रमन और शुभा अविनाश की शादी में जाने के लिए तैयार हो रहे थे।
“आपका वो दोस्त आएगा क्या शादी में?” शुभा ने रमन से तैयार होते हुए पूछा।
“कौन?” रमन का ध्यान अपनी टाई को ठीक करने में ज्यादा था।
“वही पागल सा जो जब देखो भाभी जी करता हुआ, हम सब के पीछे घूमता रहता है और चिपकता रहता है” शुभा मुँह बना कर पूछ रही थी।
“कौन सुनील?” रमन ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हाँ वही, अपनी बीवी को तो लाता नहीं कभी दोस्तों की पार्टी में और दूसरों की बीवियों के आगे पीछे घूमता रहता है” शुभा मुँह बनाते हुए कह रही थी।
“अरे वो तो ऐसे ही है। थोड़ा दकियानूसी सा है। पर आज तो शादी में सब परिवार के साथ आएंगे। आज तो हमें भी भाभी जी के दर्शन होंगे।” रमन तैयार हो कर खुद को शीशे में निहारते हुए बोला।
“चलो शुक्र है, बेचारी उसकी बीवी। इसी बहाने हमारे साथ थोड़ा मिलेगी, कभी बाहर ही नहीं लाता।” शुभा भी बस तैयार हो गयी थी पर बोले जा रही थी।
रमन ने समय देखा “अरे जल्दी करो, देर हो रही है।”
“हाँ बस, आप कार निकालो मैं ताला लगा कर आती हूं।” शुभ अपना लहँगा संभालते हुए बोली।
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दोनो शादी में पहुंच गए। सभी दोस्तों को देख रमन बहुत खुश था। शुभा ने बीवियों को जॉइन किया। खूब गप्पे हो रही थी। तभी सारे दोस्त डांस फ्लोर पर आ गए और सबकी बीवियों की निगाहें भी उसी और उन्हें झूमते हुए देख रही थी। ऐसे लग रहा था कि सबके कॉलेज के दिन लौट आये हो अब तो महफ़िल में जोश था सभी लगे अपनी अपनी बीवियों को भी उसी और बुलाने लगे।
तभी शुभा को पीछे से किसी ने कहा “चलिए न भाभी जी, आप भी आइए न डांस फ्लोर पर रमन आपको बुला रहा है।”
“अरे नहीं नही, आप अपने दोस्तों संग जाइये, आज तो आप की श्रीमती भी आई होंगी। उन्हें हमारे पास छोड़ दीजिए।” शुभा ने सुनील को एकदम से देख उसकी पत्नी से मिलने की इच्छा जताई।
“वो, वो। यहीं कहीं होगी।” सुनील बचने की कोशिश करते हुए बोला
“अरे, मैं उन्हें पहचानती नहीं क्योंकि पहले कभी मिलना ही नहीं हुआ। आप भी कृपया देख के उन्हें मुझसे और बाकी सभी से भी मिलवा दे तो अच्छा रहेगा।” शुभा ने सहज अंदाज़ में सुनील से कहा।
उधर , सभी दोस्तों का जोश चरम पर था। श्रीमती अतुल मेहरा और श्रीमती नलिन अरोरा तो अपने पतियों संग डांस फ्लोर पर पहुंच गई थी। सभी मजे से नाच रहे थे। सुनील अपनी पत्नी को इधर उधर देखने लगा।
अचानक गया और अपनी पत्नी के साथ वापिस खड़ा था।
“भाभी जी, ये सुमन है” सुनील ने कहा।
उसकी पत्नी सुमन पतली सी गोरे हाथ चेहरा घूंघट में ढका हुआ हाथ जोड़ कर नमस्ते करने लगी।
“अरे हाथ मिला कर मिलो, ये कैसे जाहिलों की तरह नमस्ते कर रही हो।” सुनील को तो लगा जैसे हाथ जोड़ कर नमस्ते करने से सुमन ने उसकी इस मॉडर्न माहौल में बेइज़्ज़ती कर दी।
“जी, जी, हैलो भाभी जी” बेचारी सुमन ऐसे एकदम पति के टोक देने से सकपका गयी।
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“अरे भाई साहब आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं। आपको इनसे ऐसे बात करने का हक किस ने दिया। आप जाइये अपना, अपने मित्रों संग सुमन भाभी से मैं खुद ही परिचय कर लूंगी।” शुभा को इस तरह सुनील को सुमन से बात करता देख बहुत गुस्सा आया पर खुद पर नियंत्रण रखते हुए भी उसने सुनील को इतना सुना दिया।
सुनील के जाते ही माहौल को हल्का करने के लिए शुभा सुमन को साथ ले जा शोर से थोड़ा दूर हट के एक सोफे पर बैठी और सुमन से इधर उधर की बातें उसको जानने की कोशिश करने लगी। शुभा तो ये जान कर बड़ी खुश हुई कि सुमन का मायका भी उसके मायके के शहर इंदौर में ही था। थोड़ी ही देर में तो
दोनो बिछड़ी हुई बहनें लगने लगी। सबने साथ मिल कर खाना खाया और गप्पों का सिलसिला तो टूट ही नहीं रहा था। शुभा ने कनखियों से देखा तो सुनील की घूरती नज़रें थोड़ी थोड़ी देर बाद उन्ही पर ही आ जाती थी।
अब विदा लेने का समय था। सब ने एकदूसरे से विदा ली।
“सुनील भैया, आगे से आप सुमन के बिना मत आया कीजिये। कितनी प्यारी है सुमन, मुझे तो बिल्कुल अपनी बहन की याद आ गयी इस से मिल कर। अब से आपको अनुमति नहीं है बिना बीवी के आने की और कोई बहाना भी नहीं चलेगा।” शुभा ने मौके पर चौक्का मारा।
“हाँ भाई, सब आपस में मिलेंगी तो हमारा भी ये परिवार बनेगा । फिर सुमन भाभी को पीछे क्यों छोड़ना।” रमन ने भी शुभा की हाँ में हाँ मिलाई।
सुनील बेचारे को हामी भरनी पड़ी पर शुभा ने सुमन से भी अब हमेशा मिलने जुलने का वादा ले लिया।
दोस्तों, कुछ लोग अपनी पत्नियों को तो चारदीवारी में रखना पसंद करते हैं| उन्हें किसी से हँसने बोलने नहीं देते और दूसरों की पत्नियों से बातें करना बहुत पसंद करते हैं। सुनील अपनी पत्नी को उसकी इच्छानुसार नमस्ते तक करने पर बेइज़्ज़त कर रहा था और शुभा के द्वारा जलील किये जाने पर एक अक्षर भी न बोल पाया। ऐसे पुरुषों को तो सबक सिखाना ही चाहिए।
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आपकी मित्र
पूनम बगाई