अनोखा आशीर्वाद – कमलेश राणा

साक्षी  कॉलेज में लेक्चरार है,,विनीत उसका सहपाठी भी है और प्रेमी भी,,दोनों ने फैसला किया था कि जब वो अपने पैरों पर खड़े हो जायेंगे,,तभी विवाह करेंगे,,

आज upsc का रिजल्ट आया  था और वह IAS बन गया था,,दोनों की खुशी का पार नहीं था,,शाम को विनीत ने साक्षी को पार्क में मिलने बुलाया और बांहों में भरते हुए गुनगुनाने लगा,,बचपन का प्यार मेरा भूल नहीं जाना रे,,

साक्षी मुस्कुरा रही थी,,आखिर अब उनकी प्रतीक्षा को मंजिल जो मिलने वाली थी,,दोनों के परिवार वालों को यह बात पता थी,,अत: कोई व्यवधान ही नहीं था,,

खुशी-खुशी विवाह हुआ और वह विनीत की दुल्हनिया बन कर आ गई,,मंगलाचार के बाद गृह प्रवेश हुआ,,सपनों का संसार बड़ा सुहाना था,,विनीत के माता, पिता,भाई सभी बहुत खुश थे,,

पर सबसे ज्यादा खुश थीं,उसकी दादी,,वह साक्षी को देख-देख कर फूली न समातीं,,साक्षी भी उनकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ती,,

उसकी माँ ने पढ़ाने के साथ ही साथ उसे अच्छे संस्कार भी दिये थे,,सुबह उठते ही वह सास-ससुर और दादी के पैर छूकर आशीर्वाद लेती,,फिर अपने दिन की शुरुआत करती,,ऐसी संस्कारी बहू पा कर वो धन्य हो गये थे,,

पर इधर कुछ दिनों से साक्षी अनमनी सी रहने लगी थी,,और सब से तो खुश रहती,,पर दादी से कटी-कटी सी रहती,,इस बात को सभी ने नोटिस किया,,

विनीत के बहुत पूछने पर वह फट पड़ी,,मैं जब भी दादी के पैर छूने जाती हूँ,,वो मुझे बददुआ देतीं हैं,,

विनीत उछल पड़ा,,नहीं,तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है,,दादी ऐसा नहीं कर सकती,,मैं,माँ से बात करता हूँ,,



वो दोनों माँ के पास गये,,पूरी बात सुनकर  माँ ने पूछा,,वो कहतीं क्या हैं,,साक्षी रुंधे हुए गले से बोली,,वो कहतीं हैं – “तेरी बिन्दी छूटे,तेरा सुहाग रूठे ” साक्षी की आँखों से आंसू झर-झर बहे जा रहे थे,,

अब तो माँ जोर से हँस पड़ी,,दोनों अवाक हो कर उन्हें देखे जा रहे थे,,

वह बोलीं,,गलती तुम्हारी नहीं है बेटा,,उनका आशीर्वाद ही अनोखा है ,,मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था,,पर जब मैने चाची जी से पूछा तो उन्होंने बताया,,इसका अर्थ है-“पुत्रवती भव”

वो कैसे ,,दोनों एकसाथ बोले,,

वो ऐसे कि बच्चा जब 4-5 महीने का होता है,,तो माँ के माथे पर लगी लाल बिन्दी उसे बहुत आकर्षित करती है,,वह उससे खेलना चाहता है और जब भी माँ उसे गोदी में लेती है तो सबसे पहले वह बिन्दी ही छुड़ाता है,,

अब आंसुओ का स्थान लाज की लाली ने ले लिया था,,

और वो सुहाग रूठे वाली बात,,

वो तुम दोनों को तब समझ में आ जायेगी जब साक्षी की गोदी में नन्हा- मुन्ना आ जायेगा,,उसे बच्चे के इतने सारे काम होंगे कि वह तुम्हें उतना वक़्त नहीं दे पायेगी,,जितना अब देती है,,

बच्चा रात में भी परेशान करता है,,जब वह रात को थकान से चूर बिस्तर पर लुढ़क जायेगी,,तो तुम रूठे-रूठे फिरोगे,,यह सुनकर विनीत शरमा कर भाग गया,,

सबकी सम्मिलित हँसी से घर गूँज उठा,,दादी भी अपने कमरे से बाहर निकल आईं और कारण जानकर वह भी जोर-जोर से हंसने लगीं,,साक्षी दौड़कर दादी के गले लग गई,,

कमलेश राणा

ग्वालियर

 

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