने मोबाइल से अचानक अपनी मम्मी और दादी की फोटो खींच ली। बेटे को फोटो खींचते देखकर श्यामली थोड़े गुस्से में बोली” तुमने मेरी फोटो क्यों ली सुबह से काम करते-करते मेरा चेहरा कितना खराब हो गया है ना मैंने कोई श्रृंगार किया है ना ढंग के कपड़े पहने कोई मेरी फोटो देखेगा तो क्या कहेगा कि तुम्हारी मम्मी बिल्कुल भी सुंदर नहीं है डिलीट कर दो इसे” यह सुनकर अरुण मुस्कुराते हुए बोला” मम्मी जी आपकी फोटो बहुत सुंदर आई है
सच कहूं तो आप इतनी खूबसूरत है कि आपको श्रंगार की जरूरत ही नहीं है आपकी सेवा ,मेहनत और त्याग की भावना जैसे बहुमूल्य आभूषण ने आपके सौंदर्य को और भी निखार दिया है। आज के जमाने में कौन है जो निस्वार्थ भाव से अपने परिजनों की सेवा करता है अब तो बहूं सास के पास दो घड़ी बैठने की बजाए पूरा दिन मोबाइल चलाने में और आराम करने में व्यस्त रहती हैं मम्मी आप ऐसे ही रहना कभी बदलना मत आप जब दादी की सेवा करतीं हैं। हमें अच्छी अच्छी कहानियां सुनाकर पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं तब मन को बड़ा सुकून मिलता है।”
बेटे की बात सुनकर श्यामली की आंखें भर आई थी वह अपनी सास का बहुत आदर और सम्मान करती थीं जब से उसकी शादी हुई थी उसकी सास उसके पास ही रहती थी परंतु, कुछ समय पहले जब उसके देवर अनुज की शादी अनीता से हुई तब शादी के कुछ समय बाद ही शहर में नौकरी करने के कारण अनुज अनीता को लेकर अलग मकान में रहने लगा था उस वक्त अनीता अपनी सास निर्मला को यह कहकर अपने साथ ले गई थी कि आप मेरे साथ चलो मैं वहां पर आपकी बहुत सेवा करूंगी, तब अनीता की प्यार भरी बातों में
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आकर उसकी सास अनीता के साथ उनके घर में रहने चली गई थी। वहां जाने के बाद उसकी सास को एहसास हुआ उसने छोटी बहू के पास आकर बहुत बड़ी गलती कर दी क्योंकि अनीता 10:00 बजे से पहले सोकर नहीं उठती थी तब यह सोच कर कि कहीं बेटा भूखा ही ऑफिस ना चला जाए जल्दी से घर में सफाई करके उसकी सास रसोई में खाना बनाने में जुट जाती थी शाम के समय जब खाना बनाने का वक्त होता तब वह बीमारी का बहाना लेकर खाना बनाने से इंकार कर देती थी तब बहु की चालाकी से अनजान मजबूरी में वह शाम का खाना भी बना देती थी।
1 दिन उसकी सास जब शाम के समय खाना बना रही थी तभी अनीता के मम्मी पापा उससे मिलने आ गए थे। जब निर्मला ने उन्हें बताया कि अनीता बीमार है तब वो दोनों उससे मिलने के लिए उसके कमरे में चले गए थे अपने मम्मी पापा को देखकर वह तुरंत ही बिस्तर से उठ गई थी और उनके लिए नाश्ता लाने के लिए रसोई की तरफ जाने लगी तब उसकी मम्मी उसे नाश्ता लाने के लिए मना करते हुए बोली “बेटी तेरी सास कह रही थी कि तू बीमार है तू परेशान मत हो हमें खाने की कोई इच्छा नहीं हैं।”
यह सुनकर अनीता मुस्कुराते हुए बोली” कभी-कभी सेवा करवाने के लिए बीमार होने का दिखावा भी करना पड़ता है वैसे भी आपको देखकर मेरी सारी बीमारी दूर हो गई यदि आप मेरे घर से बिना नाश्ता किए जाएंगे तो मैं सच में परेशान हो जाऊंगी।” उस वक्त अनीता की सास उसके मम्मी पापा को पानी देने के लिए उसके कमरे में आ रही थी जब उन्होंने अनीता की बात सुनी तो उन्हें बेहद दुख हुआ कहीं अनीता को पता ना चल जाए कि उसकी सच्चाई उन्हें पता चल गई है यह सोचकर वे तुरंत पानी के गिलास लेकर रसोई में चली गई थी
