औलाद से जरुरत से ज्यादा अपेक्षाएं क्यों?? – अमिता कुचया

रश्मि की आंख भर आई जब उसने देखा उसके पति सासुमां से बात कर रहे हैं।जब वह मुंबई आई तो उसके पति ने कहा था कि उसकी मम्मी ही ग़लत है।उस समय मृदुल ने साथ दिया। उनसे कहा कि हमें भी आप लोग से कोई मतलब नहीं है ••••

फिर रश्मि ने मृदुल से पूछा कि आप मम्मी से बात क्यों  कर रहे हो?

तब मृदुल ने कहा – “मेरा खून का रिश्ता है, कहने को हम कुछ  भी कह जाए ,क्या वो ही लकीर की फकीर हो जाएगा। ऐसा तो नहीं हो सकता है न•••

तब वह मायूस होकर किचन में चली गई। वह मृदुल के लिए टिफिन तैयार करने लगी। मृदुल भी तैयार हो कर आफिस निकल गया।

अब रश्मि  की आंखों के सामने  पहले की बात घूमने लगी।

कैसे उसकी सास ने उसका सामान बाहर फेंक दिया था। आज वही पल नासूर बन कर दिल में चुभ रहा था

वह मृदुल संग वापस मुंबई आ गयी थी ••••

आज वही मृदुल कितना सहज होकर मम्मी से बात कर रहा है।

उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था।

उसकी आंखों में आंसुओं का उबाल था ,वह बह निकला। उसे सब एक- एक करके याद आ रहा था । कैसे मम्मी-पापा ने उसकी सेविंग मनी खर्च करा दी। जबकि वे जानते हैं कि मृदुल एक कंपनी में सर्विस करने वाला छोटा अधिकारी है।

सब भूल कर आगे बढ़ रही थी। फिर वह अतीत से निकल कर काम में लग गयी।




कुछ समय बाद ••••

उसने एक दिन बातों ही बातों में मृदुल से पूछ लिया ,तुमने तो अपनी सैलरी फिक्स की होगी। क्यों न हम नया घर ले लें।

तब मृदुल ने उसे बताया कि रितु की शादी का खर्च मेरी सेविंग से ही हुआ है। गहने ,कपड़े , बाकी खर्च भी। इतना सुनते ही रश्मि ने कहा-” मम्मी तो कह रही थी। गहने के लिए बस  केवल पैसे दिए हैं।और तो और मुझे आपने  ये भी बताया कि अपनी शादी का खर्चा भी स्वयं उठाया है । आखिर उन्होंने क्यों खर्च  नहीं किया!उनका कोई फर्ज नहीं था। कि वे अपने बच्चों की शादी में खर्च करते !

तब मृदुल ने बताया कि मेरे पापा एक  साधारण से कर्मचारी थे।उनकी इतनी सैलरी नहीं थी। कि ज्यादा बचा पाए।उन्होंने अपनी सेंविंग हम लोगों को पढ़ाने -लिखाने और घर बनवाने  में लगा दी। और जो थोड़ी बहुत बची  है,  उनके बुढ़ापे में आड़े वक्त काम आएगी। रिटायर्ड होने के कारण अब केवल पेंशन ही मिलती है वो हर महीने खर्च होती रहती हैं।

फिर रश्मि ने कहा- ठीक है ,देखिए जो हुआ सो हुआ।अब हम अपने पैसे बचाकर स्वयं का नया घर लेंगे।  यहां आपका आफिस भी दूर पड़ता है ।

तब मृदुल ने उसे हां कह दिया। उसके बाद बहन के जब बच्चा हुआ। तब भी माता पिता उस पर निर्भर हो रहे थे ।तब रश्मि ने  मृदुल से साफ -साफ कह दिया -“देखो मृदुल इस बार अब हम और ज्यादा खर्च नहीं करेंगे, पापा को जो दीदी को देना होगा वो देंगे।”

सास ने कहा -“बेटा मृदुल इस बार रितु के घर पर पथ करना है। पहले से तैयारी करनी है।”

तब रश्मि  से कहा- “मम्मी जी इस बार हम कुछ ज्यादा खर्च  नहीं कर पाएंगे। क्योंकि इतनी सेविंग नहीं है।”

फिर मम्मी ने कहा- मुझसे मृदुल से बात कराओ




मृदुल ने फोन लेते हुए कहा -“हां मम्मी इस बार हाथ तंग है।तो पापा देख लेंगे ,क्या कैसा करना है ••••क्यों बेटा  रश्मि के सिखाए पर चलेगा क्या!”

नहीं मम्मी ऐसी बात नहीं है •••

देख बेटा तू ही हमारा सहारा है, तेरे बिना हम लोग कुछ नहीं है ।

फिर उसे बुलाया गया तो दोनों घर आ गए।तब बहन की गोद भराई के पथ में क्या- क्या देना है लिस्ट बनाई गयी।

रश्मि ने लिस्ट देखी तो उसके कान खड़े हो गए। तब उसने कहा -“मम्मी जी हम अपनी चादर देखकर भी लेनदेन करें तो अच्छा होगा। हमें भी मुंबई में खुद का फ्लैट भी लेना है कब तक रेंट पर रहेंगे।?”

