अनजान लड़की – नेकराम : Moral Stories in Hindi

अम्मा मैं शहर में पहुंच चुका हूं 2 दिन से नौकरी ढूंढ रहा था मगर नहीं मिली लेकिन मुझे एक ऑटो मालिक मिल गया उसने मुझ पर तरस खा कर मुझे ऑटो किराए पर चलाने के लिए दिया है ऑटो का भाड़ा भी बहुत कम है अब मैं बहुत पैसा कमा लूंगा और अपने गांव का पुराना मकान को तुड़वाकर नया मकान बनाऊंगा आज मेरा पहला दिन है अच्छा मां मुझे आशीर्वाद दो कि मुझे सवारी मिले और मैं खूब पैसा कमाऊ

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अम्मा ने आशीर्वाद देते हुए कहा देख नेकराम शहर में भीड़भाड़ बहुत रहती है ऑटो रिक्शा जरा ध्यान से चलाना और किसी भी सवारी से बदतमीजी मत करना ,, मैं फोन रखती हूं तेरे बाबूजी का खाना भी पकाना है

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उस दिन मैं अपना ऑटो रिक्शा लेकर सड़क पर पहली बार निकला

एक पेड़ के नीचे अपना ऑटो रिक्शा खड़ा करके सवारी का इंतजार करने लगा तभी एक सुंदर सी लड़की जिसकी उम्र 22 बरस के आसपास होगी  पैरों में महंगी सैंडिल ,, बदन पर चमकीला क्रीम कलर का सूट सलवार,,कंधे पर एक बड़ा सा काला बैग लटकाए मेरी तरफ ही आती नजर आई ,, मैं समझ गया यह पक्का मेरी ऑटो रिक्शा में बैठेगी

इससे पूरे पचास रुपए मांगूंगा ,,

वह तेज कदमों से दौड़ती हुई मेरे ऑटो रिक्शा में बैठ गई और बोली चलो भैया ,, मैंने अपना ऑटो रिक्शा स्टार्ट किया और सड़क पर मेरा रिक्शा दौड़ने लगा ,,

तब मैं सोचने लगा सवारी ने यह तो बताया ही नहीं कि उसे जाना कहां पर है तब उस लड़की  ने कहा ,,सीधे चलते रहो,,

मैं ऑटो रिक्शा सीधा चलाने लगा ,,

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काफी देर होने के बाद मैंने फिर पूछा और कितनी दूर चलना है मेम साहब

उसने घूर कर मुझे देखा और कहा,,मैंने कहा ना तुमसे ,,

,, सीधे चलते रहो

तब मैंने कहा यह सड़क आगे जाकर दाएं तरफ मुड़ रही है रिक्शा अगर सीधा ले गया तो सामने दीवार पर टक्कर लग जाएगी मेरा नया-नया रिक्शा है ,, तब उसने कहा हां तो रिक्शा मोड लो,, क्या प्रॉब्लम है तुम्हें

मैं समझ गया यह  मेंम साहब उल्टी खोपड़ी की है भलाई इसी में है रिक्शा चुपचाप चलाता रहूं,,

15 मिनट होने के बाद मैंने फिर पूछा मैम साहब जाना कहां है आपको

उसने फिर कहा ,, जब मैं कह रही हूं कि सीधे चलते रहो

उस मैम साहब का बार-बार यही जवाब था ,,सीधे चलते रहो ,,सीधे चलते रहो,,

इस बार मेरा दिमाग खराब हो गया ,, मैंने ऑटो रिक्शा सड़क किनारे लगा दिया और पूछा पहले यह बताओ आपको जाना कहां है 1 घंटे से मैं आपके मुंह से बस यही सुन रहा हूं,, सीधे चलते रहो ,,सीधे चलते रहो

अब मेरा ऑटो रिक्शा आगे नहीं बढ़ेगा पहले बताइए आपको जाना कहां पर है ,,

तब उसने कहा बड़े बदतमीज ड्राइवर हो सवारी से इस तरह बात करते हो ,,

दोपहर का टाइम था गर्मी के दिन थे  सड़क पर काफी तेज धूप थी

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आगे जाकर बीच सड़क पर बहुत सारे लोग बैठे थे शायद आंदोलनकारी थे सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए अपनी अपनी मांगों को लेकर बैठे थे ,,

मेंम साहब ने पूछा ,, रुक क्यों गए ,,अगर रास्ता आगे  बंद है तो दूसरे रास्ते से अपना ऑटो  निकाल लो

मुझे एक कच्चा रास्ता नजर आया और मैंने उसी रास्ते पर अपना ऑटो रिक्शा चलाना शुरु कर दिया मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था 2 घंटे हो चुके थे लेकिन ,,वह ना मेरे ऑटो से उतर रही थी ना एड्रेस बता रही थी

