” अम्मा ! आप अपने छोटे बेटे को धोखा दे रही हैं “…. – कीर्ति मेहरोत्रा
- Betiyan Team
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- on Feb 04, 2023
अम्मा ! यहां अलमारी में कुछ नए चादरें रखीं थीं वो नहीं हैं और स्टोर रूम में राशन के सामान भी कम लग रहा है । इन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही गृहस्थी का सारा सामान लाकर रखा है इतनी जल्दी तो सामान खत्म नहीं हो सकता ” शीला ने हिचकिचाते हुए अपनी सासूमां ललिता जी से कहा क्योंकि उसे पता था कि उसके इतना कहते ही वो अपने आपको सही साबित करने के लिए चीखने चिल्लाने लगेंगी लेकिन अपने पति की मेहनत की कमाई ऐसे उड़ते देख उससे रहा नहीं गया और वो आज बोल ही दी और वही हुआ जो उसने सोचा था ।
” तुम पूछने वाली कौन होती हो हमारे बेटे की कमाई है हम चाहे जो करें अगर एक बेटे की कमाई से थोड़ा सा हिस्सा दूसरे बेटों को दे दिया जाए तो क्या हर्ज है ? हमारे बेटे ने तो आज तक आवाज नहीं उठाई तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ?
” अम्मा ! यही काम आप मुझे बताकर या मुझसे पूछकर भी कर सकती हैं इस तरह धोखे से करने कुछ क्या जरूरत है । हमेशा मेरी अलमारी से और स्टोर रूम से सामान गायब रहता है । मैं ये सोचती रह जाती कि मुझसे ही कुछ गलती हुई है । मेरे पति भी मुझसे हिसाब किताब मांगते हैं तब मैं भी उलझ जाती हूं क्या बताऊं लेकिन आज समझ में आ गया कि सामान आप निकालती हैं । ननद जी और जेठ जी को देती हैं “।
वो सिर्फ तुम्हारा पति ही नहीं है हमारा बेटा और उनका भाई है तो उनके प्रति भी उसकी कुछ जिम्मेदारियां बनती हैं । तुम्हारी गृहस्थी से थोड़ा बहुत उठाकर दे दिया तो घट नहीं जाएगा, ये उनका हक बनता है ” ।
” और छोटे बेटे का फर्ज सिर्फ मेहनत करके कमाना और यूं गंवाना । अम्मा ! हमलोग भी अपनी जरूरतें बड़ी मुश्किल से पूरी करते हैं । रोज इनकी आंखों में घर गृहस्थी को लेकर चिंता देखती हूं तो मैं भी परेशान हो जाती हूं । काश कि आपने जेठ जी को भी इनकी तरह मेहनत करना अपने परिवार की जिम्मेदारियों को निभाना सिखाया होता यूं रोज रोज अपनी मां भाई से मदद मांगना कहां तक सही है और ननद जी को अपने घर में संतुष्ट रहना सिखाया होता । वो अपने भाई की हालत नहीं जानती जो अपनी जरूरतों का रोना आपसे रोती रहती हैं और आप अपने बेटे की हालत जानते हुए भी उसके ऊपर और बोझ बढ़ाती रहती हैं । वो लोग जानते हैं कि आपके सामने अपना रोना रोएंगे और आप मेरी गृहस्थी से सामान उठाकर उन्हें पकड़ा देंगी जबकि मैं भी सबको देखती हूं वो लोग सिर्फ आपको दिखाने के लिए गरीब लाचार बनें रहते हैं किसी की मौज मस्ती पहनने ओढ़ने और खाने पीने में कोई कमी नहीं है । सबके पास मुझसे अच्छे कपड़े लत्ते हैं और रोज ही सब घूमने फिरने जाते हैं लेकिन आपकी नज़रों में सब बेचारे बने रहते हैं । आपकी आंखें बंद होंगी लेकिन मेरी आंखें खुली हैं अब मैं किसी को भी अपने पति की गाढ़ी मेहनत की कमाई में हिस्सा नहीं दे सकती । हमलोग सिर्फ आपकी जिम्मेदारी उठा सकते हैं पूरे परिवार की नहीं और आगे से मैं अपनी घर गृहस्थी में ताला लगाकर रखूंगी क्योंकि आपने मेरा विश्वास तोड़ा है ” आज शीला ने दो टूक शब्दों में अपनी सासूमां को अपना फैसला सुना दिया ।
ललिता जी चुपचाप खड़ी थीं उनसे कुछ बोलते नहीं बना क्योंकि इतने दिनों तक उन्होंने अपने छोटे बेटे बहू की चुप्पी और अच्छाई का भरपूर फायदा उठाया था कभी अपने छोटे बेटे के बारे में नहीं सोचा ……..
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आपकी दोस्त
कीर्ति मेहरोत्रा 🙏