इतना ही कहना था  ,तब मम्मी ने कहा -“रश्मि मैं मृदुल से बात कर रही हूं ,तुम बीच में मत बोलो।”

तब रश्मि ने कहा-” मम्मी मैं बीच क्यों न बोलूं मुझे भी पता है कि कहां कैसा खर्च करना चाहिए। मैं पढ़ी लिखी हूं, मेरे पति की कमाई कहां कैसे खर्च करनी है। मैं बीच में बोलूंगी।”तब मम्मी ने कहा बेटा भी मेरा है ,अगर मेरा साथ नही देगा तो किसका देगा।

तब मृदुल ने कहा- मम्मी रश्मि सही बोल रही है मेरे भी पत्नी के प्रति भी फर्ज हैं।

इतना सुनते ही बेकाबू हो मम्मी उसका सामान बाहर फेंकने लगीं।तब मृदुल ने कहा मम्मी ये क्या कर रही हो! ये सही नहीं है, आप रश्मि से खुलकर आपस में बैठकर बात करो। कोई इतनी बड़ी नहीं की है। जो आप इतना हाइपर हो रही हो।

तब गुस्से में मृदुल ने मम्मी से कह दिया मुझे अब यहां नहीं रहना ।जब आप रश्मि का सम्मान नहीं करती है तो मैं यहां क्यों रहूं!

तब वो बड़बड़ाने लगी हां हां मुझे भी तेरी जरुरत नहीं हूं  तू  जो जोरु का गुलाम बन गया है।

मृदुल बेटा क्या अब क्या बहू के सिखाए में चलेगा क्या!!!

मम्मी इस तरह के माहौल में और नहीं रह सकता हूं। रश्मि सामान पैक करो हम लोग मुंबई चल रहे हैं •••

अब क्या था मम्मी ने कहा बेटा बहू को ज्यादा सिर पर मत चढ़ा।

देखना एक दिन तांडव करेगी।

तब मृदुल ने कहा मां अभी आप जो मेरे सिर पर तांडव कर रही है उसका क्या •••

फिर दोनों मुंबई चले गए।

इस तरह कुछ दिन बाद ही मम्मी ने मृदुल को फोन लगाया।बेटा मुझे भी रश्मि से इस तरह बात नहीं करनी थी। फिर उन्होंने बताया हमलोग रितु से मिलने गुड़गांव जा रहे हैं फिर तुम्हारे पास भी आएंगे।अरे सुन बेटा •••रश्मि से  मुझे बात भी करनी है ,मैं मिलकर बात करुंगी।

फिर  उस दिन अचानक से •••••

घर की घंटी बजी तो देखा कि मम्मी पापा जी है। उसने दोनों के पैर छुए। और

उसने उनका सामान अंदर रखा।चाय नाश्ता करा खाना बनाने लगी।तब तक मृदुल की मम्मी पापा से बात हो चुकी थी। उसने उनसे कहा – मम्मी रात में बात करेंगे।

अब रात  में जब घर लौटा तो  उसने मम्मी पापा से कहा- मम्मी मैं  इस बार रश्मि की बेइज्जती नहीं सहूंगा।जो बन पड़ेगा।वहीं खर्च करुंगा।

मैं भी पढ़ा लिखा हूं अब मेरे भी खर्च बढ़ गये है।

ये सुन सासुमा बोली- बेटा यही बात तो करने आए हैं।

फिर मृदुल ने कहा- हम भी तो यही समझाना चाहते थे ,पहले मैं अकेला था तो खर्च कम थे ।पर अब मेरी शादीशुदा जिंदगी है। मेरी भी रश्मि के प्रति जिम्मेदारी है। इसलिए आप लोग रितु के पथ का ऐसा बजट बनाए कि हम लोग दे सके। फिर उसके पापा ने और मृदुल ने गोल्ड और लेनदेन के सामान की लिस्ट बनाई । फिर आधे खर्च के पैसे पापा ने दिए और आधे मृदुल ने दिए।

इस तरह रश्मि की बात भी रह गई।आपस में गिले शिकवा भी दूर हो गया।बेटा की बात उनके मम्मी पापा को समझ‌ आ गई।

दोस्तों -ये जरुरी नहीं कि शादी के पहले बेटा जैसा खर्च करता था। वैसा शादी के बाद भी करें। शादी के  बाद उसकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इस रचना के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया है ।कि जितना हक बेटे पर मां का होता है उतना ही बहू का भी  होता है उसकी जिम्मेदारी भी मां बाप को समझनी चाहिए

दोस्तों -ये रचना कैसी लगी? कृपया अपने विचार और सुझाव से अवगत कराएं।

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#औलाद

धन्यवाद🙏🙏

आपकी अपनी दोस्त ✍️

अमिता कुचया

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