” मालती..ज़रा अपनी बेटी पर ध्यान दो..सुना है, कल रात वो सात बजे घर लौटी थी… इतनी देर तक भला कौन-सा स्कूल खुला रहता है।कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी साख पर #बट्टा लग जाये और तुम देखती रह जाओ…।
” मालती अपनी बेटी काव्या को गेट तक छोड़ने के लिये जैसे ही निकली तो उसकी पड़ोसिन मिसेज़ चंद्रा ने व्यंग्य- मुस्कान के साथ शब्द-बाण छोड़ दिये। काव्या ने जवाब देना चाहा तो मालती ने उसे इशारे-से मना कर दिया।
मिसेज़ चंद्रा दो साल से मालती के पड़ोस में रह रहीं थीं।उनके पति का बड़ा कारोबार था।उनकी एक बेटी थी अनन्या जो बैंगलोर में फ़ैशन-डिज़ाइनिंग कर रही थी।आसपास की महिलाओं के साथ वो जब भी बैठतीं तो अपने पैसे का प्रभाव दिखातीं और बेटी की प्रशंसा करतीं।मालती सादगी पसंद महिला थी।
उसे दिखावा बिल्कुल भी पसंद नहीं था,इसलिये वो उनके पास कम ही बैठती थी।मिसेज़ चंद्रा के सामने कोई मालती की तारीफ़ कर देता तो वो चिढ़ जाती और उसका मज़ाक उड़ाने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देती।काव्या बारहवीं कक्षा में पढ़ती थी।बीमार होने के कारण दो दिन स्कूल नहीं जा पाई थी।इसलिये अपनी माँ
से कहकर वो सहेली के पास नोट्स लेने के लिये रुक गई थी।मिसेज़ चंद्रा ने उसे वापस आते देख लिया और आदतन चुभने वाली बात कह दी।मालती उनके स्वभाव से परिचित थी, इसलिए बेटी को चुप रहने का इशारा कर दिया।
कुछ दिनों बाद मिसेज़ चंद्रा को एक महिला ने टोक दिया,” सुना है..अनन्या का रिजल्ट अच्छा नहीं रहा..कहीं कुछ गलत…।”
” ऐसा कुछ नहीं है..मेरी बेटी को कोई गलत आदत नहीं है.. इस बार ज़रा तबीयत खराब थी ना तो..अगली बार बहुत अच्छा करेगी।” पूरे विश्वास के साथ मिसेज़ चंद्रा बोलीं।तब महिला बोली,” मिसेज़ चंद्रा..अति विश्वास भी ठीक नहीं है।”
छुट्टियों में अनन्या आई तो काव्या ने उसे सिगरेट पीते देख लिया।बोली,” दीदी..ये तो गलत..।” अनन्या बोली,” तुम छोटी जगह रहती हो ना.. बड़े शहरों में ये सब आम बात है..।” काव्या चुप रह गई।
काव्या ने अच्छे अंकों से बारहवीं की परीक्षा पास की।उसके बाद उसने बैंक की परीक्षा दी और पास हो गई।उसे एक बैंक में नौकरी मिल भी मिल गई।अगले दिन वो मिठाई का डिब्बा लेकर मिसेज़ चंद्रा को खुशखबरी सुनाने जाने लगी तो मालती बोली,” रुक काव्या..ये..न्यूज़ में अनन्या का ही फ़ोटो है ना..।” काव्या ने देखा और हेडलाइन ‘ आईटी शहर बैंगलुरु में अनन्या नाम की लड़की ड्रग्स लेते पकड़ी गई ‘ पढ़कर वो दंग रह गई।तब उसने मालती को सिगरेट वाली घटना भी बताई।मालती ने उसे चुप रहने को कहा।
शाम को मालती मिसेज़ चंद्रा के घर गई।मिसेज़ चंद्रा ने उसे देखकर नज़रें झुका ली और हाथ जोड़कर भर्राये गले से बोलीं,” मालती बहन…मैंने काव्या बेटी के लिये कितना भला-बुरा कहा..मुझे माफ़ कर देना। मैं अनन्या पर आँख मूँदकर विश्वास करती थी जिसका उसने गलत फ़ायदा उठाया…उसके कारण आज हमारे नाम और सम्मान पर # बट्टा लग गया है..मैं उसे कभी माफ़ नहीं करुँगी..।” उनकी आँखों से आँसू बहने लगे।मालती उन्हें समझाने लगी,” मिसेज़ चंद्रा..बच्चों से गलती हो जाती है..उसे क्षमा कर दीजिए और भाईसाहब के साथ बैंगलुरु जाकर इस मामले को सुलझाइये।” कहकर वो अपने घर चली आई।
विभा गुप्ता
स्वरचित, बैंगलुरु