मैं स्कूल जा रही थी ड्राइवर अंकल के साथ। जाते समय सड़क किनारे एक बूढ़ी अम्मा दिखाई दी जो सर्दी में कपकपा रही थी। उनके शरीर पर एक छोटा सा कंबल था जो उनको पूरी सर्दी से बचाने में असमर्थ हो रहा था। मेरे मन में इनको देखकर बहुत दुख हुआ मेरा मन दर्द से भर गया। स्कूल का टाइम हो रहा था, सीधे स्कूल चली गई पर वहाँ भी मेरा मन न तो पढ़ाई में न किसी से हँसने बोलने म॓ लगा, स्कूल से आते समय मैंने ड्राइवर अंकल से उनके पास गाड़ी रुकवाई और उनसे पूछा आप यहाँ इतनी सर्दी में क्यों बैठे हैं।
अपने घर क्यों नहीं जाती है? वे बोली बेटा मेरा यही घर है। यह बात सुनकर मेरा मन एक अनकहे दर्द से भर गया। घर आकर बोला, मम्मी ने बताया बेटा इस दुनिया में ग़रीब लोग बहुत है हम कहाँ तक उनके दुःख देखकर दुखी होते रहेंगे। मैंने उनसे कहा हमारे घर में कंबल बहुत है,एक बूढ़ी अम्मा को दे दूँ, मम्मी डांटते हुए बोली घर से सीधे स्कूल जाओ और सीधे घर आओ। मेरा तो उनको देखकर बहुत मन दुखी हो गया था , मेरी रात भी उनके बारे में सोचते सोचते बीती। स्कूल जाते समय मैंने एक कंबल गाड़ी में रख दिया ,
स्कूल से आते समय मैंने ड्राइवर अंकल से गाड़ी रुकवाकर कंबल बूढ़ी अम्मा को दे दिया और कहा दादी अम्मा यह लपेट लो। दादी सुनकर वो एक दम से सहम गयी और सिर उठाकर देखा, उनकी आँखों में आँसू झिलमिलाने लगे। मुझे उन्होंने बहुत दुआ और आशीर्वाद दिया। अब मैं धीरे धीरे उनके लिए कुछ खाने का सामान और पॉकिट मनी के पैसे देती रहती। अब दादी अम्मा जिसे रहती है आस पास दुकानों में छोटा मोटा काम भी करने लगी थी।
एक दिन मैंने उनसे कहा आप मेरे घर चलिये यह सुनकर वह मना करती रही बोली तुम्हारे मम्मी पापा ग़ुस्सा करेंगे। मैंने उनको बताया मेरी मम्मी “महिला सुधार गृह” की संचालिका है तो वह मेरे साथ आ गई। घर आकर मैंने मम्मी से कहा कोई महिला आपसे मिलना चाहती हैं, मैंने दादी अम्मा को घर में अंदर बुला लिया। वह कुछ शर्माती हुई आयी, नमस्ते करने के बाद उनकी बात शुरू हुई मम्मी ने पूछा आप कहाँ से आयी है? आपका घर – परिवार कहाँ है ?
