Moral Stories in Hindi : डाक्टर निधि लंदन के एक नामी अस्पताल में कार्यरत थी। एक साल बाद उसे एक बेहतरीन अस्पताल से ऑफर आया और वह वहां चली गई। अभी उसे ज्वाइन किये हुए एक महीना भी नहीं हुआ था कि उसकी बहन का फोन आया। रोते हुए उसने बताया कि मम्मी का ऑपरेशन जल्दी करवाना है, मम्मी तो मेरे साथ ही रहतीं हैं ना। डाक्टर ने अतिशीघ्र आपरेशन के लिए कहा है, वरना इंफेक्शन सारे शरीर में फैल जायेगा। तुम जल्दी से यहां आ जाओ।
मेरे पास दो छोटे छोटे बच्चे हैं। मम्मी कई दिन अस्पताल में भर्ती रहेंगी । मैं कैसे सब कुछ कर पाऊंगी ।यह सुनकर निधि स्तब्ध रह गई। अभी कुछ दिन पहले ही तो वह बहन के घर मम्मी से मिलने गई थी। सब ठीक था। हां, मम्मी के पैर में जरूर तकलीफ हो रही थी। पर इतनी जल्दी इंफेक्शन और आपरेशन।
वह भी रोने लगी और बोली, दीदी,आप परेशान मत हो। मैं जल्दी ही आती हूं।
निधि सोच में पड़ गई, अभी तो उसे ज्वाइन किये हुए एक महीना भी नहीं हुआ। कैसे कहे ? क्या बताए?कि उसे छुट्टी चाहिए।
वो भी लंबी छुट्टी। जाने कितने दिन लगे।जब तक मम्मी स्वस्थ होकर चलने ना लगे,अपना थोड़ा काम स्वयं ना करने लगें उनकी देखभाल करने के लिए मुझे वहां रहना होगा। दीदी तो अपने बच्चों में ही व्यस्त रहेगीं। क्या करूं,? कैसे कहूं? निधि ने दृढ़ निश्चय किया, मुझे जाना तो है ही। अब चाहे मेरी नौकरी चली जाए।
वह निर्भीक होकर अपने डीन से बोली। सर, मेरी मां का फौरन आपरेशन होना है।उनको मेरी बेहद जरुरत है। मेरी मां मेरी बहन के पास रहतीं हैं।वो अकेली हैं इसलिए बहन ने उन्हें अपने पास रखा है। मुझे छुट्टी चाहिए,चाहे तो आप मुझे वेतन ना दें या नौकरी से निकाल दें।पर मेरा जाना जरूरी है। सर ने कहा, यदि कोई और व्यवस्था कर सको तो बेहतर होगा, क्यों कि यहां का मैनेजमेंट बहुत सख्त है हो सकता है तुम्हारी नौकरी भी चली जाए और
तुम पर लापरवाही का इल्ज़ाम भी लगा दिया जाए।
अब चाहे जो भी हो सर मुझे तो जाना है, हमारी मां ने हमारे लिए बहुत कुछ किया है, बहुत कुछ सहा है। अकेले अपने दम पर हम दोनों बहनों को इतना उंचा मुकाम हासिल करवाया है। मैं तो जा रही हूं। कह कर वह अपने सीनियर के पास गई। उन्होंने उसे उदास देखा तो बोली क्या बात है? निधि ने उन्हें सब कुछ बता दिया।वो बोलीं , तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा मैं अभी आती हूं। उन्होंने जाकर सबको बताया,सब मिलकर डीन के पास गए और उनसे विनती की,सर आप जानते हैं कि निधि कितनी अच्छी सर्जन है। सारे अस्पताल को उस पर गर्व है।इतने कम समय में ही उसने हम सब का और मरीजों का दिल जीत लिया है।कितनी भी परेशानी, दुःख क्यों ना हो,वह हमेशा हंसती रहती है और सबको हंसाती रहती है। अगर आप सब उसे नौकरी से निकाल देंगे तो हम सब एक अच्छा सर्जन खो देंगे।
फिर वह अपनी मां के लिए ही तो जा रही है,ना कि कहीं घूमने फिरने।
डीन ने कहा, हां आप सब लोग सही कह रहे हैं, मैं उन्हें कुछ नहीं होने दूंगा। हम सबका भी यह फर्ज बनता है कि इस कठिन परिस्थिति में उनका साथ दें।
जब निधि के सीनियर ने उसे बताया कि डीन सब ठीक कर देंगे,आप बिना किसी चिंता के जाइए,चाहे जितना समय लगे आप अपनी मां को स्वस्थ करके ही आइयेगा। हो सकता है आपकी सैलरी ना मिले पर आपकी नौकरी नहीं जाएगी, इतना वादा हम करते हैं।
निधि की खुशी के मारे आंसू छलक पड़े। मैडम,आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपने मेरे लिए इतना सब किया। आपका यह अहसान मैं कैसे चुका पाऊंगी। किसी हालत में नहीं चुका सकती।
मैडम ने कहा। ऐसा ना कहिये, डाक्टर निधि, मैंने आप पर कोई एहसान नहीं किया है। आप हमारी अपनी हैं। अपना देश छोड़कर आप हमारे देश आईं हैं तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम आपके दुःख सुख में शामिल हों।आपका ध्यान रखें। फिर जब आप हमारे देश में हैं तो आप भी तो हमारी अपनी हो गईं हैं अब।फिर अपनों पर एहसान कैसा?
क्या आपकी मां हमारी मां नहीं हैं ? इसलिए बेफिक्र होकर जाइए। यहां हम सब संभाल लेंगे।
निधि ने उनका आभार जताया और धन्यवाद करके मां के पास जाने की तैयारी करने लगी। निधि सोच रही थी कि यहां के लोग कितने अच्छे हैं ? अजनबी देश अनजान लोग होते हुए भी इतना बड़ा एहसान करने के बावजूद कह रहे हैं कि ये तो हमारा फर्ज था। उनके एहसान के आगे निधि नतमस्तक हो गई।
सुषमा यादव, लंदन से
“सत्य घटना पर आधारित”
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित