Moral stories in hindi : रोहणी कॉलेज में लेक्चरर थी पति बैंक में कार्यरत थे । दोनों ही एक साल के अंतराल में रिटायर हो गए थे । उन पर ज़िम्मेदारियों का बोझ नहीं था । बहुत ही ख़ुशी से अपने रिटायरमेंट लाइफ को गुजार रहे थे । उनकी एक ही बेटी रचना थी जो डॉक्टर थी । उन्होंने बड़े ही अरमानों से उसकी शादी एक डॉक्टर से कर दिया था । आज वे दोनों अपनी खुशहाल जीवन जी रहे हैं ।
कहते हैं ना कि बहुत ज़्यादा ख़ुशी भी हज़म नहीं होती है नज़र लग ही जाती है वैसे ही एक दिन रोहणी के पति गहरी नींद में सो गए और उसे अकेला इस दुनिया में छोड़ दिया था । वह रिटायर तो हो ही गई थी और बेटी दामाद अमेरिका में बस गए थे तो कभी-कभी उनके पास आती जाती थी । जब वह इंडिया में रहने के लिए आ जाती थी तो उसे किसी भी तरह की तकलीफ़ ना हो इसके लिए बेटी ने इंडिया में नौकर चाकर गाड़ी सब सुख सुविधाएँ माँ के मना करने पर भी दिया।
उसने ड्राइवर राम को पीछे का ऑउट हाउस दिया जिसमें वह अपने परिवार के साथ रहता था । उसकी पत्नी माँ के काम कर देती थी । वह खुद माँ को बाहर ले जाने लाने का काम कर देता था । उसके तीन बच्चे हैं रचना ने उन्हें पढ़ाने की सारी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले लिया था ।
बच्चे भी पढ़ने में बहुत होशियार थे । कालांतर में राम के बड़े बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और नौकरी करने लगा । उसकी बहन विजया तो उससे दो कदम आगे थी । जब उसने बारहवीं की परीक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो गई थी तो रचना ने उससे पूछा आगे क्या करेगी तो उसने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की इच्छा ज़ाहिर की । रचना बहुत खुश थी कि विजया पढ़ने में बहुत होशियार तो थी ही और हर साल कॉलेज में अव्वल आते हुए छात्रवृत्ति पाने लगी थी ।
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राम को अपनी बेटी विजया से बहुत प्यार और नाज था । अपने रिश्तेदारों को दोस्तों को अपनी बेटी के बारे में ही बताता रहता था । उसके लिए उसके दिल में अपनी प्यारी सी बेटी के लिए अभी से ही बहुत से अरमान थे । अपने बच्चों की तरक़्क़ी के लिए वह रचना का आभारी है ।
वह उठते बैठते रचना और उसके परिवार की सलामती के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता था ।
उनके जो रिश्तेदार गाँव में रहते थे वे कहते थे कि इतने अच्छे मालिक बहुत कम लोगों को मिलते हैं । राम की तक़दीर पर ईर्ष्या करने वाले रिश्तेदार भी थे।
राम के बेटे की नौकरी लगते ही उसके लिए रिश्तों की लाइन लग गई थी ।
रोहणी ने समझाया कि अभी तो उसकी नौकरी लगी है। एक दो साल रुक जाओ उसे कुछ साल नौकरी कर लेने दो पैसे जमा कर लेगा फिर शादी कर देना ।
उनकी बातों को सुनकर राम को भी लगा कि सही तो कह रही हैं । इसलिए सबसे कह दिया था कि वह अपने बेटे की शादी दो साल बाद करेगा अभी नहीं ।
विजया ने भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी और गोल्ड मेडल हासिल किया था । उसके लिए तो कई कंपनियों से ऑफ़र आने लगे थे ।
रचना को लगा कि उसे एम एस करा दूँगी तो पूरा परिवार संपन्न हो जाएगा। उसने विजया को कहा कि यहाँ की यूनिवर्सिटी में अप्लाई करो मै सारे फार्मालटीस पूरा करवा दूँगी। बहन और भाई विजया से कहने लगे कि वाहह विजया तू तो अब अमेरिका चली जाएगी। हम लोगों को भूल तो नहीं जाएगी ना ?
सब लोग वीसा का इंतज़ार कर रहे थे । इस वीसा के दौड़ धूप में विजया थक गई थी और उसे हल्का सा बुख़ार आ गया था । राम बहुत डर गया और जल्दी से उसे डॉक्टर के पास ले गए । डॉक्टर ने उसे एक इंजेक्शन दिया । विजया कभी बीमार नहीं पड़ी थी । डॉक्टर के पास वह पहली बार गई थी । विजया को इंजेक्शन दिलाकर वे उसे घर लाने के लिए मुड़े कि नहीं वह वहीं गिर गई और दुनिया को छोड़कर चली गई । राम से डॉक्टर ने कहा कि इंजेक्शन का रियाक्शन हो गया है ।
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रचना भी शॉक में चली गई थी । राम कहता रहा रचना मेम मेरे अरमानों पर पानी फेर कर मेरी बेटी मुझे छोड़कर चली गई है । उसके आँखों में आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे ।
स्वरचित
के कामेश्वरी
साप्ताहिक विषय— #अरमान