” अम्मा जी ! आपने घर छोड़कर अपने स्वार्थी लालची बेटों की राह आसान कर दी “….. कीर्ति मेहरोत्रा
- Betiyan Team
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- on Dec 31, 2022
काली अंधेरी रात और एक औरत बेतहाशा सड़क पर भागती चली जा रही है तभी वो एक गाड़ी से टकराकर गिर गई और बेहोश हो गई जब उसकी आंख खुली तो उसने अपने आपको एक घर के अंदर पाया । वो अभी चारों तरफ देखकर सोच ही रही थी कि वो यहां कैसे पहुंची तबतक एक नवयुवती करीबन पच्चीस साल की चाय नाश्ते की ट्रे लेकर मुस्कुराते हुए हाजिर हुई और बोली ” गुडमॉर्निंग अम्मा जी ! ” उस नवयुवती के लिए वो उसकी मां समान ही थी इसलिए उसने उसे अम्मा जी कहकर संबोधित किया ।
उसके अम्मा जी कहते ही उन्होंने आश्चर्य से उसे देखा जिससे वो समझ गई वो उसके बारे में जानना चाहती हैं ” मैं डॉ आर्या कपूर और मेरे पति केशव कपूर रात में अपने एक पेशेंट को देखकर वापस लौट रहे थे । चारों तरफ घनघोर अंधेरा था बिजली कड़क रही थी बारिश के आसार नजर आ रहे थे हमलोगों को भी घर पहुंचने की जल्दी थी लेकिन तभी सामने से आप भागती हुई आई ,केशव ने बहुत संभालने की कोशिश की लेकिन फिर भी आप गाड़ी से टकराकर बेहोश हो गई । पहले तो लगा कि ऐसे किसी अनजान को कैसे अपने घर ले जा सकते हैं लेकिन फिर एक डॉक्टर होने के नाते मन में मानवता जाग उठी और हमलोग आपको यहां ले आए । मेरे पति हॉस्पिटल जा चुके हैं । मैने आज छुट्टी ले ली है । अब आप बताइए इतनी रात में आप बेतहाशा अकेली कहां जा रही थी “?
मैं सौदामिनी ,जब तक पति थे जीवन में कोई कमी नहीं थी लेकिन अभी कुछ दिन पहले ही पति नहीं रहे । उनकी कमी तो जीवन में कोई नहीं पूरी कर सकता । मेरे चार बेटे हैं सबकी शादियां हो चुकी हैं और सभी संपन्न हैं सबको पढ़ा-लिखा कर इस लायक बना दिया है कि अपना जीवन निर्वाह अच्छे से कर सकें । पति सरकारी नौकरी में थे तो उनकी भी जमा-पूंजी है और अब उनके ना रहने पर मुझे उनकी पेंशन भी मिलेगी “।
” सबकुछ तो अच्छा है आपके जीवन में फिर इस तरह रात में आपको घर से बाहर क्यों निकलना पड़ा “?
” क्योंकि कल रात ही मेरा सच्चाई से सामना हुआ । चार चार बेटों की मां होने का बहुत अभिमान था मुझे हमेशा से , ये सोचकर खुद को तसल्ली दे देती कि चार बेटे दिए हैं भगवान ने तो बुढ़ापे में एक ना एक तो हमारी देखभाल करेगा ही । कभी भी लड़की ना होने का मलाल नहीं हुआ बल्कि खुश ही होती कि अच्छा हुआ भगवान ने बेटी नहीं दी लेकिन आज मुझे मलाल होता है कि काश ईश्वर ने मुझे चार बेटों की जगह चार बेटियां दी होती । कल रात मैं रात में वॉशरूम जाने के लिए उठी तो देखा मेरे चारों बेटे और बहुएं मुझसे मेरी प्रॉपर्टी हथियाने और मुझसे छुटकारा पाने पर विचार-विमर्श कर रहे थे । अंत में सबने एक ही निष्कर्ष निकाला कि मां को कोई भी अपने पास नहीं रख सकता इसलिए उन्हें वृद्धाश्रम भेज दिया जाए और दुनियां वालों के सामने बता दिया जाए कि पिताजी की मौत से दुखी होकर मां का मानसिक संतुलन खराब हो गया जिसकी वजह से वो घर छोड़कर चली गई । इस तरह से उनकी सारी संपत्ति के हम चारों बराबर के अधिकारी बन जाएंगे और ऐशो आराम से अपनी जिंदगी बिताएंगे । उनकी बातें सुनकर मुझे बहुत ही कष्ट हुआ और उसी समय मैं घर छोड़कर निकल गई “।
” अम्मा जी ! आपको इस तरह घर छोड़कर नहीं आना चाहिए था बल्कि वहीं रहकर उन लोगों को सबक सिखाना चाहिए था । ऐसे तो आपके बेटों की हिम्मत बढ़ेगी ” ।
” मैं अकेली उन्हें क्या सबक सिखा सकती हूं “?