देखने में किसी भले घर की लेकिन अमीर लग रही थी तभी वह जोर से चिल्लाई अपना ऑटो रिक्शा और तेज चलाओ ,,

मैंने ऑटो चलाते हुए अपने शीशे में देखा तो पीछे से चार बाइक वाले मेरे ऑटो का पीछा कर रहे थे ,,

मेंम साहब बार-बार कह रही थी ,,

मुझे अपनी जान का खतरा है इसलिए प्लीज मुझे कहीं दूर ले चलो

अब मैं  उलझन में पड़ चुका था ,, यह कैसी विडंबना है मैं इस लड़की को यहां अकेले छोड़ कर भी नहीं जा सकता

और यह चारों बाइक वाले कौन है इससे ही पूछ लेता हूं

तब मैंने मेम साहब से कहा आखिर यह चारों हैं कौन जो तुम्हारा पीछा कर रहे हैं

तब उस मेंम साहब ने कहा,, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है

मैं अस्पताल में एक डॉक्टर हूं रोज की तरह अपने घर से जब मैं ड्यूटी के लिए निकली ,, तो अचानक एक बाइक वाला मेरा पीछा करने लगा

थोड़ी देर में ,,बाइक वाले दो हो चुके थे,,

मैं घबरा गई ,, अचानक तुम्हारा ऑटो दिखाई दिया और मैं तुम्हारे ऑटो में आकर बैठ गई

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तब मैंने पूछा बाइक वाले तो पूरे चार हैं

तब उसने बताया मुझे नहीं मालूम यह लोग कौन है ,,

तब मैंने कहा तो तुम्हें पुलिस को फोन करना चाहिए था

इस तरह डर कर भागना ,, क्या सही है

अब हम इस सुनसान रास्ते में चल रहे हैं ,, यहां तो हमें और भी खतरा है

लेकिन मैं इस रास्ते में पहले भी एक बार आ चुका हूं आगे ही एक पुलिस चौकी है ,,हम वहीं जाकर रुकते हैं शायद हमें वहां पर मदद मिल जाए ,,

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3 किलोमीटर चलने के बाद हमें एक पुलिस चौकी नजर आई ,,

वहां पर दो पुलिस कर्मियों को हमने अपनी समस्या बताई

उन्होंने तुरंत मेंम साहब को अपनी पुलिस जीप में बिठाया और वह अस्पताल की तरफ चल पड़े

और पुलिस की जीप देखकर वह चारों बदमाश उल्टे पांव ही नो दो ग्यारह हो गए,,

मैं अपना ऑटो रिक्शा लेकर वापस अपने ठिकाने पर पहुंच गया

अचानक मुझे याद आया ओ,हो सवारी से पैसा लेना तो मैं भूल ही गया

फिर सोचने लगा अगर किसी की बहन बेटी या मां मुश्किल में हो और हम ऑटो ड्राइवर रास्ते में उसकी सहायता कर दे 

तो इसमें हर्ज ही क्या है

क्या पैसा इंसानियत से बढ़कर है 

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उस दिन मैं खाली हाथ ही घर लौट आया घर पर देखा तो अम्मा और बाबूजी आए हुए थे अम्मा बताने लगी सुबह तो तेरे बाबूजी ठीक थे फिर अचानक ना जाने कैसे खून की उल्टी होने लगी

खून की उल्टी देखकर मैं तो डर गई

फिर याद आया शहर में नेकराम रहता है उसी के घर चलते हैं

शहर में बहुत सारे सरकारी अस्पताल हैं वहां इलाज हो जाएगा

इसलिए मैं तेरे घर चली आई बाबूजी को लेकर

तब मैंने पूछा खाना पीना खाया आपने तब पत्नी कहने लगी

मैंने खाना पीना खिला दिया है बस तुम अस्पताल में बाबूजी का इलाज करवा दो

तब मैं कुर्सी पर बैठते हुए बोला अब तो रात हो गई कल सुबह ही अस्पताल चलेंगे क्योंकि सरकारी अस्पताल में सुबह 9:00 बजे से 11:00 बजे तक पर्ची बनती है उसके बाद डॉक्टर देखेगा ,,फिर दवाई मिलेगी

उस रात हम सब लोग सो गए सुबह तड़के उठकर

मैं बाबूजी को ऑटो में बिठाकर पास के सरकारी अस्पताल की तरफ चल पड़ा अस्पताल पहुंचने पर देखा तो बाहर बहुत से डॉक्टर बैठे हुए थे पता करने पर मालूम हुआ सब हड़ताल पर बैठे हुए हैं अस्पताल की खिड़की पर पर्ची बनाने वाला कोई न था

अस्पताल के एक सिक्योरिटी गार्ड ने बताया अस्पताल मैं आज हड़ताल है और यह हड़ताल न जाने कितने दिन तक चले

यह सुनकर मन दुखी हो गया कितनी उम्मीद लेकर बाबूजी शहर आए थे घर खाली हाथ वापस जाने के बजाय

मैंने अपना ऑटो शहर के सभी सरकारी अस्पतालों की तरफ घुमा दिया मगर सभी अस्पताल बंद थे बाबूजी ने रास्ते में कई बार खून की उल्टियां की मुझसे देखा ना जा रहा था बाबूजी कहने लगे नेकराम सीने में बहुत दर्द हो रहा है कब मेरा इलाज होगा

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इस बात का मेरे पास उत्तर देने के लिए जवाब न था

ऑटो रिक्शा चलाते-चलाते अचानक ऑटो रिक्शा की गैस खत्म हो गई

तब मैंने बाबूजी से कहा यहां से 4 किलोमीटर दूर मुझे ऑटो रिक्शा पैदल ही  घसीटना होगा ,,

गैस खत्म हो चुकी है

बाबूजी ऑटो में बैठे हुए थे और मैं पैदल ऑटो रिक्शा खींचने लगा चलते-चलते मेरे भी पैर दुखने लगे थे ऑटो काफी भारी था मेरी सांस फूल चुकी थी सामने एक बड़ा सा मकान दिखाई दिया शायद यहां पानी मिल जाए पीने के लिए

बाबूजी को ऑटो में बिठाकर

मैंने दरवाजा खटखटाया सामने एक महिला दिखी

तब मैंने बताया गला सूख रहा है क्या एक बोतल पानी मिलेगा पीने के लिए

उसने मुझे पहचान लिया और कहा आप तो वहीं ऑटो रिक्शा वाले भैया हैं जिसके ऑटो में ,,मैं कल बैठी थी ,,मैं आपको थैंक्स भी ना कह सकी

कल आपने मेरी बहुत बड़ी मदद की थी घर के भीतर आ जाइए

चाय नाश्ता करके जाइए

तब मैंने अपने बाबूजी की बीमारी के बारे में बताया और कहा वह बाहर ऑटो में बैठे हुए हैं और आज से सरकारी अस्पताल की हड़ताल शुरू हो चुकी है

मेमसाहब ने तुरंत अपने नौकर से कहा बाहर एक ऑटो खड़ा हुआ है उसमें गैस का तुरंत प्रबंध करो यह हमारे खास मेहमान है

फिर

मेंमसाहब मेरे साथ दौड़कर ऑटो तक पहुंची और बाबूजी को सहारा देते हुए अपने घर के भीतर ले आई कहने लगी मैं खुद एक डॉक्टर हूं ,,हड़ताल है,, तो क्या हुआ ,, मैंने अपने घर में खुद एक क्लीनिक बनाया हुआ है

मेरे घर के पीछे एक छोटा सा कमरा है वही मेरा छोटा सा एक क्लीनिक है ,, अपने बाबूजी को लेकर मेरे साथ आइए

हम मेमसाहब के पीछे-पीछे चल दिए मेमसाहब ने बाबूजी को बेड पर बिठाया कुछ दवाइयां दी इंजेक्शन लगाया और कहा आप चिंता मत कीजिए आपके बाबूजी ठीक हो जाएंगे

यह दवाइयां दे रही हूं चार दिन तक खिलाते रहिए

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बाबूजी को दवाई खाते ही काफी आराम हो गया और खून की उल्टियां भी बंद हो चुकी थी मैंने मेंमसाहब का शुक्रिया अदा किया

दोपहर से शाम हो चुकी थी

बाबूजी अब बिल्कुल ठीक थे ,,

मेंमसाहब ने बताया आपके ऑटो में गैस का इंतजाम हो गया है

तब मैंने संकोच करते हुए पूछा गैस के कितने रुपए देने पड़ेंगे

और बाबूजी के इलाज की कितनी फीस हुई

मेंम साहब ने मुझे देखा और कहा जब मैंने आपको भैया कहा है तो  मैं आपकी छोटी बहन हुई

अब बहन भाई के बीच पैसे कहां से आ गए

जब मैं मुसीबत में थी तो तुमने मेरी मदद की थी अब मेरी बारी है

मेंमसाहब के मुंह से ऐसी बातें सुनकर मैं खामोश हो गया

उन्हें नमस्ते कहकर मैंने बाबूजी को ऑटो में बिठाया

और हमारा ऑटो घर की तरफ चल पड़ा

घर पहुंचने के बाद मैंने अम्मा को बताया बाबूजी का इलाज हो गया है बाबूजी अब ठीक है

बाबूजी और अम्मा उसी रात गांव की तरफ निकल पड़े

रेलवे स्टेशन पर क्रांति एक्सप्रेस में बिठाकर जब

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मैं ऑटो चलाते-चलाते घर की तरफ आ रहा था तो सोच रहा था अगर मैं कल मेमसाहब की मदद ना करता तो आज मेरे बाबूजी का इलाज नहीं हो पाता

लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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