दादी बोली में दिल्ली के पास ही एक गाँव में रहती थी मेरे पति सरकारी स्कूल में सफ़ाई कर्मचारी थे मैं भी पास पड़ोस में खाना बनाने का काम करती थी हमारा एक बेटा था, तो वह पढ़ाई में बहुत होनहार था और हम दोनों पति पत्नी उससे बहुत प्रेम करते थे। चूंकि पढ़ाई में उसकी रुचि देखते हुए हम दोनों ने उसको आगे पढ़ने के लिए शहर भेजा ,वहाँ उसकी इच्छा MBA करने की थी। उसको हमने बैंगलोर भेज दिया। MBA करने के बाद वह है वहीं शहर में नौकरी करने लगा। हम दोनों पति पत्नी बहुत ख़ुश थे,
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हम दोनो उसकी शादी के सपने देखने लगे। वह जल्दी आ नहीं पाता था छुट्टी की कमी के कारण। पैसे भेजता रहता था, कुछ दिनों के पश्चात् उसका मेरे पास फ़ोन आया कहने लगाः सर्विस करने वाली लड़की रागिनी से मैंने शादी कर ली है, यह जानकर मेरे पति एक साथ सदमे में आ गए। उनका दिल अनकहे दर्द को सहन करने में असमर्थ रहा और उनको दिल का दौरा पड़ गया। वे बेहोश होकर गिर पड़े, मैं उनको संभाल ना सकी तो मैंने हमारे पड़ोस में रहने वाली कांता बिटिया को बुलाया था और हम उन्हें अस्पताल ले के गए।
परंतु उनके प्राण रास्ते में ही निकल गए, वह मेरे को अकेला छोड़ जा चुके थे। जैसे तैसे कान्ता मुझे घर लेकर आयी। रामू को सूचित किया, वह आया सब निपटा कर 15 दिन में मेरे से बोला आप यहाँ कैसे रहोगे आप मेरे साथ बैंगलोर चलिए सब साथ रहेंगे। मैंने मना किया परंतु वह नहीं माना। ख़ास ख़ास सामान रखा दिया, और घर और बचे हुए सामान बेचकर मुझे लेकर चल दिया। एयरपोर्ट पर बोला “ माँ आप यहाँ रुको मैं सामान रखवा कर आता हूँ।“ मैं उसका इंतज़ार करती रही है
जब अंधेरा होने लगा था तब वहाँ एक आदमी ने पूछा मांजी आपको कहाँ जाना है ? मैंने बताया बेटा सामान रखने गया है बैंगलोर जाना है । तब उसने बताया कि बैंगलोर की फ़्लाइट कप की जा चुकी है आपका बेटा तो चला गया, आप कहो तो मैं आपके घर छोड़ दूँ? दुखी मन से मैं वापस अपने घर आ गई यहाँ पता चला कि बेटा घर बेच गया। तब मैं सड़क किनारे पर ही बैठ गई और भगवान से प्रार्थना कर रही हूँ की हे भगवान मुझे मौत दे दो। जीने की इच्छा ख़त्म हो गई है, इस बच्ची ने नया जीवन दिया और आप जैसे परिवार से मिलना हुआ।
एक दिन हमारे खाना बनाने वाली आंटी छुट्टी पर थी उस दिन दादी अम्मा सबके लिए चाय नाश्ता और खाना बनाके लाई। खाना खाने के बाद पापा मम्मी ने उनके खाने की बहुत तारीफ़ की तब वह हमारे घर का खाना बनाने का छोटा मोटा काम करने लगे धीरे धीरे वह घर में मेम्बर की तरह ही रहती है। जब मेरे पापा का टूर बैंगलोर का हुआ तो उन्हें याद आया कि अब मैंने बताया था कि मेरा बेटा किसी कंपनी में सर्विस करता है रामू नाम है और पापा का काम जिस कंपनी में था, वहाँ रामू नाम का एक आदमी काम करता था,
बातों बातों में पापा ने उससे पूछा तुम कहाँ के रहने वाले हो? उसने कहा मैं दिल्ली के पास एक गाँव से हूँ। तब पापा ने पूछा तुम्हारे पिता का नाम क्या है? उसने बताया मेरे पापा का नाम रामदीन और माँ का नाम कमला है। पापा ने उससे पूछा की तुम बैंगलौर से दिल्ली जाना चाहते हो? उसने कहा जाना तो चाहता हूँ लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं है। पापा ने उससे पूछा मेरे साथ चलना है? पापा और रामू दोनों घर आ गए। दादी अम्मा उनके लिए चाय नाश्ता लेकर आयी , वह अपने रामू को पहचान गई।
पापा ने बाताया कि रामू यही का रहने वाला है और इसके पापा का नाम रामदीन हैं और माँ का नाम कमला है। यह सुनकर अम्मा ने रामू को गले लगा लिया और बोली “मेरा बेटा आ गया।“ दोनों मिलकर अन कहे दर्द से रो उठे। उनके आँसू देख मेरे भी आँसू निकल आए। अम्मा रोती जारी थी और साथ ही मुझे दुआएँ और आशीर्वाद देती जा रही थी कह रही थी की “ इस बच्ची ने मुझे मेरे बेटे से मिलवा दिया”। इसके पश्चात अम्मा ने अपने बेटे की शादी कमला से करवा दी और अब वह अपने परिवार के साथ ख़ुशी से रहती हैं।
स्वरचित
- सरोजनी सक्सेना