बहू की नौकरी से हमें क्या फायदा?——- – राशि रस्तोगी

“मौज मस्ती करने का बहाना चाहिए बहू को.. सुबह निकल जाती है तैयार होकर, देर रात को वापस आएगी.. कोई मदद तो भूल ही जाओ, उसके लिए जितना कर सकते हो कर दो!” गुस्से में रमा जी बड़बड़ा रही थी| चारु जो आज ऑफिस से जल्दी वापस आ गयी थी, बाहर खिड़की से आती हुई सासू माँ की आवाज़ सुन रही थी|

चारु जिसकी शादी को 2 साल हुए है| घर में पति विवेक, सासू माँ रमा जी और ससुर जी रहते है| ससुर जी रिटायर हो चुके है और सासू माँ तो शुरू से ही हाउस वाइफ थी|

जब चारु का रिश्ता विवेक के लिए आया था तब रमा जी बड़ी खुश थी क्यूंकि चारु एक़ बहुत अच्छी नौकरी में थी| चारु की सैलरी विवेक से ज्यादा थी इसलिए उसने अपने ऊपर काफ़ी सारी आर्थिक जिम्मेदारी उठा ली थी|

अब ज्यादा कमाने वाले इंसान के काम करने के घंटे भी ज्यादा ही होते है| चारु का ऑफिस घर से दूर था तो वो सुबह जल्दी निकल जाती थी और वापस आते हुए उसको रात ही हो जाती थी| ऐसी स्थिति में चारु के लिए नौकरी के साथ घर के भी काम करने संभव नहीं थे|

चारु ने अपनी सासू माँ की मदद के लिए एक़ कामवाली भी लगवा दी थी जोकि घर की सफाई करती और बर्तन धोकर जाती थी| चारु तो खाना बनाने वाली भी लगवाना चाहती थी पर सासू माँ जिद पर अड़ी थी, “हम किसी अनजान औरत के हाथों का बना खाना नहीं खाते है|”

रमा जी के चेहरे उनका गुस्सा साफ साफ बयान करता था| कभी वो अपनी सहेलियों से कहती, “बहू की नौकरी से हमें क्या फायदा हुआ?” कभी कोई पड़ोसन पूछ लेती, “रमा, कब बना रही है दादी तुम्हें, तुम्हारी बहू!”

तब वो झल्लाकर कहती, “नौकरी करने वाली बहूये कहाँ सुनती है अपने बड़ो की बातें, जो मन में आती है करती है..”



क्यूंकि चारु ने अपनी सासू माँ से बातों बातों में कह दिया था कि वो शादी के तीन साल बाद ही बच्चे के बारे में सोच सकती है क्यूंकि वो चाहती है बड़ी पोस्ट पर आने के बाद ही वो बच्चा करें|

आज चारु ने जब अपनी सासू माँ की बातों को सुना उसे उनकी सोच पर शर्म आ रही थी| उसने तय किया कि आज वो सासू माँ से बात करके ही रहेगी| रात को खाने के बाद टेबल पर चारु ने कहा, “मम्मी जी, आपको ऐसा लगता होगा कि मेरे नौकरी करने की वजह से आपको घर के काम करने पड़ते है, आप बुढ़ापे में भी मेहनत कर रही हो!तो मै छोड़ देती हूँ नौकरी, वैसे भी मैंने आपको काफ़ी बार कहते सुना है कि बहू की नौकरी से आपको कोई फायदा नहीं है|”

रमा जी चुप थी, उन्हें समझ आया शायद आज चारु ने उनकी बातें सुन ली है|

चारु कुछ और कहती इससे पहले विवेक ने कहा, “नहीं चारु तुम नौकरी नहीं छोड़ सकती हो.. हमारे होने वाले घर की लोन की किश्त तो तुम्हारी सैलरी से ही जाती है.. किसने कह दिया कि तुम्हारी नौकरी का फायदा हमें नहीं है!”

चारु चुप थी तब ही उसके ससुर जी बोले, “बहू, आज के ज़माने में पैसा कमाना बहुत कठिन है| घर का काम नौकर भी कर देंगे, तुम नौकरी मत छोड़ना कभी ऐसी किसी के कहने में आकर!मुझे तो तुम पर बहुत फ़क्र है|”

रमा जी चुप थी, आज शायद उन्हें समझ आ गया था कि बहू की नौकरी से उन्हें क्या फायदा था| चारु के लिए ये समय गर्व  का था कि कम से कम उसके परिवार वालों को उसके नौकरी करने पर फ़क्र है|

प्रिय पाठकों , जब कोई बहू नौकरी करती है तो समय आभाव के कारण घर की जिम्मेदारी नहीं उठा पाती है| ऐसी स्थिति में घरवालों को उसके आर्थिक योगदान की कद्र करनी चाहिए नाकि उसे शर्मसार करना चाहिए कि वो घर के कामों से भाग रही है| आपको क्या लगता है, अपने विचार कमैंट्स में अवश्य बताये|

@स्वरचित

धन्यवाद

राशि

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