मैं अपने परिवार में मां-बाप की लाडली बेटी थी ! मेरे पापा बिजनेसमैन है, घर में किसी भी चीज का अभाव नहीं था !मैं दोनों के प्यार में मगरूर रहती थी !
अपनी पढ़ाई में अपने दोस्तों में और नए-नए वेस्टर्न कपड़े पहनती, यही मेरा शौक था ! कभी मम्मी पापा से कहती बेटी है कल कैसा घर मिले तो पापा कहते कल की कल देखेंगे ! अभी तो घर में मस्त और हंसी खुशी रहने दो! मम्मी कहती रहती, आपके
लाड प्यार ने बच्ची का भविष्य बिगाड़ रखा है ! पापा कहते, मैं ऐसा लड़का देखूंगा, खूब दान दहेज दूंगा लड़का मेरी बेटी के नाज नखरे सह लेगा ! मेरे एक ही तो बेटी है, मेरा बिजनेस और पैसा सब इसका ही है सुनकर माँ चुप हो जाती !
मानसिंह के दोस्त ने बताया उनका बेटा राकेश मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर है! दोनों पति-पत्नी ने सलाह मशवरा करके लड़का और परिवार के बारे में बातचीत करी! लड़के का परिवार गांव में रहता है दोनों परिवारों की बातें हुई ! अब लड़का लड़की देखने का सिलसिला चला ! राकेश को ममता पसंद आ गई ममता को भी राकेश बहुत अच्छा हैंडसम लगा !
लड़के वालों की एक शर्त थी! शादी गांव से होगी, हमारा परिवार गांव में रहता है ! संयुक्त परिवार है अब माँ को चिंता होने लगी !उनकी बेटी गांव में कैसे रहेगी तब ममता के पापा ने कहा तुम चिंता ना करो!
ममता ससुराल आई तो उसको वहां का माहौल सहन नहीं हो रहा था ! साड़ी, घुंघट, चूल्हे का धुआं – तब उसकी सासू मां और जेठानी जी ने कहाँ तुम चिंता ना करो ममता बेटा, सब तुम्हारी जेठानी सिखा देगी!
तब ममता ने रात को अपने पति राकेश से कहा, मैं तो यहां एक-दो दिन भी नहीं रह सकती राकेश ने प्यार से कहा कुछ दिन रुक जाओ,फिर शहर चलेंगे तुम एक सप्ताह तक भाभी से कुछ सीखो वह भी शहर की बेटी है!
पढ़ी लिखी है सब काम कर सबका मान सम्मान करती हैं!आज सब उनके दीवाने हैं, पूरे गांव में आरती बहू की तारीफों की चर्चा होती है! सब कहते हैं बहु तो सुखलाल की है लक्ष्मी! पूरे परिवार को अपने प्यार संस्कार सौम्यता में पिरो रखा है!
तब ममता ने राकेश से कहां मुझे ऐसी तारीफों की आवश्यकता नहीं है! तब उसकी जेठानी जी ने भी समझाया, उसको तो किसी की बात नहीं माननी थी ना मानी !
वह तो सर पर ना पर्दा रखती ना साड़ी पहनती
वह तो अपने ही लिबास में रहती ! चाहे उसे कोई कुछ भी कहे, ससुर जी सास जी सब समझाते, तो वह पलट कर उल्टा जवाब देती ! किसी की बात ना मानना, कोई कुछ कहता तो कहती आप गांव के गँवार हो! अपने ही अहंकार में रिश्तो का महत्व मान मर्यादा सब कुछ भूल गई!
“नसीब से मिला सुंदर परिवार” – कविता भड़ाना : Moral stories in hindi
आखिर मे राकेश ने उसके पापा से कह ही दिया मैं ममता को हमेशा के लिए छोड़ रहा हूं !यह जानकर मानसिंह जी को बहुत दुख हुआ तब उनकी पत्नी ने समझाया, हमने जैसे संस्कार बच्ची को दिए वही तो लौट कर मिलेंगे !अब ममता अपने पापा का बिजनेस का काम करती ! कभी कभी सोचती, मेरे अहंकार ने मेरा घर संसार लूट लिया ! राकेश की दूसरी शादी हो गई और वह अपने परिवार में खुश है !
स्वरचित —
सरोजनी सक्सेना जयपुर