और गिलास रसोई में रखकर आंगन में जाकर बैठ गई थी संयोग से उसी वक्त उनका पोता अरुण भी उनसे मिलने चला आया था। जब उसने अपनी दादी का दुखी चेहरा देखकर उनके दुख का कारण पूछा तब निर्मला अपना दुख छुपाते हुए मुस्कुराते हुए बोली “बेटा मुझे यहां कोई दुख नहीं है आज तेरी मम्मी की याद आ गई इसलिए मन दुखी है” दादी की बात सुनकर अरुण समझ गया था कि वो अपने दुख को छिपाने का दिखावा कर
रही है जरूर चाची ने कोई बात कह दी होगी जिसके कारण वे दुखी हैं उनके दुख का कारण जानकर वह उन्हें और दुखी नहीं करना चाहता था इसलिए उनसे प्यार से बोला” बड़ी मां मैं अभी आपके दुख को दूर कर देता हूं जल्दी से अपने कपड़े लेकर मेरे साथ चलो।”
अरुण की बात सुनकर जब निर्मला अपने कपड़े लेकर अरुण के साथ चलने लगी तब अनीता उनसे बोली” मम्मी जी मैं तो सोच रही थी कि ठीक होने के बाद मैं आपकी सेवा करूंगी परंतु, आप तो यहां से जा रही है प्लीज कुछ दिन और रुक कर मुझे अपनी सेवा का मौका दीजिए।” “बहू मौका तो उन्हें दिया जाता है
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जो सच बोलते हैं जो स्वस्थ रहकर भी बीमार होने का दिखावा करते हैं उनसे दूर रहना ही बेहतर है। मुझे देखकर तू बीमार हो गई और मम्मी पापा को देख कर तेरी बीमारी दूर हो गई बहू शर्म आती है मुझे तुम्हारी सोच पर” निर्मला ने गुस्से में कहा तो उनकी बात सुनकर अनीता शर्मिंदा हो गई थी। वह दोनों हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगते हुए बोली” मम्मी जी माफ कर दो मुझे आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।”
बहु मैंने तुझे माफ कर दिया परंतु, दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है,इसलिए मैं तुझ पर विश्वास नहीं कर सकती यदि तू सच में बीमार होतीं तो मुझे दुख नहीं होता परंतु, तुमने बीमार होने का दिखावा किया यह मुझे अच्छा नहीं लगा इसलिए मैं बड़ी बहू के पास जा रही हूं,आगे से मुझे बुलाने की कोशिश मत करना।
सास की बात सुनकर अनीता खामोश हो गई थी।” “मम्मी जी फोटो खिंचवाते हुए किसकी याद में खो गई” जैसे ही अरुण ने कहा श्यामली अतीत से बाहर आकर हंसते हुए सास के गले लगते हुए बोली” बस बस ज्यादा तारीफ मत करो मेरी चलो हम दोनों की एक और अच्छी सी फोटो खींच।
किसी की भावनाओं को आहत करने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है बस आजकल अपने समाज में होने वाली कुछ घटनाओं को मैंने ब्लॉग का रूप दे दिया दुख होता है जब बहू अपने सास ससुर की सेवा करने की बजाएं उनसे सेवा करवाने के लिए बीमार होने का दिखावा करती हैं परंतु ,अपने माता-पिता के लिए उनकी सेवा में जुट जाती है यह दिखावा गलत है क्योंकि सास ससुर भी तो माता पिता के समान ही होते हैं जो उन्हें घर और वर दोनों निस्वार्थ भाव से सौंप देते हैं
बीना शर्मा
VM