अपना वही जो सही राह दिखाए –  राशि रस्तोगी 

“मुझे कोई पसंद नहीं करता ना घर में ना स्कूल में काली आयी काली आयी ये सुनकर मेरा मन भर आता है” रोते हुए शैलजा ने अपनी स्कूल की टीचर शशि जी से कहा।

आइये पढ़ते है शैलजा की कहानी।

शैलजा,13 साल की स्कूल में पढ़ने वाली लड़की है।

उसका जन्म एक मध्यम वर्ग के परिवार में हुआ और उसको पहली बार देख उसकी दादी ने कहा, “हाय राम! इतनी काली लड़की उल्टे तबे जैसी दिखती है कौन करेगा इससे शादी?” शैलजा की माँ ने अपनी बेटी को देखा और उसका रंग देख चुप हो गयी।

बचपन में जो भी रिश्तेदार शैलजा को पहली बार देखते वो सब अजीब सी बातें करने लगते, “किस पर चली गयी ये?”

“तुमने अपनी प्रेगनेंसी में क्या खाया था?” और कुछ आस पास की महिलाएं शैलजा की मम्मी को सलाह देती कि,”इसकी तो जल्दी उम्र में शादी कर देना, किसी दूर के गांव के परिवार में यहाँ शहर में तो इसकी शादी होने से रही!”

शैलजा की माँ ने उसके 10 साल के होते ही भरसक घरेलू उपचार किये कि शैलजा का रंग साफ हो जाए पर कुछ नहीं हुआ। शैलजा के खुद के पिता भाई, बहन उसे पसंद नहीं करते थे। किसी भी फंक्शन में जाते तो शैलजा को लेकर नहीं जाते थे। स्कूल की तो बात ना ही की जाए तो अच्छा रहेगा साथ के बच्चों ने उसका नाम ही ‘काली’ रख दिया था।

13 साल की नाजुक उम्र में शैलजा में इतनी हीन भावना भर गयी कि आज वो अपने स्कूल की छत पर अकेली बैठी आसूं बहा रही थी। शैलजा के स्कूल में एक टीचर थी शशि जी। बहुत ही सुलझी हुई और दूसरे की भावनाओं के प्रति उनके मन में काफी संवेदना थी। उन्होंने काफी बार शैलजा को यूँ दुखी और डिप्रेशन में बैठे हुए देखा था।

आज इत्तेफ़ाक़ से शशि जी स्कूल की मरम्मत के लिये कुछ लेबर और मैनेजमेंट कमेटी के लोगों के साथ छत पर आयी थी और वहाँ शैलजा को देख चौक गयी। रिपेयर का काम किसी और टीचर के सुपुर्द कर उन्होंने शैलजा से बात की..

उन्होंने कहा, “शैलजा तुम यहाँ? स्कूल की छुट्टी हुए एक घंटा बीत गया है घर क्यूँ नहीं गयी? इतना रो रही हो क्या बात है मुझे बताओं”



“टीचर जी, मुझे कोई पसंद नहीं करता है। मेरे घरवाले, मेरे  अपने भी मुझे कहीं  साथ ले जाने से कतराते है। स्कूल में सब मुझे ‘काली’ कह चिढ़ाते है। मुझसे अब ये सब बर्दाश्त नहीं होता इसलिए सोचा कि इस स्कूल की छत से कूद जाऊ पर मेरी हिम्मत नहीं हुई मै क्या करुँ आप ही बताओं” सुबकते हुए शैलजा बोली।

“शैलजा आज तुम एक अपराध करने जा रही थी। शुक्र है तुम रुक गयी। देखों ऊपर वाले ने हर किसी को कोई ना कोई गुण या खूबी अवश्य दी होती है। रूप रंग तो बाहरी दिखावा है, यदि तुम्हारे पास अच्छा मन है तो कभी ना कभी तुमको ऐसा व्यक्ति जरूर मिलेगा जिसको तुम्हारे अच्छे गुणों की कदर होगी। तुम मन लगा कर पढ़ाई करो और कुछ बनकर दिखाओ। तुम लोगों का मुँह तो बंद नहीं कर सकती हो पर तुम्हारी कामयाबी ही बाकी लोगों के लिये करारा जवाब होगी ।” शशि जी ने कहा।

“जी” इतना बोल शैलजा चुप हो गयी।

कहते है ना एक चिंगारी ही काफी होती है आग प्रकट करने के लिये बस शैलजा को लगा कि उसकी जिंदगी का लक्ष्य है पढ़ाई और आगे चलकर अपने पैरों पर खड़े होना।

शैलजा ने दो साल बाद हाईस्कूल की परीक्षा में अपना पूरा जिला टॉप किया। इंटरमीडिएट परीक्षा में भी शैलजा ने बहुत अच्छे नंबर हासिल किये। ग्रेजुएशन के साथ ही साथ शैलजा ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। दिन रात शैलजा ने बस अपनी तैयारी की। इस बीच ना जाने कितनी बार शैलजा की शादी की बात उठी पर शैलजा अपने लक्ष्य से बिमुख नहीं हुई।



शैलजा की 3 साल की मेहनत रंग लायी उसको आयकर विभाग में नौकरी मिल ही गयी। दूसरे शहर में नौकरी होने की वजह से शैलजा अपने घर कुछ समय तक नहीं आ पायी थी। शैलजा पूरी मेहनत और लगन से वहाँ काम करने लगी। शैलजा के विनम्र स्वाभाव और प्रतिभा को देख दफ़्तर के सभी लोग उसकी तारीफ़ करने लगे थे।

1 साल काम करने के बाद शैलजा को एक दिन उसके ही विभाग में काम करने वाले सहकर्मी अजय ने विवाह के लिये खुद से प्रस्ताव दिया। शैलजा को पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि क्या सच में कोई उसको पसंद कर सकता है पर धीमे धीमे शैलजा को समझ आया कि अजय उसके बाहरी रूप रंग की जगह उसके मन और अच्छे गुणों को देख उससे विवाह करना चाहता है। ख़ुशी ख़ुशी शैलजा ने शादी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और अजय के साथ उसका विवाह भी संपन्न हुआ।

शादी के बाद आज पहली बार शैलजा अपने मायके आयी है। माता पिता से मिलने के बाद शैलजा भागी भागी अपनी टीचर शशि जी से मिलने जाती है। दरवाजे पर अपनी टीचर शशि जी को देख उनके गले लग जाती है और कहती है, “धन्यवाद मेरी गुरु माँ! आप ना होती तो मेरा आज क्या होता!आप पराई थी पर मेरे अपनों से कहीं बेहतर.. आप की दिखाई हुई राह मेरे लिए जीवन का आधार बन गयी” इतना बोल शैलजा की आँखों से ख़ुशी के आसूं छलक उठते है।

दोस्तों, कभी कभी हम हताश हो जाते है और अपनी खुद की योग्यता को भी भूल जाते है। दुनिया में आपके अपने  लोग ही आपको नीचा महसूस करवा देते है  पर एक भी अच्छा इंसान चाहे वो पराया ही क्यूँ ना हो, जो आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है, ऐसे इंसान का साथ बहुत जरुरी होता है।

कहानी अच्छी लगे तो इसे लाइक करें और  कमैंट्स करे| 

#पराये _रिश्ते _अपना _सा _लगे 

धन्यवाद

राशि रस्तोगी 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!