अयोध्या – अनुज सारस्वत

रामजी बनवास में थे रावण का अंत हो चुका था पर इधर अयोध्यवासियों में किसी को कुछ नही पता था।

नगर में एक कुटिया में एक वृद्ध और उसकी बेटी रहते थे।घास फूस की  कुटिया थी।जमीन पर वृद्ध लेटा हुआ था कुटिया के कोने में दीपक को निहारते हुए उसकी आँखो से झर झर आँसू बह रहे थे।यह दृश्य उसकी बेटी ने देखा और पूछा

“बाबा आप व्यथित क्यों हों? शरीर में कोई  कष्ट तो नहीं?मैं वैध जी को बुलाकर लाती हूँ।”

वृद्ध ने उसे रोकते हुए कहा

“बेटी रामजी के जाने बाद जबसे भरत ने चरण पादुका सिंहासन पर रखकर राजपाट संभाला है।तबसे पूरे अयोध्या में काल और बीमारी का आगमन पूर्णतः वर्जित रहा है14 सालों तक।पता नही मेरे राम कबतक आयेंगे वो दोंनो राजकुमार और महारानी सीता फूल सी उन कांटो भरे जंगलों में कैसे रहे होंगे।पूरी अयोध्या ने प्रण लिया वो भी धरती पर सोयेंगे उनके बनवास तक और बनवासियों की तरह ही जीवन रखेंगे।मेरे ये अश्रु मेरे राम की याद है।हे राम तुम कब आओगे।मेरे राम तुम शीघ्र आओ “

इतना कहा ही था उस वृद्ध ने की उसकी आवाज पड़ोसियों तक पहुंची फिर उन पडोसियों के ह्रदय से भी यही पुकार पहुंची वो लोग भी इसी प्रकार क्रंदन करते हुए बोले

“हे राम तुम कब आओगे “

और यह पुकार पूरे अयोध्या की पुकार बन गयी। उस रात पूरी अयोध्या नगरी से यही सुर सबका एक साथ निकला।

राजमहल से तीनों महारानियाँ और पास में कुटिया बना के रह रहे भरत भी बाहर निकल के करूण क्रंदन के स्वर सुने तो उन सबकी भी अश्रुधारा फूट पड़ी।

रोते रोते भरत आकाश की ओर मुखकर बोले

“देख रहे हो भैया आपकी प्रजा की पुकार

अब देर ना करो भैया “



उस रात पूरे अयोध्या नगरी के साथ उनके पशु भी रोये सारी गाय एक साथ रमभाने लगी उनके बछड़े

“अम्मा अम्मा के स्थान पर राम राम कहने लगे”

सारे पक्षी जो कि रात को निंद्रा में चले जाते हैं, वो अपने व्यथित सुर निकालने लगे।

इधर रामजी लंका में विभीषण के राजतिलक की तैयारी करा रहे थे। तभी एक दम से उठे और अयोध्या की ओर मुख करके देखने लगे। उनके नैनों से अश्रुपात होने लगा।उनके इस रूप ने सबको व्यथित कर दिया।तब लक्ष्मण जी ने करूण भरे स्वर में पूछा

“भैया आप व्यथित क्यों है किस कारण अश्रुपात हो रहा,आपके नेत्रों से।हम लोग व्यथित हैं यह देखकर “

फिर श्री राम रूंधे गले से बोले

“मेरी प्रजा मेरी प्रजा मेरी प्रजा “

इतना कहते है उनके अंदर का अश्रु बांध खुल गया ।यह दृश्य लक्ष्मण ने कभी नही देखा था अपने परम वीर भाई का।चाहें कैसी परिस्थिति आयी सीताहरण हो या भरत मिलाप।

बहुत सारे प्रश्न लक्ष्मण के मन में उत्पन्न हो गये। तब जामवंत जी ने सबको कहा श्री राम जी को अकेला छोड़ें कुछ समय के लिये और सबको लेकर दूसरे स्थान पर गये।फिर सबको बताना शुरू किया।

“यह सब परम भक्ति की पुकार है भक्त व्यथित हो तो भगवान को कहाँ आराम इसीलिए तो है यह श्री राम। अब हमें तुरंत अयोध्या तक समाचार भेजना है श्री राम के आगमन का “

इतने में नारद मुनि प्रकट हुए



“नारायण नारायण “

सबने प्रणाम किया और सब इशारा समझ गये।

नारद जी ने अयोध्या जाकर भरत को सूचना दी कि दो दिन बाद श्री राम पधार रहें हैं। यह सूचना पाकर पूरा राजमहल हर्षित हो गया। भरत ने पूरी अयोध्या में सूचना भिजवा दी। यह सूचना सुनकर सारे अयोध्यावासियों के ह्रदय प्रफुल्लित हो गये जो निर्जीव से पड़े थे वो खड़े हो गये। सब  बावरे हो गये “राम राम ” कहते हुए। और घरों को सजाने लगे। रंग रोगन होने लगा।

पूरी अयोध्या नगरी एक दुल्हन सी बन गयी हर किसी को यही लग रहा कि राम उसके घर आयेंगे। घर के एक एक कोने को दस दस बार पोंछते खुशी के साथ। राम राम करते हुए। आखिर वो दिन आ ही गया। पूरी अयोध्या नगरी राजमहल पर एकत्रित हो चुकी थी कोई अपने नन्हे मुन्ने को कांधे पर बैठाकर लाया कोई अपने वृद्ध माँ बाप को बैलगाड़ी में बैठाकर लाया। जिनकी नेत्र ज्योति नही थी वो मन की ज्योति के साथ आये अधरों पर मुस्कुराहट लिये।

तभी दूर से पुष्पक विमान आता हुआ दिखाई दिया।राम जी ,लक्ष्मण और सीता जी ,हनुमान जी।

पूरी अयोध्या नगरी बोल उठी

“राम जी की जय सीता माता की जय भैया लक्ष्मण की जय”

वह दृश्य इतना विहंगम था कि कितना भी छली,प्रपंची, कपटी मनुष्य भी देखे तो ह्रदय गंगाजल हो जाये।

नई नई पुष्प खुद खिलने लगे राजमहल की दीवारों को फूलों की बेल ने सुशोभित कर दिया।जैसे ही प्रांगण में पुष्पक विमान उतरा और श्री राम और सीता ने चरण रखे पूरी धरती ने मुस्कुराकर स्वागत किया। अपना आंचल पुष्पों से भर दिया। अब हर अयोध्यावासी तीनों के दर्शन करना चाह रहा था। राम जी महल के अंदर ना जाकर वहीं ठहर गये और एकटक पूरी प्रजा को देखते रहे मुस्कराकर।

आह! आह!

जैसे पूरी प्रजा को अनमोल खजाना मिल गया सबकी आत्मायें उनसे जुड़ गई। फिर एक चमत्कार हुआ।सारी प्रजा के हर एक व्यक्ति के साथ राम खड़े हुए नजर आये।

यह उनकी भक्ति का प्रसाद था और जैसे हर व्यक्ति की इच्छा थी राम उनके घर आयें वो उनके साथ सबके घर में गये।लोंगो ने दीपक जलाये मंगलगान गाये वो रात आज भी उतनी सार्थक हैं जब मन में श्री राम हैं।

“जय श्रीराम”

(सभी को दीपावली की अग्रिम बधाई

)

-अनुज सारस्वत की कलम से

(स्वरचित)

 

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