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*अनुकरणीय* –  नम्रता सरन “सोना 

राजेश्वरी मैडम टेडी रूम मे ले गई…. वहाँ अलग अलग पालनों मे नन्हे नन्हे शिशु लेटे हुए थे… कोई अपने नन्हे नन्हे हाथ पैर हिला रहा था…कोई सो रहा था…कोई मुस्कुरा रहा था… तो कोई रो रहा था।
“मिसेस सिन्हा आईए ..मै आपको बताती हूँ.. कौन बेबी है…कौन बाबा है…उम्र तो लगभग एक माह के शिशु से लेकर छह सात माह के बीच की ही है इन सबकी…” राजेश्वरी मैडम ने मिसेस सिन्हा से कहा।
ये एक ऑर्फन होम था…जहाँ अनाथ बच्चों का पालन पोषण किया जाता था.. और कोई योग्य दंपत्ति किसी बच्चे को गोद लेना चाहे तो आवश्यक औपचारिकताऐं पूर्ण कर बच्चा गोद ले सकते थे।
मिसेस सिन्हा भी प्राथमिक औपचारिकताएं पूर्ण कर इसी सिलसिले में अपने पति के साथ वहाँ आई थीं।आज उन्हें शिशु का चयन करना था।
“देखिए… ये कितना प्यारा बच्चा है… “मिसेस सिन्हा ने अपने पति से कहा।
“ये गर्ल चाईल्ड है मिसेस सिन्हा..”राजेश्वरी मैडम बोलीं।
“जी… हमने गर्ल चाइल्ड के लिए ही अप्लाई किया है,मुझे ये बेबी मिल सकती है क्या ?”..मिसेस सिन्हा ने कहा।



“क्यों नही… आईऐ मैं आपको इसके पूरे डॉक्यूमेंट दिखा देती हूँ… जिससे आप को पता चल सके कि इसके कितने वेक्सिनेशन हो चुके हैं… और अब कौनसा होना है… इसी तरह की कुछ और आवश्यक जानकारी भी जो आपके लिए ज़रूरी है… सब आपको बता देती हूँ”…राजेश्वरी मैडम बोलीं।
सारी औपचारिकता पूर्ण करने के बाद मिसेस सिन्हा और उनके पति बेहद खुश थे।
वे लोग बच्ची को लेकर निकलने लगे तो एक करीब पांच- छह साल की बच्ची ने मिसेस सिन्हा का दुपट्टा पकड़ लिया… मिसेस सिन्हा ने पीछे मुडकर देखा तो उनका दिल हिल गया।
“आंटी… सब छोटे बच्चों को ही क्यों ले जाते हैं”….उस बच्ची ने बहुत ही मासूमियत से पूछा।
मिसेस सिन्हा कुछ न कह सकीं… वे बच्ची को लेकर जल्दी से बाहर निकल गईं….।
गाड़ी तक पहुच कर उन्होंने फिर पीछे देखा… वही मासूम बच्ची सूनी आँखों में वही प्रश्न लेकर खड़ी थी… मिस्टर और मिसेस सिन्हा दोनो ही विचलित हो गए…. ।
तत्काल एक आवेदन और आया बच्चा गोद लेने का…. सिन्हा दंपत्ति उस गुड़िया को भी गोद लेना चाहते थे….।
*नम्रता सरन “सोना”*
भोपाल मध्यप्रदेश

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