” आप अकेली नहीं हैं आपके साथ तो भगवान हैं तभी तो उन्होंने आपको बचाने के लिए हमें भेजा । आप वापस अपने घर जाइए और अपने बेटों को दिखा दीजिए कि एक औरत अगर चार बेटों को जन्म दे सकती है उन्हें पढ़ा-लिखा कर योग्य बना सकती है तो गलती करने पर सजा भी दे सकती है “।
सौदामिनी जी आर्या की बात मानकर अपने घर वापस लौट गई । उन्हें देखकर उनके चारों बेटे बहुएं आश्चर्य चकित हो गए उन्हें अपने मंसूबों पर पानी फिरता नजर आया । वो तो ये सोचकर खुश थे कि अच्छा हुआ उन लोगों के कुछ करने से पहले ही वो खुद ही घर छोड़कर चली गई । दुनिया के सामने थोड़ा बहुत अफसोस जाहिर करके सब अपने अपने काम में मस्त हो गए । देखा तो मां के पीछे पीछे एक काले कोट वाले वकील बाबू भी बगल में फाइल दबाए चले आ रहे हैं ।
” मां ! आप अचानक से कहा चली गई थी हमने आपको ढूंढने की बहुत कोशिश की थी लेकिन आप मिली नहीं । मां ये वकील साहब किसलिए आए हैं “?
” क्योंकि रात में मैंने तुमलोगों की सारी बातचीत सुन ली थी । मैं घर से बाहर अपनी सुरक्षा का इंतजाम करने गई थी । तुम्हारे पिता ने मरने से पहले अपनी वसीयत बनवाई थी जिसमें मेरे मरने के बाद मेरी चल अचल संपत्ति के एक वारिस तुम चारों थे ” कहते कहते वो खामोश हो गई ।
” थे क्या मां ! वो तो हम चारों हमेशा रहेंगे क्योंकि पिता की संपत्ति पर बेटों का ही हक होता है ” चारों बेटे एक साथ बोले ।
” सिर्फ संपत्ति पर हक होता और उनकी देखभाल करने का फर्ज वृद्धाश्रम भेजकर पूरा होता है । मैं वृद्धाश्रम जरूर जाऊंगी लेकिन अपनी जिम्मेदारी पूरी करके । मैंने वकील साहब से अपनी नई वसीयत बनवाई है जिसमें मेरे मरने के बाद मेरी चल अचल संपत्ति वृद्धाश्रम ट्रस्ट को जाएगी तुममें से किसी को एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी । कल से अपने रहने का इंतजाम कहीं और कर लेना । इस घर को बच्चों के स्कूल के लिए दे दिया है । तुम जैसे स्वार्थी औलादों को जन्म देने से अच्छा मैं बेऔलाद ही रहती कम से कम ये अफसोस तो नहीं होता कि चार चार बेटों की मां होते हुए भी मैं वृद्धाश्रम जाने को मजबूर हुई । भला हो डॉक्टर साहिबा का जिन्होंने मुझे ये रास्ता दिखाया वरना मैंने तो घर छोड़कर तुम लोगों की राह आसान कर दी थी उन्होंने ही तुम लोगों को सबक सिखाने के लिए वापस भेजा । सही कहा गया है ईश्वर किसी ना किसी रूप में हमारी सहायता करने हमें रास्ता दिखाने , कुछ ग़लत लोगों को सबक सिखाने जरूर आते हैं ” कहते हुए सौदामिनी जी ने नफरत से अपना मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया ।
चारों बेटे बहुएं रोते गिड़गिड़ाते रह गए लेकिन सौदामिनी जी ने घूमकर उनकी तरफ नहीं देखा क्योंकि अब वो कमजोर नहीं पड़ना चाहती थीं । अब उन्हें अपने जैसी बेसहारा बच्चों के द्वारा सताई गई औरतों के लिए बहुत कुछ करना था । दृढनिश्चय की चमक उनकी आंखों में साफ़ परिलक्षित हो रही थी । बाद में डाक्टर दंपति ने हर कदम पर सौदामिनी जी की हर संभव मदद की । जब तक वो जीवित रहीं उन्होंने मानव सेवा को ही अपना उद्देश्य बना लिया और अपनी अंत्येष्टि का अधिकार उन्होंने डॉक्टर आर्या को दिया ।
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जल्दी ही मिलती हूं आपसे अपने नए ब्लाग के साथ तब तक के लिए राम राम 🙏
आपकी प्रतिक्रिया के इन्तजार में …..
आपकी दोस्त
कीर्ति मेहरोत्रा
धन्यवाद 🙏