‘ अन्न का आदर करना भी संस्कार है ‘ – विभा गुप्ता

 मेरे पति के बाॅस की पत्नी हमेशा अपना और अपने बच्चों की बड़ाई करतीं और मेरे बच्चों को नीचा दिखाने की कोशिश करती रहतीं थीं।

        एक दिन उन्होंने हमें अपनी शादी की सालगिरह पर डिनर के लिए इन्वाइट किया।डिनर शहर के नामी रेस्तरां में था।इच्छा न होते हुए भी मुझे वहाँ जाना पड़ा।

          एक टेबल पर जेन्ट्स बैठे थें और दूसरी टेबल पर लेडिज और बच्चे।बाॅस की पत्नी मेन्यु कार्ड देखकर आर्डर देती, उनका बारह वर्षीय बेटा थोड़ा खाता और फिर कहता,” मम्मी, अच्छा नहीं है।” वेटर वो प्लेट ले जाता और दूसरा आर्डर ले आता।बीच-बीच में बाॅस मैडम कहती जाती,हमारा शानू तो ये करता है,हमारा शानू तो वो करता है।तारीफ़ों के पुल बाँधते हुए उन्होंने कहा कि मेरा शानू बहुत संस्कारी है, रोज सुबह उठकर हमें गुड मॉर्निंग और रात को गुड नाइट कहता है।

         तभी मेरे बेटे ने मुझसे कहा कि मम्मी, मेरा पेट भर गया है, अब मैं नहीं खा सकता।मैंने कहा, “कोई बात नहीं ” और मैंने वेटर को बुलाकर बचे हुए खाने को पार्सल बनाने को कह दिया।सुनकर बाॅस मैडम बोली, “मिसेज गुप्ता, बिल की चिंता मत कीजिये, पेमेंट तो मैं कर रही हूँ, आप खाना फेंक दीजिये।”

        मैंने कहा, ” बात बिल की नहीं, संस्कार की है।मेरा बेटा गुड मॉर्निंग और गुड नाइट नहीं बोलता है,कोई बात नहीं लेकिन उसकी दादी ने अन्न का आदर करने और उसे बर्बाद न करके ज़रूरतमंदों को खिला देने का जो संस्कार दिया है, उसका पालन वह दिल से करता है।मेरा बेटा अपनी प्लेट में उतना ही भोजन लेता है जितना वह खा सकता है।गलती से बच जाए तो वह पशु-पक्षियों को खाने के लिये दे देता है।आज का पार्सल किया हुआ खाना भी मैं रास्ते में घूम रहे पशुओं के लिए ले जा रहीं हूँ।” मैंने आगे कहा कि अनाज के एक-एक दाने में किसान भाइयों की खून-पसीने की मेहनत है।उसे बर्बाद करने से तो अन्न देवता भी रूठ जाते हैं।आपके बेटे ने तो कई प्लेटों का खाना फेंकवा दिया है, दूसरी तरफ़ कितने ही बच्चों को आज भूखे ही सोना पड़ेगा।इतने में वेटर पार्सल लेकर आ गया।

           मेरी बात का उनपर क्या असर हुआ, ये तो मैं नहीं जानती।रात के दस बज गये थे।मैंने पैकेट लिया और पति को घर चलने को कहा।मेरे विचार से हमें अपने बच्चों को अन्न को बर्बाद न करने और भूखों को भोजन कराने का संस्कार अवश्य देना चाहिए।

                               — विभा गुप्ता

 

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