औलाद – कामिनी मिश्रा कनक

चंदन के घर पर हर साल गणेश चतुर्थी के दिन गणपति जी की स्थापना की जाती है ।

      इस साल चंदन के पिता बहुत बीमार हैं …… जिसकी वजह से चंदन की माँ ने चंदन को गणपति जी को लेने के लिए अकेले बाहर जाने से मना कर दिया ।

चंदन बहुत परेशान है कि वह गणपति जी को अपने घर कैसे लेकर आए । कैसे इस बार भी गणपति जी की पूजा करें ।

       इस बार भी चंदन अपने घर गणपति जी को लाना चाहता है ।

  परंतु चंदन कैसे लेकर आए यह सोच रहा था कि तभी उसका एक दोस्त वहाँ आता है ।

दीपक:-अरे चंदन तू ऐसे क्यों उदास बैठा है…???

क्या हुआ बोल ना…???

चंदन:-दीपक तुझे तो पता है ,कि मैं हर साल अपने घर गणपति जी की स्थापना करता हूं। इस बार पिताजी बीमार है , इसलिए कैसे करूं ।

चंदन को परेशान देखकर ….उसका दोस्त उसे बोलता है कि इस बार तुम अपने घर पर ही गणेश जी की मूर्ति बना कर, उनकी स्थापना कर सकते हो । 

चंदन बहुत खुश हो जाता है….

चंदन :- धन्यवाद दीपक 




मैं ऐसा ही करूंगा ।

फिर चंदन गणपति जी कि मूर्ति को घर पर ही बनाने का फैसला करता है । 

चंदन की खुशी देख कर घर पर सब खुश हो जाते हैं ।

फिर चंदन अपनी माँ को सभी बातें बताता है कि इस साल गणपति जी की मूर्ति हम घर पर ही बनाएंगे ।

  जिससे हम अपने घर पर ही पूरी भक्ति के साथ सब परिवार उन्हें विसर्जित कर सकते हैं ।

चंदन:- माँ तुम हल्दी और दूर्वा मुझे दे दो मैं घर पर ही गणपति जी की मूर्ति बनाऊंगा।

उसकी माँ भी बहुत खुश हुई….. अपने बेटे की सोच देख कर ईश्वर से प्रार्थना करती है कि चंदन जैसा औलाद पाकर आज मैं धन्य हो गई ।

चंदन ने सही सोचा है……

इस बार गणपति जी मैं चंदन के साथ घर पर ही बनाऊँगी ।

     चंदन की माँ गणेश चतुर्थी वाले दिन सुबह सुबह उठकर अपने घर कि साफ सफाई करके…. हल्दी और दूर्वा से गणपति जी की मूर्ति बनाती है …..और अपने परिवार के साथ मिलकर अपने घर में स्थापना करती है ।




गणेश चतुर्थी वाले दिन चंदन अपने दोस्तों को भी बुलाता है ।

फिर सब मिलकर के गणपति जी की पूरी विधि विधान के साथ पूजा करते हैं । 

और सब मिलकर गणपति बप्पा मोरिया का जयकारा लगाते हैं । 

  कामिनी मिश्रा कनक

      फरीदाबाद

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