असली चाकलेट दिवस – डा. मधु आंधीवाल

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अरे शुभी ये कौन खांस रहा है इतनी देर से पार्टी का पूरा मजा खराब कर दिया ये शब्द थे शुभी की मार्डन सहेली रोमा के । शुभी ने कहा घर की एक बुजर्ग नौकरानी हैं ।एक बहुत आलीशान कोठी का यह बेहतरीन ड्राइंगरुम जिसमे धनाढ्य परिवार के बिगड़े हुये नौनिहालों की पार्टी चल रही थी । पाश्चात्य संस्कृति का यह प्रेम इजहार का पूरा हफ्ता इस प्रेम इजहार आयोजन ने तो इन युवाओं को गिरफ्त में ले लिया था । आज चाकलेट डे था । 

         आज शुभी के यहाँ पूरी मित्र मन्डली जमी हुई थी । उद्योग पति कैलाश चन्द्र की लाडली बेटी शुभी पूरी तरह से पाश्चात्य संस्कृति में रंगी हुई थी । कैलाश चन्द्र जी की कोठी में नौकरों की फौज थी पर उनकी बहुत बुजुर्ग मां यानि शुभी की दादी रमा जी अपना काम स्वयं करना पसंद करती थी । दो दिन से उन्हे तेज बुखार था । वह ड्राइंग रूम के बाहर से शुभी के भाई सोमेश को बुलाने जा रही थी । सोमेश को शुभी की तरह जिन्दगी जीना पसंद नहीं था । उसका शौक केवल पढ़ाई करना था । उसे दादी से और दादी को सोमेश से बहुत लगाव था । दादी ने सुना की उसकी खांसी से शुभी के मित्रों के मनोरंजन में बाधा उत्पन्न हुई है तब वह उल्टे पांव कमरे में लौट आई ।थोड़ी देर में सोमेश स्वयं दादी को ढूढ़ते आया । उसने देखा दादी एक टक आंखो में आंसू भरे शुभी और उसके बचपन का फोटो देख रही हैं। उसने आकर दादी की आंखें बन्द करदी और बड़े प्यार से एक पैकिट दादी के हाथ पर रख कर कहा अरे मेरी प्यारी सी दोस्त अपनी आंखे खोलो दादी ने आंखें खोली देखा चाकलेट का पैकिट था । दादी ने कृत्रिम गुस्से से कहा ये क्या है सोमेश ने कहा मेरी पोपली दोस्त आज चाकलेट डे है इसलिये ये आप खा सकती हो । पोपली दोस्त सुन कर दादी खूब जोर से हंसी और साथ में सोमेश भी खूब हंसते हुये दादी को घुमा रहा था । शुभी के सारे दोस्त बाहर आगये । सोमेश ने शुची और उसके दोस्तों से कहा यह है असली चाकलेट दिवस जहाँ पवित्र प्यार और अपनत्व दिखाई दे रहा हो दादी नौकरानी नहीं इस घर की महारानी हैं । ये ना होती तब हम कहां होते । शुभी शर्म से कुछ बोल ही नहीं पा रही थी ।

स्व रचित

डा. मधु आंधीवाल

अलीगढ़

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