• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

अपनी पहचान – डी अरुणा

 

“मम्मी मैं जब बड़ी हो जाऊंगी लोग मुझे किस नाम से पुकारेंगे? मिसेज शर्मा… मिसेज अग्रवाल….. मिसेज नायडू…?

यही तो बिटिया सुनती आई है…।

 नन्ही बिटिया के प्रश्न से राखी के होशो हवास उड़ गए। अपने जैसी बिटिया को बनने नहीं देगी…

  नहीं , बेटी… आप मिसेज राव , मिसेज अग्रवाल के नाम से नहीं… अपने नाम से जानी जाओगी। अपराजिता…. मैडम अपराजिता …तुम्हारी अपनी पहचान …किसी और के नाम से तुम्हारी पहचान नहीं बनेगी ।

  क्यों मम्मा?

   किसी और का नाम लेकर जीवन जीने के बजाय खुद की पहचान बनाओ बिटिया। दूसरों की प्रेरणा स्रोत बनो। लोग तुम्हारी तरह बनना चाहे…. लोग तुम्हें, तुम्हारे नाम से जाने.,पहचाने…… मेरी तरह मिसेज दीक्षित कहकर नहीं।

    बिटिया, राखी की बातें कितनी समझी पता नहीं… पर राखी को अपना नाम गुम हो जाना बहुत अखरता है अब।

     बीए पढ़ रही थी जब नौसेना के अधिकारी का प्रस्ताव आया। फिल्मों में जल, थल, वायु सेना के अधिकारियों के यूनिफॉर्म ,गजब की फुर्ती, चाल, स्मार्टनेस , देशभक्ति का जज्बा देख अधिक आकर्षित थी।

      भाग्य से प्रस्ताव भी आ गया। आनन-फानन में शादी भी हो गई ।पति के साथ मुंबई आ गई ।लोगों का रहन-सहन ,खान-पान ,क्लब ,पार्टियां ,बिंदास जीवन ,सुख सुविधा ,ऐसो आराम में ऐसे डूब गई  कुछ याद ही ना रहा ।

      राखी से मिसेज दीक्षित बन गई। नई पहचान,नया नाम… मिसेज दीक्षित ।उसका खुद का नाम गौण हो गया। तब उसे अपने नाम की अहमियत पता ना चली।



       मायके में भी हंसी मजाक में राखी के बजाय मिसेज दीक्षित कहते… गर्व से उसका सीना फुल जाता …गर्दन अकड़ जाती।

        फिर धीरे-धीरे उसे अपनी हैसियत समझ आने लगी। मिसेज दीक्षित नाम हट जाए तो वह कुछ नहीं शून्य है शून्य….। 

        पति को कभी किसी चीज के लिए मना नहीं कर सकती मुझे ना सुनना पसंद नहीं उनके इस एक वाक्य ने उसे रिमोट से चलने वाली गुड़िया सा बना दिया।राखी कहीं है ही नहीं ….माता पिता के द्वारा प्यार से दिया गया नाम कहीं विलीन हो गया। मिसेज दीक्षित के सिवा उसका कोई अस्तित्व नहीं। अपने स्टेशन में भले वह पहचानी जाए पर बाहर क्या है उसकी पहचान ?स्वाभिमान रहित जीवन भी जीना क्या जीना?

        सैनिकों के जीवन का क्या ठिकाना ?कब क्या घट जाए कोई नहीं जानता।

        “नाम गुम जाएगा.. चेहरा यह बदल जाएगा.. मेरी आवाज ही मेरी पहचान है “गीत के बोल याद आए ।नाम गुम हो गया …चेहरा समय उम्र के साथ बदलेगा ,मेरी आवाज़ किसी की पहचान नहीं बन पाई। क्या हूं मैं ? 

        बिटिया के प्रश्न ने झिंझोड़कर रख दिया राखी को ।

        नहीं… उसने जो गलती की अपनी बिटिया को करने नहीं देगी।

         उसकी पहचान अपना एक अस्तित्व निखारेगी फिर आगे कुछ सोचेगी।

         जीवन में की गई अपनी गलती से उसे एक सबक मिला।उसने अपने स्वाभिमान को मार दिया…पर बेटी नहीं।बेटी को स्वाभिमान सहित जीवन जीने का रास्ता दिखाएगी।

डी अरुणा

धन्यवाद 🙏

#स्वाभिमान#

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!